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A Visit to Buddha Garden “गार्डन की सैर” Complete Hindi Essay, Nibandh for Class 8, 9, 10, 12 and Graduation and other classes.

गार्डन की सैर

पिछले इतवार को हमारी कक्षा बुद्धा गार्डन गई। यह एक खूबसूरत विहार का स्थान है। यह एक छोटी-सी पहाड़ी के ढलान पर, रिज रोड पर स्थित है।

हम लोग 52 विद्यार्थी, 2 अध्यापक और स्कूल का चपरासी थे। हमारी बस स्थान पर सुबह 10 बजे पहुँच गई। हमने हमारा सामान उतारा (उठाया और बुद्धा गार्डन में प्रवेश किया। पार्किंग के स्थान पर बहुत से वाहन खड़े थे।

पार्क में दूसरे बहुत से लोग थे। वे रंग-बिरंगे पहनावों में थे। वे प्रकृति के सौन्दर्य का आनन्द ले रहे थे। वे विभिन्न दिशाओं में चल रहे थे। हमने एक पेड़ की छाया में चादर बिछा ली। हमने अपने थैले और खाना वहाँ रख दिया। चपरासी को वहाँ ध्यान रखने को कहा गया।

हमारे अध्यापक हमें बाग के रास्तों पर ले गए ताकि हम अच्छी तरह सब देख सकें। हमने वहाँ पर सुन्दर पौधे, फूल, झाड़ और पेड़ देखे! हमने स्वयं को प्रकृति की गोद में पाया। वहाँ हवा ताजा और ताजगी प्रदान करने वाली थी। पक्षी पेड़ की शाखा पर चहचहा रहे थे। वहाँ पर तितलियाँ और तोते भी थे। सूरज आसमान पर चमक रहा था। हमने सूर्य की गर्मी को महसूस किया। हम अपने सामान वाले स्थान पर आ गए। चपरासी वापिस आए हुए हमें देख कर प्रसन्न हो गया। हमने अपना खाना निकाला और खा लिया।

खाने के बाद हमने महेश को अपनी पसन्द का गाना गाने के लिए मज़बूर किया। उसने ‘छंईया-छंईया’ गीत गाया। हम सबको अच्छा लगा। कुछ विद्यार्थियों ने एक-एक करके गाने गाए। तब हमें आराम करने को कहा गया। और चादरें बिछाई गई। हममें से कुछ ने ताश खेली। मैंने अंग्रेजी के अपने अध्यापक के साथ शतरंज खेली। कुछ विद्यार्थी गप्पे मार रहे थे। कुछ ने कहानियाँ सुनाईं। शाम को 4 बजे हमने चाय और पकोड़े बनाए। हर किसी ने उनका मज़ा लिया।

अन्त में शाम के पांच बजे हमने अपना सामान सम्भाला और वापिसी यात्रा के लिए तैयार हो गए। हम पार्किंग पर आए और अपनी स्कूल की बस पर सवार हो गए। अध्यापकों ने बच्चों की गिनती की। चपरासी के अतिरिक्त सभी मौजूद थे। ड्राईवर ने दो-तीन बार हॉर्न दबाया। तभी चपरासी तेज़ भागता हुआ बस तक आ गया। बस चल पड़ी। आधे घण्टे के बाद वह स्कूल में आ गई। तब हम अपने-अपने घर चले गए। यह विनाशक बुद्धा गार्डन की एक बहुत मनोरंजक यात्रा थी।

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