Hindi Essay on “Hamara Pradesh Punjab”, “हमारा प्रदेश – पंजाब” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.
हमारा प्रदेश – पंजाब
Hamara Pradesh Punjab
ऋषि-मुनियों, अवतारों और गुरुओं की पवित्र धरती,जहां सर्व-प्रथम वेदमंत्री के स्वर गूंजे थे, जहां नानक और फरीद आदि ने अपनी पवित्र वाणियों का उच्चारण किया था, जहां पूर्ण भक्त जैसे मर्यादा प्रेमियों ने अपना आप बलिदान देना स्वीकार किया था, जहां हकीकत राय जैसे धर्मप्रेमियों ने धर्म के लिए आहुति दे दी थी, जहां महाराजा रणजीत सिंह के न्याय का डंका बजता था, जहां भगत सिंह जैसे मृत्युजयी थे, हमारा वह पंजाब देश के बटवारे ने पंज+ आब अर्थात् पाँच नदियों का देश नहीं रहने दिया ।
इस बदलते हुए युग में हमारा पंजाब भी बहुत बदल गया है। सुबह-सवेरे मथानियों का संगीत, कुओं पर पानी भरती हुई मुटियारों की भीड़, गांव के कच्चे रास्तों पर पशुओं के आने जाने से उड़ती हुई धूल, रहटों की मधुर ध्वनि, बरगद की घनी छांह में बजते हुए अलगोजे, नटों और बाज़ीगरों के तमाशे कुछ भी तो शेष नहीं रहा । इसे हानि न समझें, यह प्रगति की यात्रा है, विकास के चिन्ह हैं।
हर गांव में बिजली पहुंच चुकी है । हर गांव के हर घर में रेडियो, टी.वी. बजते हैं । टेलीफोन की सुविधा भी अब अधिकतर गांवों में उपलब्ध है । कच्चे घर बहुत कम रह गए हैं । हर जगह पक्की हवेलियां, कोठीयां सिर उठाए दिखाई दता है । घर घर में नलके हैं । खेतों की सिंचाई के लिए टयूबवैल हैं। की जगह ट्रैक्टरों ने ले ली है । काटने और ओसाने का काम भी मशीनें करती हैं । हर गांव में ‘फिरनी’ है जो पक्की सड़क से गांव को मिलाती है । कोई गांव ऐसा नहीं रहा जो सडक के द्वारा शहरों से न जुड़ गया हो । गांव गांव में सहकारी बैंक हैं । प्रति एकड उपज पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है । अन्य प्रदेशों किसानों की तलना में पंजाब का किसान पहले भा समृद्ध था परन्तु अब तो उसकी समृद्धि और भी बढ़ गई है ।
हमारा पंजाब वस्ततुः जीना जानता है। खाने-पीने और पहनने का इतना शौक शायद ही कहीं और मिले । हां, महंगाई और बदलते हुए जीवन ने खुराक में परिवर्तन कर दिया है । दूध, दही और लस्सी की जगह चाय पहुंच गई है, फिर भी जैसे दूध-दही पंजाब में मिलता है वह अन्यत्र नहीं । शहरों में सिनेमाघरों और होटलों की भरमार है । कपड़ों के फैशन नित्य नए से नए बदलते रहते हैं । पंजाब का अपना पुराना पहरावा भी अब धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है । भाखड़ा-नंगल के बांध ने सिंचाई की सुविधाएं दी हैं । बिजली का उत्पादन बढ़ाया है । मछली पालन में वृद्धि हुई है । नंगल के खाद कारखाने से केवल पंजाब को ही नहीं अपितु सारे देश को लाभ होता है ।
कल कारखाने और उद्योगों की दृष्टि से भी हमारा पंजाब बहुत उन्नत है। लुधियाना में हौज़री का माल-जुराबें,बुनियान, स्वैटर आदि तैयार होता है जिसका विदेशों में निर्यात भी किया जाता है । इसके अतिरिक्त लुधियाना में साईकल, सिलाई मशीनें और मोटरों, स्कूटरों तथा ट्रैक्टरों के पुों का भी निर्माण होता है जो सारे देश में तथा देश से बाहर भेजे जाते हैं । बटाला और जंडियाला में पीतल तथा कांसी के बर्तन बनते हैं । बटाला में चारा काटने की मशीनें और खेती बाड़ी के अन्य औज़ारों का निर्माण होता है । खेलों का सामान बनाने में जालन्धर का नाम सब से ऊपर है। कपड़ा उत्पादन की दृष्टि से अमृतसर का अत्यन्त महत्त्व हे ; आर्टसिल्क, नायलोन और ऊन के बढ़िया कपड़े का निर्माण यहां होता है । धारीवाल तो ऊनी कपड़े के लिए विभाजन से पहले से ही प्रसिद्ध है। गोबिन्दगढ़ और अमृतसर में स्टील रोलिंग मिलें भी हैं । कहने का अभिप्राय यह कि जहां हमारा पंजाब खेती बाड़ी में सबसे आगे है वहां कलकारखानों में भी वह पिछड़ा हुआ नहीं है ।
पंजाब में शिक्षा का प्रचार भी बड़ी तेज़ी से हो रहा है । पंजाब, पंजाबी और गुरु नानक देव-ये तीन विश्वविद्यालय इस समय शिक्षा के विकास में लगे हुए हैं । लुधियाना कृषि विश्वविद्यालय अपने क्षेत्र में विशेष महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है । उन्होंने कई नए बीजों और नई विधियों की खोजें की हैं । साहित्य और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी हमारा पंजाब पीछे नहीं है । पंजाबी भाषा में ता बहुत अच्छा और प्रगतिशील साहित्य लिखा जा रहा है । लब्धप्रतिष्ठ पंजाबा लेखक पंजाब के ही हैं । हिन्दी के क्षेत्र में भी आज के पंजाब वासी हिन्दी लेखको ने नाम कमाया है ; जैसे जगदीश चन्द्र, सुरेश सेठ, आचार्य रामदेव, नरेन्द्र मोहन आदि। अमृतसर में होलियों पर होने वाला संगीत सम्मेलन,जालन्धर का हरवल्लभ का संगीत सम्मेलन पंजाब के संगीत प्रेम को प्रकट करते हैं । बहुत सी नाटय मंडलियां भी हैं जो रंगमंच की नवीन परम्पराओं को जन्म और प्रोत्साहन दे रही है । नृत्य आदि के कार्यक्रम भी चलते हैं ।
कभी कभी किसी मेले पर पुराने पंजाब की हल्की सी झलक मिल जाती है जैसे सड़क के किनारे तले जा रहे पकौड़े, बन रही जलेबियाँ, ढोल की ताल के साथ भंगड़े का पौरुषपूर्ण लोकनृत्य । वैसे यह पंजाब अब आधुनिक पंजाब है । अब भी देश के अन्नभण्डार को भरने में पंजाब का योगदान महत्त्वपूर्ण है । विदेशी विनिमय कमाने में भी पंजाब देश का प्रमुख सहायक है । भारत की सुरक्षा करने वाले सपूतों में से अधिकांश पंजाब के हैं । हमारा पंजाब भारत की शक्तिशाली सशस्त्र भुजा है जो आक्रमणकारी से लोहा लेना जानती है। हमारा पंजाब भारत का सशक्त और गौरवमय भाग है ।