Hindi Essay on “Bodh Dharm” , ”बौद्ध धर्म” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
बौद्ध धर्म
Bodh Dharm
महात्मा बुद्ध बौद्ध धर्म के प्रवर्तक हैं। उनका जन्म लुंबिनी नामक स्थान पर राजा शुद्धोदन के यहां हुआ था। उनके जन्म के समय ज्योतिषियों ने बताया था कि यह बालत या तो चक्रवर्ती सम्राट बनेगा या अपने अलौकिक ज्ञान से समस्त संसार को प्रकाशित करने वाला सन्यासी। अत: इसी डर से राजा ने बालक के लिए रास-रंग के अनेक साधन जुटाए। किंतु राजसी ठाट-बाट उन्हें जरा भी पसंद न था। एक बार वे सैर के लिए रथ पर सवार होकर महल से बाहर निकले। उन्होंने बुढ़ापे की अवस्था में एक जर्जर काया को देखा, रोगी को देखा, फिर एक मृत व्यक्ति की अरथी को ले जाते हुए देखा। इनसे उनके जीवन पर एक अमिट प्रभाव पड़ा। गौतम को वैराज्य की ओर जाने से रोकने के लिए राजा शुद्धोधन ने यशोधरा नाम की रूपवती कन्या से उनका विवाह करा दिया। उनके राहुल नाम का एक पुद्ध भी उत्पन्न हुआ।
महात्मा बुद्ध दुख और कष्टों से छुटकारा पाने के उपाय के बारे में सोचने लगे। एक रात वे पत्पनी और पुत्र को सोता छोडक़र ज्ञान की खोज में निकल गए। कई स्थान पर ध्यान लगाया। शरीर को कष्ट दिए, लंबे-लंबे उपवास रखे, लेकिन तप में मन न रमा। अंत में बोधगया में एक दिन के पीपल के एक वृक्ष की नेची ध्यान लगाकर बैठे। कठोर साधना के बाद उन्हें ज्ञान प्राप्त हो गया। इस कारण उनका नाम ‘बुद्ध’ हो गया। बुद्ध का अर्थ होता है ‘जागा हुआ’, ‘सचेत’, ‘ज्ञानी’ इत्यादि। अब उन्होंने लोगों को कुछ शिक्षांए दी थीं। उन शिक्षाओं को ‘चार आर्य सत्य’ का नाम दिया गया है। जो इस प्रकार हैं-
- सर्व दुखम
- दुख समुदाय
- दुख विरोध
- दुख विरोध-मार्ग
वास्तव में गौतम बुद्ध ने अपने उपदेशों में अहिंसा, शांति, दया, क्षमा आदि गुणों पर विशेष रूप से बल दिया है। भगवान बुद्ध के उपदेशों को जिस ग्रंथ में संकलित किया गया है, उसे धम्मपद कहा गया है।
बौद्ध मंदिरों में बुद्ध की प्रतिमा रहती है। वाराणसी के पास ‘सारनाथ’ नामक स्थान बौद्ध-मंदिर के लिए विश्यात है। बुद्ध के अनुयायियों को ‘बौद्ध भिक्षु’ कहा जाता है। वे मठों में रहते हैं। उस काल में उनके मठ-विहार स्थापित हुए। अनेक राजाओं ने बौद्ध धर्म अपनाया। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया और फिर उसका तेजी से प्रसार हुआ। अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र तथा पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए लंका भेजा। बौद्धों का प्रिय कीर्तन वाक्य है-बंद्ध शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि।