Hindi Essay on “Bharat ke Gaon”, “भारत के गाँव” Complete Paragraph, Nibandh for Students
भारत के गाँव
Bharat ke Gaon
संकेत बिंदु –भारत गाँवों का देश –गाँवों का वातावरण –गाँवों के खेत, सिंचाई के साधन –गाँवों की स्त्रियाँ
भारत की 80 प्रतिशत जनता, इसके पाँच लाख छोटे-बड़े गाँवों में बसती है। भारतीय गाँवों में मिट्टी के घर हैं, फूस या खपरैल की छतें हैं, आँगन में एक जोड़ी या दो जोड़ी बैल बंधे रहते हैं। किसी-किसी के घर में चार-छ: मुर्गियाँ, एक-दो गाय-भैंसें होती हैं। गाँव में एक-दो घरों में घोड़े या ऊँट भी दिखाई पड़ते हैं। भारतीय गाँव किसी योजना के अनुसार बने नहीं होते, टेढ़ी-मेढ़ी गलियाँ, मार्ग, कीचड़ और कूड़े के ढेर दिखाई देते हैं परंतु इन्हीं गाँवों के घरों से जब ग्रामीण बालक बाहर आते हैं, तो उनकी चमकती आँखें और भोली शक्लें देखकर किसका चित्त नहीं प्रसन्न हो जाता। लहलहाते खेतों को देखकर पता चलता है कि भारतीय किसान अत्यन्त परिश्रमी हैं। जब खेतों में पीली सरसों की चादर बिछी होती है या गेहूँ की सुनहरी बाले खेतों में लहलहाती हैं, तो चित्त आह्लादित हो जाता है। गाँव में चक्की के मधुर स्वर से प्रभात का आरंभ होता है। यहाँ उषा की लालिमा अपने हाथों में सोने का थाल लिए आती है। पेड़ों तथा लताकुंजों में पक्षी प्रभात-वेला का स्वागत करते हैं। सूर्य की पहली किरण के साथ उठकर किसान अपने कंधे पर हल रखकर अपने सखा बैलों को हाँकता हुआ खेतों की ओर जाता है, तो बैलों के गले में बँधी घंटियों से आस-पास का वातावरण गुंजित हो उठता है। भारतीय गाँवों में सिंचाई के भिन्न-भिन्न साधन अपनाए जाते हैं। पर्वतीय गाँवों में नाले या झरने सिंचाई के साधन हैं। मैदानी क्षेत्रों में कुएँ हैं, जिनमें रहट, चरस आदि चलाए जाते हैं। कई स्थानों पर बिजली आ जाने से ट्यूबवैल लग गए हैं और कई स्थानों पर नहरें बन जाने से सिंचाई सुलभ हो गई है। गाँवों की स्त्रियाँ बहुत परिश्रमी होती हैं। बैल-गाय-भैंस की सानी करती हैं। सिर पर मटके उठाकर पर जाती हैं। वहाँ अपनी सहेलियों से सुख-दु:ख की चर्चा करती हैं। ये गाँव की गह-लक्ष्मियाँ हैं। इन्हीं की बदौलत गाँव गरीबी में भी सुख के आगार बने हुए हैं। गाँवों में बिजली आ जाने के कारण पीने का पानी भी सुलभ हो गया ही स्त्रियाँ कढ़ाई-बुनाई-सिलाई में रुचि लेने लगी हैं। कुछ चतुर किसान शाक-भाजी और फलों की भी खेती करते हैं। उनके रवार को इन चीजों को बहुत मोज हो जाती हैं परंतु कुल मिलाकर हमारे गाँव अभी भी दरिद्र हैं। अधिकांश के पास अपना पनि नहीं है। छोटे किसान भी तंग है। शिक्षा का पूरी तरह प्रसार अभी तक नहीं हो पाया है। भारतीय गाँवों के सुधार के लिए अभी भारत सरकार का आर राज्य सरकारों को बहुत प्रयत्न करना होगा। सरकार इस दिशा में प्रयत्नशील है। इन प्रयासों में जी लानी होगी। गाँवों की तरक्की से ही भारत की तरक्की होगी।