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Daan bada shubh kaam, “दान बड़ा शुभ काम” Hindi motivational moral story of “Raja Bhoj” for students of Class 8, 9, 10, 12.

दान बड़ा शुभ काम

Daan bada shubh kaam

राजा भोज के दरबार में शीतल नाम के एक कवि थे, जिन्हें राजकवि का दर्जा मिला हुआ था। एक दिन राजकवि गर्मी की प्रचंड धूप में कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक अति दुर्बल आदमी नंगे पैर कहीं जा रहा है और तेज गर्मी व धूप के कारण बहुत दुखी हो रहा है। न तो वह अति दुर्बल होने के कारण भाग पाता है और न ही छाया के अभाव में बैठ सकता है। राजकवि से उसका दुख न देखा गया उन्होंने अपने जूते उतार कर उसे पहनने के लिए दिये और स्वयं नंगे पैर चलने लगे। इतने में राजा भोज का महावत कहीं से वापस आ रहा था। उसने राजकवि को नंगे पैर चलते देखा, तो उनको तुरन्त हाथी पर बैठा लिया। इतने में सामने से महाराज भोज भी कहीं से रथ पर सवार होकर आ रहे थे। उन्होंने हंसी में राजकवि से पूछा, “आपको यह हाथी कहाँ मिल गया ?” राजकवि ने प्रत्युत्तर दिया, “टूटा जूता दिया दान में जिसका यह परिणाम मिला, बैठने को यह हाथी दान बड़ा शुभ काम।

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