Hindi Essay on “Chandra Shekhar Azad” , ”चंद्रशेखर आजाद” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
चंद्रशेखर आजाद
Chandra Shekhar Azad
महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का जन्म मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में हुआ था। उन्होंने वाराणसी से संस्कृत पाठशाला में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की। युवा अवस्था से पूर्व ही उनको असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी साहसिकता, देशभक्ति और निडरता का पता उनके जीवन में घटी इस घटना से चलता है।
चंद्रशेखर आजाद को न्यायालय ले जाया गया। मजिस्ट्रेट ने उनसे पूछा –
‘तुम्हारा नाम?’
‘आजाद।’
‘पिता का नाम’
‘स्वतंत्रता।’
‘तुम्हारा घर कहां है?’
‘जेलखाना।’
चंद्रशेखर आजाद के निर्भीकतापूर्ण उत्तर सुनकर मजिस्ट्रेट बौखला गया। उसने चंद्रशेखर को तत्काल पंद्रह बेंत लगाने का आदेश दिया। चंद्रशेखर को बालक जानकर बेंत लगाए जाने के लिए बांधा जाने लगा। तब उन्होंने कहा ‘बांधेते क्यों हो?’ बेंत लगाओ। चंद्रशेखर आजाद पर लगातार बेंत के प्रहार होने लगे। वे प्रत्येक प्रहार पर ‘वंदे मातरम’ गांधीजी की जय बोलते रहै।
असहयोग आंदोलन में सम्मिलित होकर वे रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के बहुत करीब आ गए। ‘बिस्मिल’ के नेतृत्व में ‘हिंदुस्तानी रिपब्लिकन एसोसिएशन’ नामक संगठन से अपने को जोड़ लिया था। उसके बाद चंद्रशेखर आजाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
सन 1928 में ‘रिपब्लिकन आर्मी’ की स्थापना हुई थी। आजाद को उसका कमांडर बनाया गया। वायसराय की रेल को बम से उड़ा देने की कोशिश तथा असेंबली में बम फेंकने के जुर्म में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव आदि को फांसी की सजा सुनाई गई थी। आजाद अंग्रेज सरकार के हाथ न लगे। इस बीच किसी मुखबिर की सूचना पर पुलिस सुपरिटेंडेंट नॉट बावर ने एल्फे्रड पार्क इलाहाबाद में उन्हें घेर लिया। आजाद पूरी शक्ति से अपनी पिस्टल ‘माउजर’ से नॉट बावर पर गोलियां चलाते रहे। जब उनके पिस्टल में मात्र एक गोली बची तब उसे अपनी कनपटी में मारकर वह शहीद हो गए। भारत मां का यह अमर सपूत सदा-सदा के लिए हमसे दूर चला गया।