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Hindi Essay, Moral Story “Bhagte Chor ki Langoti hi Sahi” “भागते चोर की लंगोटी ही सही” Story on Hindi Kahavat for Students of Class 9, 10 and 12.

भागते चोर की लंगोटी ही सही

Bhagte Chor ki Langoti hi Sahi

 

एक चोर चोरी करने निकला। रात अंधेरी थी। उसने एक बनिये के घर में पिछवाड़े से सेंध लगा दी।

घर में घुसकर सामान टटोलने लगा। जैसे ही वह सामान लेकर चला कि कोई हलकी-सी चीज गिरी। उसकी आवाज से बनिया जाग गया और अंदर कमरे की ओर दौड़ा। चोर सामान लेकर सेंध से निकल ही रहा था कि बनिये ने पीछे से कमर पकड़ने की कोशिश की। चोर ने सामान बाहर फेंककर बनिये की पकड़ से बचने की कोशिश की। चोर तो निकलकर भाग गया, लेकिन चोर की लंगोटी बनिये के हाथ में आ गई।

बनिये ने देखा कि नंगा चोर भागता जा रहा है और कुछ दूर जाकर अंधेरे में गायब हो गया। उसके शरीर पर लंगोटी थी, सो बनिये के हाथ में रह गई थी। बनिये ने शोर मचाया तो तमाम लोग इकट्ठे हो गए। गांव वालों ने बनिये से चोर के बारे में पूछताछ की। बनिये ने बताया कि किसी वस्तु के गिरने की आवाज से मेरी नींद टूट गई और मैं तुरंत दौड़ा, तो चोर सेंध से निकलकर भाग रहा था। मैंने जैसे ही उसे पकड़ा तो उसकी यह लंगोटी मेरे हाथ में आ गई और वह नंगा ही भागता चला गया।

दीये की रोशनी में जब उसने लंगोटी लोगों को दिखाई तो गांव के दर्जी ने पहचान लिया।

सुबह होते ही बनिया कुछ लोगों के साथ मुखिया के पास गया। लंगोटी दिखाते हुए बनिये ने पूरी घटना सुनाई। मुखिया ने लंगोटी देखकर कहा, “चलो, ‘भागते चोर की लंगोटी ही सही। इससे सब कुछ पता चल जाएगा।”

उस लंगोटी के जरिए ही चोर तक पहुंचे और उसने चोरी करना स्वीकार कर लिया।

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