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Posts tagged "Hindi essays" (Page 211)
यातायात की समस्या Yatayat ki Samasya बीसवीं शताब्दी के अंतिम चरणों में और इक्कीसवीं सदी के द्वार के समीप पहुंचते-पहुंचते जब कस्बे और सामान्य नगर बड़े-बड़े नगरों का दृश्य उपस्थित करने लगे हों, तब जिन्हें पहले ही महानगर कहा जाता है, उनकी दशा का अनुमान सहज और स्वत: ही होने लगता है। जहां जाइए, मनुष्यों की भीड़ का ठाठें मारता अथाह सागर, जिसका कोई ओर-छोर नहीं-कुछ ऐसी ही स्थिति हो गई...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
ऊर्जा के स्त्रोत और समस्या Urja Ke Strot aur Samasya ऊर्जा-एक प्रकार की ज्वलनशील शक्ति, जिसका संकट निकट भविष्य में आज का मानव स्पष्ट देख एंव अनुभव कर रहा है। ऊर्जा का वास्तविक अर्थ आग या ज्वलनशील पदार्थ तो है ही, वह संचालिका शक्ति भी है कि जिसके बल से आज हमारे कल-कारखाने चल रहे हैं, रेलें तथा अन्य वाहन दौड़ रहे हैं, वायुयान उड़ रहे हैं, घरों आदि में उजाला...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारतीय समाज में कुरीतिया Bharatiya Samaj me Kuritiya कुरीतियां या कुप्रथांए किसी भी समाज और उसके देश को कभी आगे नहीं बढऩे दिया करती। धीरे-धीरे वे एक-दूसरे को देखकर जब जीवन-समाज का अपरिहार्य अंग बन जाया करती है, तब उस देश-समाज का मालिक भगवान ही हुआ करता है। रीति-रिवाज और परंपरांए ही समय के अनुसार पुरानी और अलाभकारी होकर कुरीतियां बन जाया करती हैं। उन्हें त्यागकर ही मानव-जीवन सहज ढंग से...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बाल मजदूरी की समस्या Bal Majdoor ki Samasya बच्चा उस पनीरी या नन्हीं पौध के समान हुआ करता है, जिसको भविय के खेतों में बोकर पूर्ण पकी फसल, या फल-फूलों-पत्तों से लदे विशाल वृक्ष बनना होता है। इसी कारण आज के बच्चे को भविष्य का नागरिक और माता-पिता कहा जाता है। यह फसल, ये वृक्ष, भविष्य के ये माता-पिता, नागरिक और हमारी जातीय, देशीय, राष्ट्रीय वंश-बेला समुचित परिचालन, पोषण एंव...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
राष्ट्र-निर्माण और नारी Rashtriya Nirman aur Nari नारी हो या पुरुष, राष्ट्र और उससे संबंद्ध प्रत्येक जन का आपस में गहरा संबंध होता है। राष्ट्र एक व्यापक भावनात्मक सत्ता का नाम है। वह मानव-प्राणियों के अस्तित्व के कारण ही अपना सूक्ष्म या अमूर्त स्वरूपाकार ग्रहण किया करता है। राष्ट्र-जन भी उसी के कारण सुरक्षित रहा करते हैं। अत: जब हम मानव-प्राणियों की बात कहते हैं, तो पुरुष के साथ नारी का...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बंधुआ मजदूर Bandhua Majdoor जी हां, जनाब! मजदूर और मजदूरी भी बंधुआ हुआ करते या हो सकते हैं। जमीन, जायदाद, घर, मकान और सोने-चांदी के आभूषण। यहां तक कि रसोई के बर्तन-भांडे और घरेलु सामान के बंधुआ हो जाने अथवा बंधक रख देने की बात तो हम शुरू से ही सुनते आ रहे हैं। कई बार यह सुनने-पढऩे को भी मिलता रहता है किकिसी जुआरी महोदय ने जूए में पराजित होकर...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
हड़ताल Hadtal औद्योगिक प्रगति और मजदूर-जागृति के कारण आज हर दिन हमें किसी-न-किसी तरह की हड़ताल का सामना करना पड़ता है। हड़ताल-यानी बंद! काम-काज ठप्प ओर जीवन की सभी प्रकार की गतिविधियां एक निश्चित-निर्धारित समय के लिए समाप्त। जी हां, आज इस प्रकार होना आम बात हो गई है। सुना है, पहले केवल कल-कारखानों या मिलों में काम करने वाले मजदूर ही हड़ताल किया करते थे। वह भी उचित और जायज...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
पयर्टन-उद्योग Paryatan Udyog आज के युग को उचित ही उद्योग-व्यापार युग कहा जाने लगा है। क्योंकि आज के युग में प्रत्येक मानवीय कदम उद्योग बनता जा रहा है। है न विचित्र बात कि सैर-सपाटा भी उद्योग और गया है। पर्यटन यानी भ्रमण। भ्रमण भी कभी उद्योग हो सकता है? होता है। आजकल पर्यटन का विकास भी एक उद्योग की तरह हो रहा है। जैसे अन्य सभी प्रकार के उद्योग अपनी प्रसिद्धि...
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July 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment