Gali Ka Jawab, “गाली का ज़वाब” Hindi motivational moral story of “Dayananda Saraswati” for students of Class 8, 9, 10, 12.
गाली का ज़वाब
Gali Ka Jawab
एक दिन स्वामी दयानन्द वाराणसी में गंगा-स्नान करने के बाद सीढ़ियां चढ़ रहे थे। सामने से एक आदमी आया। वह स्वामी जी के विचारों को नहीं मानता था। वह उन्हें गालियां देने लगा। स्वामी जी मुस्कुराते हुए सीढ़ियाँ चढ़ते रहे। इतने में एक भक्त ने स्वामी जी से कहा-“यह आदमी आपको बहुत देर से गालियाँ दे रहा है। आप क्यों सुनते जा रहे हैं? आप इतने बलवान हैं कि यदि आप थप्पड़ मारें तो यह गिर जायेगा।” स्वामी दयानन्द ने हंसकर कहा-” भाई, यदि तुम्हें मनुष्य कोई वस्तु दे और तुम उसे न लो, तो क्या होगा?” उस भक्त ने कहा- “वह वस्तु देने वाले के पास रह जायेगी।” स्वामी जी ने कहा- “बस ठीक है। उस आदमी ने हमें कई गालियां दीं परन्तु हमने ली ही नहीं। गालियां इसके पास ही रह गईं।”
यह सुनकर गालियां देने वाले ने स्वामी दयानन्द के पाँव पकड़ लिए और कहने लगा-” आप सचमुच महात्मा हैं। मुझे क्षमा कीजिये। मुझसे बहुत भूल हुई है।”