Hindi Essay, Moral Story, Story on Proverb “Tiriya se Raj Chipe na Chipaye” “तिरिया से राज छिपे न छिपाए” Complete Story Paragraph for Students of Class 9, 10 and 12.
तिरिया से राज छिपे न छिपाए
Tiriya se Raj Chipe na Chipaye
एक पति-पत्नी का आपस में बहुत प्रेम था। दोनों एक-दूसरे पर पूरा विश्वास करते थे। यहां तक कि पति ने अपनी पत्नी के प्रेम के आगे पूरे परिवार को दरकिनार कर दिया था। पत्नी के लिए वह घर के सब लोगों से लड़ लेता था। वह जानता था कि उसके माता-पिता कितने सीधे और सच्चे हैं, लेकिन जब कोई मौका आता, तो पत्नी का ही पक्ष लेता था। भाई से अच्छे संबंध होने के बाद भी वह कोई विशेष बात उसे नहीं बताता था। अपनी पत्नी को सबकुछ बता देता था।
एक दिन वह घूमता हुआ गांव के एक अनुभवी व्यक्ति काका के पास गया। काका बहुत अनुभवी व्यक्ति थे और उसके पिता के पक्के दोस्त थे। दोस्त तो अब भी थे, लेकिन पहले जैसा घूमना-फिरना, उठना-बैठना नहीं हो पाता था।
काका को अपनी राजी-खुशी बताते समय अपनी पत्नी के बारे में अधिक बोलता था। उसकी प्रशंसा करता रहा था। उसने यह भी बताया कि जो भी राज की बात होती है, पत्नी से छिपाता नहीं है। विश्वास के मामले में उसने पूरे परिवार को शक की नजर से देखना शुरू कर दिया था।
जब वह सबकुछ बताकर थक गया, तब काका ने कहा, “जो तुम सोच रहे हो, वह सही नहीं है। अपनी पत्नी के बारे में तुमको जरूरत से ज्यादा विश्वास है। किसी समय परीक्षा लेकर देखो, फिर पता चलेगा कि कौन कितनी राज की बात छिपा सकता है? मैं यह नहीं कह रहा कि तुम्हारी पत्नी का प्रेम सच्चा नहीं है। कभी-कभी सच्चा प्रेम करने वाला नासमझी में अपने प्रिय का हित करने के चक्कर में अहित कर बैठता है।”
सारी बात सुनकर वह अधीर हो उठा। उसने जल्दी-से-जल्दी पत्नी की परीक्षा लेनी चाही। उसने काका से कुछ करने के लिए पूछा, तो काका ने उससे एक नाटक रचने को कहा और उसे विस्तार से समझा दिया।
एक दिन रात के समय वह एक कटा तरबूज अंगोछे में लपेटे हुए लाया। उसकी पत्नी ने देखा अंगोछे से टपक-टपककर लाल बूंदें गिर रही हैं। वह अपनी पत्नी से बोला, “देख किसी से कहना मत। मैंने एक आदमी का सिर काट लिया है। इसे छिपाना है, नहीं तो मुझे सिपाही पकड़ लेंगे और मुझे फांसी की सजा मिलेगी।” उसने अपनी पत्नी से एक फावड़ा मंगवाया और घर के बाएं ओर थोड़ा चलकर एक पेड़ के नीचे उस अंगोछे में लिपटे तरबूज को रख दिया। वहीं उसने एक गड्ढा खोदा और उसमें उस तरबूज को अंगोछे सहित गाड़ दिया। ऊपर से मिट्टी डालकर वह जगह समतल बना दी।
उसकी पत्नी इस घटना से बेचैन हो उठी। अपने पति से कुछ नहीं कहती थी, बल्कि अंदर-ही-अंदर घुटन महसूस कर रही थी। उसे एक दुख-सा महसूस होता था। अब वह मन में रखे इस बोझ से हलका होना चाहती थी। एक दिन उसने अपनी पक्की दोस्त पड़ोसन को यह बात सुना दी। और कहा, “देख बहन, किसी से कहना मत, नहीं तो मेरे पति को फांसी हो जाएगी।”
उस महिला को भी वह बात नहीं पची। उसने अपनी पक्की दोस्त पड़ोसन महिला को यह घटना सुनाई और कहा, “देख बहन, किसी से कहना मत। नहीं तो उसके पति को फांसी हो जाएगी।” इसी प्रकार एक ने दूसरे से, दूसरे ने तीसरे से, तीसरे ने चौथे से कहा और फिर यह खबर पूरे गांव में फैल गई। बहुत-सी औरतों ने यह घटना अपने आदमियों से भी कही। एक दिन ऐसा आया, जब यह खबर इलाके के थाने में पहुंच गई।
फिर क्या था? सुबह तड़के दरोगा और सिपाही उसके घर जा पहुंचे। जब गांव वालों को पता चला तो गांव के तमाम लोग आए। काका भी उसके घर पहुंच गए थे। दरोगा ने सबसे पहले उसकी औरत को धमकाकर पूछा, “बता तेरे आदमी ने सिर कहां गाड़ा है? नहीं तो तुझे फांसी हो जाएगी।” उसने डर के मारे वह स्थान इशारा करके दिखा दिया।
जब उस स्थान को खोदा गया तो अंगोछे में लिपटा हुआ एक कटा तरबूज निकला। जब उसके आदमी को डांटा गया, तो उसने पूरी घटना कह सुनाई। काका ने भी कहा कि इसने अपनी पत्नी की परीक्षा लेने के लिए यह किया था।
सब लोग चले गए। दरोगा भी चला गया। वह अपने पति के आगे पानी-पानी हो गई। अपनी पत्नी के सामने ही उसके मुंह से निकल गया
‘तिरिया से राज छिपे न छिपाए।’