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Hindi Essay on “Dhan ka Sadupyog” , ”धन का सदुपयोग” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

धन का सदुपयोग

Dhan ka Sadupyog

धन के सदुपयोग का अर्थ है-धन को अनावश्यक व्यय न करना वरन सत्कार्यों में लगाना। किसी मनुष्य के पास यदि अधिक धन है तो उसे चाहिए कि वह उस धन को अपने ऐशो-आराम पर व्यय न करे। इसी को ‘धन का सदुपयोग’ कहते हैं।

सभी कार्य धन से सिद्ध होते हैं।धन अत्यंत बलशाली है। सारा संसार धन के फेर में रहता है। यदि धन न हो तो सारे बाजार सूने पड़ जांए। धर्मशालांए, मंदिर तथा मस्जिद दिखाई न पड़ें। विशाल भवनों और राजमार्गों का नामोनिशान न हो। संक्षेप में कह सकते हैं कि संसार के सारे कार्य बंद हो जांए।

धन के बिना मनुष्य का कोई काम सिद्ध नहीं हो सकता। मनुष्य का जीवन धन पर ही निर्भर है। किसी मनुष्य के पास यदि धन है तो वहअच्छे कपड़े पहनेगा तथा पौष्टिक भोजन करेगा।

जब धन एक ऐसी वस्तु है कि इसके बिना मनुष्य को इच्छित फल नहीं मिल सकता औश्र जीवन-निर्वाह करना दुष्कर है, तब प्रत्येक मनुष्य का परम कर्तव्यह है कि वह ऐसी हितकर तथा अमूल्य वस्तु की रक्षा और मितव्ययता पर अधिक ध्यान दें। मनुष्य नहीं जानता कि उसके ऊपर कब, कौन सी आपदा आ जाए, जिसके कारण उसे धन की आवश्यकता पड़े। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि वह थोड़ा-बहुत धन अवश्य बचाकर रखे। इसका अर्थ यह नहीं कि मनुष्य भूखा रहकर और कंजूसी दिखाकर धन बचाकर रखें। इसका अर्थ यह नहीं कि मनुष्य भूखा रहकर और कंजूसी दिखाकर धन बचाए, वरन वस्त्र एंव अन्य जरूरी चीजें खरीदने के बाद जो धन शेष रहे, उसे व्यर्थ में नष्ट न करें। किसी कवि ने इस विषय में उचित ही कहा है-

‘मनि न नीति है गलति, जो बन रखिए जोड।

खाए खर्चे जो बचे, तो जोरिए करोड़।’

जो मनुष्य धन का सदुपयोग करते हैं, वे सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं। उन्हें धनभाव का कष्ट नहीं भोगना पड़ता है। धन का सदुपयोग करने वाला मनुष्य ही सामाजिक कार्यों में हाथ बांट सकता है।

यह कौन नहीं जानता कि यदि धन का दुरुपयोग किया जाएगा तो इसका अवश्य ही बुरा परिणाम निकलेगा। जो मनुष्य धन का दुरुपयोग करता है, वह कदापि सुखी नहीं रह सकता। परिणाम यह होगा कि वह सदा धन प्राप्त करने में लगा रहेगा औश्र इस पर भी उसकी आवश्यकतांए पूरी नहीं होंगी। संसार में ऐसे अनेक उदाहरण हैं कि जो व्यक्ति पहले बड़े धनवान थे, परंतु धन का दुरुपयोग करने के कारण इतने निर्धन हो गए कि उन्हें खाने तक के लाले पड़ गए।

यद्यपि धन बड़े काम की वस्तु है, तथापि इसमें कुछ बुराइयां भी हैं-धन की अधिक चाह से मनुष्य लालची हो जाता है। वह धन प्राप्त करने के लिए सत्यपुरुषों को भी धोखा देता है। कभी-कभी वह धन-प्राप्ति के लिए मनुष्य के प्राण लेने तक के लिए उद्यत हो जाता है। धनवान मनुष्य को चाहिए कि वह अपने कुटुंबों पर भी धन का सार्थक व्यय करे। शेष धन को सार्वजनकि कार्यों में व्यय कर देना चाहिए, जिससे कि जनता अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सके। यदि कोई मनुष्य आज धनहीन है तो कुछ कालोपरांत धनावान हो सकता है। अतएव प्रत्येक मनुष्य को जीवन में एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिए।

संसार में ऐसे अनेक उदाहरण हैं कि बड़े से बड़े धनी लोगों ने दूसरे के हितार्थ कुछ नहीं किया और उनका धन व्यर्थ में नष्ट हो गया। वहीं उनमें कम धनी, परंतु बुद्धिमान व्यक्तियों ने दूसरों के लिए अपना धन व्यय किया। उदार और धार्मिंग प्रवृति के धनिकों की कृपा से निर्धन विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। रोग-पीडि़तों को दवाएं और अनाथों को आश्रय मिल रहा है।

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