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Bhookh ka Mahatva, “भूख का महत्त्व” Hindi motivational moral story of “Rahul Sankrityayan” for students of Class 8, 9, 10, 12.
भूख का महत्त्व
Bhookh ka Mahatva
एक बार महापंडित राहुल सांकृत्यायन अपने मित्र के घर गए। मित्र के घर दो अन्य सज्जन भी ठहरे हुए थे। मित्र ने सभी के लिए खिचड़ी बनाई। खिचड़ी सबसे पहले राहुल जी ने खाई। जब अन्य सज्जनों ने खिचड़ी खाई तो ज्ञात हुआ कि खिचड़ी में नमक बिल्कुल भी नहीं है। सभी को इस बात पर आश्चर्य हुआ कि राहुल जी ने बिना नमक वाली खिचड़ी कैसे खाली। जब सभी ने राहुल जी से इस बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, “मेरा ध्यान इस ओर गया ही नहीं। भोजन करते समय मैं अपने अध्ययन की किसी गुत्थी को सुलझाने में लगा था। मेरे लिए उदरपूर्ति के मामलों में जिहवा के स्वाद का कोई महत्त्व नहीं है। महत्त्व स्वाद का नहीं, भूख का होता है।”