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Dino par Daya, “दीनों पर दया” Hindi motivational moral story of “Mahadev Govind Ranade” for students of Class 8, 9, 10, 12.
दीनों पर दया
Dino par Daya
रानाडे अपने साथी बालकों से बहुत प्रेम करते थे। वे खाने-पीने की चीजें अपने साथियों में बाँटकर खाते थे। एक बार माता ने इनको दो बर्फ़ी के टुकड़े दिये। उन्होंने बड़ा टुकड़ा पास के साथी को दे दिया और छोटा स्वयं खा लिया। यह देख माता ने रानाडे से कहा-“अरे, तूने यह क्या किया ? वह बड़ा टुकड़ा तो तेरे लिये था। “
बालक रानाडे ने मुस्करा कर उत्तर दिया, “मां, तुम्हीं ने तो दीनों पर दया करने को कहा था।”
माता यह उत्तर सुनकर बहुत प्रसन्न हुई और रानाडे को हृदय से लगा लिया। यही महादेव गोविन्द रानाडे बड़े होने पर बम्बई हाईकोर्ट के न्यायाधीश हुए।