A Journey by Aeroplane “हवाई जहाज़ द्वारा यात्रा” Complete Hindi Essay, Nibandh for Class 8, 9, 10, 12 and Graduation and other classes.
हवाई जहाज़ द्वारा यात्रा
मेरी सदा हवाई जहाज़ में उड़ने की इच्छा रही है। मैंने अपनी यह इच्छा अपने पिता जी के सामने प्रकट की। वे हम सब को वायुयान में ले जाने को मान गए। मैंने और मेरी बहन ने परिक्षाओं के दौरान बहुत परिश्रम किया। जल्द हमारी परीक्षा पूरी हो गई। हमें विश्वास था कि हमारी परीक्षा अच्छी हुई थी। परिणाम आया और हम दोनों की अपनी कक्षाओं में अच्छा स्थान आया। मेरे पिता जी परिणाम से प्रसन्न हुए। उन्होंने एक दम बंगलौर की चार हवाई टिकटों का इन्तज़ाम किया।
हम उड़ान से एक घण्टा पहले हवाई अड्डे पर पहुँच गए। अन्दर प्रवेश के बाद हम सुरक्षा जांच के लिए गए और सवार होने वाले स्थान पर पहुँच गए। वहाँ हमें सवारी के पास दिए गए। जल्द हम उस बस में सवार हो गए जो हमें हवाई जहाज़ में लेकर जाने वाली थी। बस हमें वायुयान तक ले आई। हम बस से उतरे। वहाँ हमारे सामने हवाई जहाज़ के खुले दरवाजे के साथ जोड़ी गई सीढ़ियाँ थीं। हम ने हवाई जहाज़ में प्रवेश किया। हमारा दरवाज़े पर मुस्कुराती हुई एयर होस्टेस ने स्वागत किया। उसने हमारी सीटों को हमें बताया। मैं खिड़की के पास बैठा खिड़की से मुझे हवाई अड्डे का भवन नज़र आ रहा था। सभी यात्रियों के हवाई जहाज़ में बैठ जाने के बाद हवाई जहाज़ का दरवाजा बंद कर दिया गया। एयर होस्टेस ने घोषणा की। उसने हमें सीट की पेटियाँ बांध ने के लिए कहा। हवाई जहाज़ रॅनवे पर चलने लग पड़ा। वहाँ वह तेज़ गति से चलने लग पड़ा। कुछ क्षणों के बाद हम हवा में थे। मैं पेड़ो पेड़ों और घरों को छोटे होते देख सकता था। हम ऊपर उड़ते गए। तब तक हम बादलों में पहुँच चुके थे। कुछ पलों के लिए लगा कि हम हवा में तैर रहे थे। हमें एयर होस्टैस ने जलपान दिया। वह बहुत नम्र थी।
बंगलौर हवाई अड्डे तक पहुँचने में डेढ़ घण्टा लगा। जब नीचे उतरने का समय था तब भी हमें बैल्ट बांधने का निर्देश दिया गया। जल्द हवाई जहाज़ ऊँचाई से उतरने लग पड़ा। यह धीरे से रॅनवे पर उतरा जहाँ वह धीरे चलने लगा। अन्त में रुक गया।
इस प्रकार हवाई जहाज़ द्वारा मेरी पहली यात्रा समाप्त हो गई। मैंने अपनी यात्रा का बहुत आनन्द लिया।