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Abhilasha, “अभिलाषा” Hindi motivational moral story of “Premchand” for students of Class 8, 9, 10, 12.
अभिलाषा
Abhilasha
उपन्यासकार मुंशी प्रेमचन्द बड़े हंसमुख, जिन्दादिल व मज़ाकिया प्रवृत्ति के थे। उनके सम्पर्क में आने वाला कोई उदास नहीं रहता था। एक बार उन्हें प्रयाग विश्वविद्यालय की साहित्य परिषद् ने अध्यक्ष पद हेतु बुलाया। आते ही मुंशी प्रेमचन्द ने अपने चुटकीले वाक्यों से हास्य बिखेरना शुरू कर दिया।
तभी उनसे एक छात्र ने प्रश्न किया-‘ हुजूर, जीवन में आपकी सबसे बड़ी अभिलाषा क्या है ?’ हंसी-मजाक के लहज़े में ही मुशी जी ने कहा- “बंधुओं ! मेरी सबसे बड़ी अभिलाषा व लक्ष्य ही है कि परमात्मा मुझे सदा मनहूसों, उदासीनों व मायूसों से बचाये रखे, ऐसे लोगो के मध्य रहकर मेरा दम घुटने लगता है।” मुंशी जी का जबाव सुन कर सब खिलखिला कर हंस पड़े।