Hindi Essay on “Aids Bachav hi Ilaj”, “एड्स-बचाव ही इलाज” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.
एड्स–बचाव ही इलाज
Aids Bachav hi Ilaj
भारत में दुनिया के सबसे अधिक एड्स पीड़ित है या नहीं, यह एक विवाद का विषय है। स्वास्थ्य की दृष्टि से निस्सन्देह आने वाले समय में देश के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती होगी। महिलाओं, बच्चों में इस रोग का संक्रमण बहुत तेजी से बढ़ रहा है तथा शहर की अपेक्षा गाँवों में इसका प्रकोप तेज़ी से फैल रहा है।
एड्स (AIDS) अंग्रेजी का शब्द है जिसका अर्थ है ‘Acquired Immuno Deficiency Syndrome’ (एक्वायर्ड एम्यूनो डेफिशिएनसी सिंड्रोम)। यह एक बहुत ही खतरनाक और जानलेवा रोग है क्योंकि अभी तक इस रोग का कोई उपचार नहीं मिल पाया है। यह बीमारी कहां से,कैसे हमारे तक पहुँची? कुछ लोगों का विश्वास और मानना है कि यह रोग दक्षिणी अफ्रीका में रहने वाले वनमानुषों द्वारा शुरू हुआ है। अधिकतर यह रोग गरीब लोगों तथा अनपढ़ लोगों को अपना शिकार बनाता है। सबसे अधिक इस रोग से ग्रस्त ट्रक-ड्राइवर, रिक्शा-चालक या अन्य गरीब लोग हुआ करते हैं। यह रोग निम्नलिखित चार कारणों से फैलता है-
-संक्रमित खून चढ़ाने से।
-संक्रमित सूई अथवा सरिंज के प्रयोग द्वारा।
-असुरक्षित यौन सम्बन्धों के कारण।
-वंशानुगत।
सक्रमित खून चढाने से– यह रोग उस व्यक्ति को लग जाता है जिसकेशरीर में ऐसे रोग के कीटाणुओं से युक्त किसी व्यक्ति का खून चढ़ाया जाता है।
संक्रमित सूई अथवा सरिंज द्वारा– यह रोग किसी उस व्यक्ति को भी आ घेरता है जिसके शरीर में इस रोग से युक्त किसी सूई अथवा सरिंज का प्रयोग उसके शरीर में खून चढ़ाने के लिए किया जाता है।
असुरक्षित यौन सम्बन्ध– यदि कोई परूष अथवा स्त्री अपने से अन्य किसी दूसरे की स्त्री या पुरूष के साथ अनैतिक शारीरिक यौन सम्बन्ध बना लेते हैं और उसके लिए कोई सुरक्षित ढंग (कंडोम) नहीं अपनाते तो भी यह रोग एक व्यक्ति को दूसरी स्त्री द्वारा या एक स्त्री को दसरे पुरूष द्वारा लग जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार 85 फीसदी बीमारी का प्रकोप इसी से बढ़ता है।
वंशानुगत– यह रोग आगे चलकर उन माता-पिता के बच्चों में भी घर कर जाता है जिन बच्चों के माता-पिता को यह रोग होता है अथवा वे HIV +ve (एच. आई. वी. पॉजिटिव) होते हैं । HIV यानि Human Immunodeficiency Virus (ह्यमन एम्यूनोडैफीसीऐंसी वायरस)।
इसका निदान–
- जब भी किसी व्यक्ति को खून चढ़ाया जाता है तो उसे सबसे पहले जाँच करवा लेना चाहिए कि जो खून उसको चढ़ाया जा रहा है कि कही उसमें HIV +ve (एच. आई. वी. पॉजिटिव) के कीटाणु तो नहीं हैं।
- जब भी किसी व्यक्ति को कोई टीका सूईयां अथवा सरिंज द्वारा लगाया जाता है तो केवल एक बार प्रयोग की जाने वाली (Disposable) सई या सरिंज का ही प्रयोग करना चाहिए। प्रयोग के पश्चात् उनको फैंक दिया जाना चाहिए या फिर उस सई या सरिज का प्रयोग किया जाना चाहिए जिसको खौलते गर्म पानी म अच्छी प्रकार से उबाला गया हो।
- किसी भी पुरूष या महिला को एक दूसरे के साथ असरिक्षत यौन सम्बन्ध नहीं बनाने चाहिए। यह उसके अपने परिवार, समाज या देश के हित में नहीं। जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि यह एक जान लेवा बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं है।
- यदि कोई महिला या पुरूष इस जानलेवा रोग से ग्रस्त है या उनमें HIVT (एच. आई. वी. पॉजिटिव) के लक्षण पाए जाते हैं तो उन्हें बच्चे को जन्म नहीं दना चाहिए क्योंकि वे यदि ऐसा करेंगे तो उनके बच्चों को भी यह बीमारी लग जाने का भय बना रह सकता है। इसीलिए कहा गया है कि इलाज से परहेज बेहतर है।
पिछले सालों कई खबरें प्रकाश में आई कि किसी अज्ञात बीमारी द्वारा लोगों की मौतें हो रही हैं। इसके पीछे ‘एडस’ की सम्भावना को सभी ने स्वीकारा है। गांवों में यह रोग काफी तेजी से फैल रहा है। कुछ लोगों का यह भी मानना है यह शहरी क्षेत्र की बीमारी है और जहां यौनाचार होता है. वहीं इसकी सम्भावना अधिक होती है।
कोलकात्ता के प्रसिद्ध सोनागाछी रेड लाइट एरिया में एड्स रोगी बहुत पाए जाते हैं क्योंकि वहां सैक्स वर्कज़ की भरमार है। इसीलिए वहां पर कई प्रकार के जागरूकता अभियान लोगों को जागरूक करने के लिए चलाए गए, मुफ्त में कंडोम भी बांटे गए और इसके अच्छे परिणाम भी सामने आए।
दक्षिण भारत में विशेषकर आन्ध्र प्रदेश में एडस के बढ़ते संक्रमण की बात सामने आई तो यहां भी इस दिशा में काम हुआ। सरकार और यू. एन. एड्स दोनों के आंकड़े बताते है कि यहां संक्रमण की दर थमी है। जहां दक्षिण भारत में इस रोग की दर थमी है वहीं यह रोग उत्तरी भारत के इलाकों में बहुत अधिक तेज़ी से अपने पाँव पसार रहा है। पंजाब के जिला अमृतसर में एड्स बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। ग्रामीण और सरहदी इलाकों में तो इसने एक खतरनाक रूप धारण कर लिया है।
इसका सबसे बड़ा कारण जो उभर कर सामने आता है वह इन इलाकों में ड्रग्स का व्यापार और साथ में सैक्स का निर्बाध कारोबार हैं । मनुष्य की जीवन शैली और आचार व्यवहार भी बड़ी तेजी से बदल रहा है। पश्चिमी सभ्यता एवं संस्कृति का प्रभाव भी हमारे जीवन में बहुत तेजी से बढ़ रहा है जिसके कारण समलैंगिकता का प्रचलन भी बढ़ा है। एड्स जगत में इसे “मैन हैविंग सैक्स विद मैन” (एम.एस.एम) कहा जाता है।
छह फीसदी एच.आई.वी. एडस संक्रमण के लिए अभी तक सही कारण का पता नहीं चला था लेकिन अब इसका भी पता लगा लिया गया है इस क्षेत्र से जुड़े नामवर लोगों का कहना है झोला छाप डाक्टर अर्थात् नीम हकीम भी मुख्य रूप से जिम्मेवार है।
अन्त में हम कह सकते हैं कि इस रोग के फैलने का कारण चाहे कोई भी रहा हो समय रहते इसकी रोकथाम की ही जानी चाहिए। स्वास्थ्य एवं कल्याण मन्त्रालय को चाहिए कि वह जल्दी से जल्दी इस रोग के निदान के लिए कोई ठोस कदम उठाए। इसके अतिरिक्त और सरकारी एजेंसियाँ, निर्वाचित प्रतिनिधि, स्वंय सेवी सामाजिक संस्थाएं, मीडिया तथा आम लोगों को भी इस भयानक रोग को फैलने से रोकने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। इस विषय पर विभिन्न प्रोग्रामों का आयोजन करके लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास करना चाहिए।