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Hindi Essay on “Apni karni Paar Utarni” , ”अपनी करनी पार उतरनी” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

अपनी करनी पार उतरनी

Apni karni Paar Utarni

 

आज क्या, किसी भी युग में व्यक्ति का अपना कर्म ही सब से बढ़कर उसका विश्वसनीय सहायक रहा और हमेशा रहेगा भी। आज के युग में तो अपने कर्म पर और भी भरोसा इस कारण आवश्यक है कि आज हर व्यक्ति केवल अपने लिए जी रहा है। उसे दूसरों के जीने-मरने की कतई कोई चिन्ता नहीं। वैसे भी जमाना आत्मविश्वासी और स्वावलम्बी का ही हुआ करता है, यह एक परीक्षित सत्य है।

‘अपनी करनी पार उतरनी’ कह कर वास्तव में कहने वाला व्यक्ति का आत्मविश्वास जगाना और स्वावलम्ब हुआ करता है। इसी प्रकार स्वावलम्बन से ही व्यक्ति में आत्म भाव जागा करता है। एक और भी कहावत है कि ‘आप न मरिए स्वर्ग न जाइए।’

अर्थात् स्वर्ग-नरक क्या है, इसे स्वयं मर कर ही जाना जा सकता है। दूसरे शब्दों में वास्तव में सुख क्या है, दुःख क्या है, इसका ज्ञान स्वावलम्बी ही प्राप्त कर पाया करता है। उसके लिए जीवन-समाज में कुछ भी कर पाना, कुछ भी प्राप्त करना कतई संभव नहीं होता कि जो अपने कर्म पर विश्वास कर उसमें जुट नहीं जाया करता। आज तक जिस किसी ने भी सफलता पाई है, अपने कर्म और परिश्रम के बल पर ही प्राप्त की है।

अमेरिका, जापान जैसे देशों के उदाहरण हमारे सामने हैं। आज ये देश जो सारे संसार के अर्थतंत्र पर अपनी धाक जमाए हुए हैं, उसका एक मात्र कारण यही है कि यहाँ के लोगों ने अपने हाथों पर, अपने हाथों की उँगलियों और उनकी करनी पर विश्वास रखा। अपने हाथों को हमेशा कुछ करने, कुछ पाने यानि पार उतरने की दिशा में सक्रिय रखा। परिणाम सामने है। वह यह कि आज सारा विश्व इन का लोहा मानता है। काम छोटा हो या बड़ा, हाथ हिलाए बिना कभी भी पूरा नहीं हो पाया करता। परीक्षा छोटी कक्षा की हो या बड़ी की, उसे उत्तीर्ण करने के लिए उसी के हिसाब से परिश्रम करना ही पड़ता है। परिश्रम के सिवा अन्य कोई चारा नहीं। अतः यदि कुछ भी करना है, यदि सचमुच सफलता प्राप्त करनी है तो अपने हाथों की तरफ देखिए अर्थात हाथों की शक्ति पर विश्वास कर कर्म करना शुरू कर दीजिए।

मानव-सभ्यता के औरम्भ काल से लेकर आज तक जितनी भी प्रगति और विकास हो पाया है, वह हाथ-पर-हाथ रख कर बैठे-बिठाए न हुआ है। आज मानव जो अन्य ग्रही से बातें कर पाने में समर्थ हो सका है, उसका कारण हाथों का मन-मस्तिष्क की प्ररणा के अनुसार सक्रिय रहना ही है। सो, अभी भी उठ खड़े होइये । ठीक दिशा में हाथ-पाँव पलाने शुरू का दीजिए। निश्चय ही सफलता आप की राह देख रही है।

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