Hindi Essay on “Bharat : Vartman aur Bhavishya” , ”भारत : वर्तमान और भविष्य” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
भारत : वर्तमान और भविष्य
Bharat : Vartman aur Bhavishya
प्रस्तावना – भारत एक महान् देश है। इसकी सभ्यता और संस्कृति सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। प्राचीन काल में इस देश को ‘सोने की चिड़िया कहा जाता है।
अंग्रेजों से स्वतन्त्र होने के बाद भारत में तीव्र गति से विकास हुआ है। देश ने बहुत उन्नति की और चारों ओर अपना परचम लहराया। भारत के विकास तथा उन्नति के लिए दिन-प्रतिदिन नई योजनाओं पर कार्य किये जा रहे हैं। बेरोजगारी तथा अशिक्षिता की दिशा में हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं।
आज दसवीं पंचवर्षीय योजना चल रही है और उसके अपने लक्ष्य हैं। पिछली पंचवर्षीय योजना में बहुत अच्छे परिणाम निकले हैं। इन सब के होते हुए भी हमें इस बात का आंकलन करना चाहिए कि भारत वर्तमान में कैसा है और भ्याविश्य में यह कैसा होना होगा। इस पर कुछ निश्चित मुद्दों के आधार पर विश्लेषण करना सम्भव है।
(1) निधनता: वर्तमान और भविष्य – वर्तमान में भारत में अनेक सुख-सुविधाएं होते हुए भी यह एक निर्धन एवं विकासशील देशों की श्रेणी में आता है। इसका मुख्य कारण दिन-प्रतिदिन बढ़ती जनसंख्या और बेरोजगारी है। वर्तमान में भारत की जनसंख्या सौ करोड़ से ऊपर है जिस कारण बेरोजगारी एवं निर्धनता बढ़ती जा रही है।
निर्धनता को समाप्त करने के लिए सरकार ‘गरीबी हटाओ, देश वचाओं जैसे नारे का प्रचार कर रही है किन्तु इसके लिए कोई व्यावहारिक योजना सामने नहीं आ रही है |
वर्तमान समय में एक अरव से ऊपर की जनसंख्या में लगभग असी करोड़ जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है। उन्हें न तो खाने के लिए दो वक्त की रोटी नसीव होती है, न रहने के लिए मकान होता है और न ही तन ढकने के लिए कपड़े होते हैं। वे सड़क पर रात व्यतीत करते हैं।
भारत में अनेक गांव एवं शहर ऐसे हैं जहां पानी की बहुत कमी है। पानी के लिए प्रतिदिन कलह होते रहते हैं। इस प्रकार भारत की वर्तमान स्थिति निराशाजनक हैं। हां, यदि भविष्य में जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण रखने का प्रयास किया और वेरोजगारी को दूर करने के लिए सरकार की ओर से बेरोजगारों को रोजगार दिया जाये तो भारत भविष्य में एक विकसित तथा शक्तिशाली देश बन सकता है।
(2) शिक्षा क्षेत्र : वममान और भविष्य – वर्तमान समय में शिक्षा की तीव्र गति से वृद्धि हुई है। जगह-जगह अनेक स्कूल-कॉलिज एवं प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किये जा रहे हैं। बच्चों में शिक्षा की भावना जाग्रत करने के लिए सरकार द्वारा बच्चों के लिए ऋण की सुविधा प्रदान की गयी है। सरकार को जल्द ही शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रयास करने चाहियें। शिक्षा की उन्नति के लिए सरकार के अतिरिक्त पूरे देश को एक साथ मिलकर इसके क्षेत्र में होने वाली समस्या को समाप्त करना चाहिये तभी शिक्षा का अधिक-से-अधिक विकास हो गया और लोगों में तेजी से शिक्षा ग्रहण करने की भावना जाग्रत होगी।
(3) कृषिक्षेत्र : वर्तमान और भविष्य – वर्तमान में कृषि के क्षेत्र में तीव्र गति से वृद्धि हुई है। आज भारत अपने देश की जनसंख्या को खाद्यान देने में सक्षम है। प्राचीन समय में हमें खाद्य सामग्री के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन इस समस्या से बचने के लिए हमारे वैज्ञानिकों द्वारा अनेक आविष्कार किये से ही कृषि की उत्पादन क्षमता बढ़ी है। जो संतोषजनक है और देश को विकास के रास्ते पर ले जाने वाली है।
(4) नारी दशा : वर्तमान और भविष्य – वर्तमान समय में नारी की दशा में तीव्र गति से वृद्धि हुई है। आज प्रत्येक नारी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है और पुरुषों के कधे-से-कधू मिलाकर चल रही हैं। वंह आज आत्मनिर्भर है तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पदासीन है। वह प्रतिभा एवं योग्यता में पुरुषों से बहुत आगे हैं।
(5) उच्च एव पिछड़ी जाति : वर्तमान और भविष्य – वर्तमान में उच्च तथा दलित एवं पिछड़ी जातियों में एकसमानता का प्रयास किया जा रहा हैं। सभी शिक्षण संस्थानों रोजगार कार्यालयों तथा सरकारी दफ्तरों में उच्च एवं दलित जाति के लोग एक साथ पढ़ते तथा काम कर रहे हैं। ।
किन्तु आज भी अनेक गांव एवं शहर ऐसे हैं जहां दलित तथा उच्च जातियों में समुनता नहीं है। उच्च जातियों द्वारा पिछड़ी जातियों का अपमान किया जाता है और उन्हें समाज में प्रतिष्ठा भी प्राप्त नहीं है। दलित जाति वालों को हीन दृष्टि से देखा जाता है।
वर्तमान में अनेक स्वयंसेवी संगठनों द्वारा इनकी स्थिति में परिवर्तन करने का प्रयास किया जा रहा है। दलितों को असमान शोषण तथा अशिक्षा से मुक्त करने की कोशिश कृश ह है देश में उच्च एवं दलित जातियों का भविष्य निश्चित तोर पर उज्जवल ही होगा
उपसहार – इस प्रकार भारत का वर्तमान और भविष्य दोनों ही अच्छे हैं। बस उसमें थोड़े-से सुधार की आवश्यकता है और वो है राजनीतिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक गतिशीलता। इन सबके द्वारा ही भारत एक उन्नत एवं समृद्धशाली राष्ट्र बन सकता है।