Salesh Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | श्लेष अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

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श्लेष अलंकार Salesh Alankar एक ही शब्द में छुपे रहें, कई-कई उनके अर्थ । चिपका हुआ श्लेष है, और नहीं कोई शर्त | श्लेष शब्द का अर्थ है – चिपका हुआ। परिभाषा – जब काव्य में किसी एक शब्द का इस तरह प्रयोग किया जाये कि उसमें अनेक अर्थ हुए हों, तो वहाँ श्लेष अलंकार होता है। जैसे – सुबरन को खोजत फिरैं, कवि व्याभिचारी चोर। यहाँ पर सुबरन का अर्थ...
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Yamak Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | यमक अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

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यमक अलंकार Yamak Alankar एक ही शब्द प्रयुक्त हो, जब कविता में कई बार। यमक वहाँ कहलायेगा, जहाँ अर्थ बदले बार-बार। परिभाषा – जब काव्य में एक ही शब्द कई बार आये और हर बार उसका अर्थ बदल जाये तो वहाँ पर यमक अलंकार होता है। ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहनवारी, ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाति हैं। कंद मूल भोग करें, कंद मूल भोग करें। तीन नेर खातीं तों,...
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Anupras Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | अनुप्रास अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

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अनुप्रास अलंकार Anupras Alankar जहाँ एक ही वर्ण का एक से अधिक बार प्रयोग होता है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। जैसे – प्रति भट कटक कटीले केते काटि-काटि, कालिका सी किलकि कलेऊ देत काल को। यहाँ ‘क’ वर्ण की अनेक बार आवृत्ति से कविता में सौंदर्य की अभिवृद्धि हुई है। अतएव यहाँ अनुप्रास अलंकार है। बाल-बिनोद मोद मन मोह्यो। यहाँ ‘ब’ तथा ‘म’ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार...
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Alankar Ki Paribhasha, Ang, Bhed, Chhand ke Prakar aur Udahran | अलंकार की परिभाषा, अंग, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

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अलंकार की परिभाषा Alankar Ki Paribhasha ‘अलंकार’ शब्द अलं + कार से निर्मित हुआ है। अर्थात् अलं (सौंदर्य या शोभा) + कार (वृद्धि करने वाला) – अलंकरोति इति अलंकारं – सौंदर्य की वृद्धि करने वाला। अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है आभूषण। जिस प्रकार स्त्रियों की शोभा आभूषण के द्वारा और भी बढ़ जाती है, उसी प्रकार कविता की शोभा बढ़ाने वाले तत्व को अलंकार कहते हैं। हिन्दी में अलंकारों की...
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Varnik Chhand Ki Paribhasha aur Udahran | वर्णिक छंदकी परिभाषाऔर उदाहरण

वर्णिक छंद Varnik Chhand जिस छंद में वर्णों की संख्या तथा क्रम निश्चित हो, उसे वर्णिक छंद कहते हैं। यहाँ सम वर्णिक छंदों में से कुछ का वर्णन किया जा रहा है। वर्णों की समानता रहने पर भी ये छंद एक दूसरे से रचना में भिन्न होते हैं। जैसे इन्द्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा और उपजाति छंदों में 11 वर्ण होते हैं। इसी तरह वंशस्थ, तोटक और द्रुतविलम्बित छंदों में 12 वर्ण होते हैं,...
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Harigatika Chhand Ki Paribhasha aur Udahran | हरिगीतिका छन्द की परिभाषाऔर उदाहरण

हरिगीतिका छन्द Harigatika Chhand यह सम मात्रिक छन्द है, जिसके चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में अट्ठाइस मात्राएँ होती हैं। सोलह और बारह मात्राओं पर यति तथा अंत में लघु गुरु का प्रयोग होता है। श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन, क्रोध से जलने लगे। सब शोक अपना भूलकर कर, तल युगल मलने लगे। संसार देखे अब हमारे, शत्रु रण में मृत पड़े। करते हुए यह घोषणा वे, हो गये उठकर...
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Gatika Chhand Ki Paribhasha aur Udahran | गीतिका छन्द की परिभाषाऔर उदाहरण

गीतिका छन्द Gatika Chhand गीतिका छंद में चार चरण होते हैं। छब्बीस मात्राओं वाला यह सम मात्रिक छंद है। चौदह और बारह मात्राओं पर विराम होता है और अन्त में लघु गुरु होता है। हे प्रभो आनंददाता, ज्ञान हमको दीजिये। शीघ्र सारे दुर्गणों को, दूर हमसे कीजिये।। लीजिये हमको शरण में, हम सदाचारी बनें। ब्रह्मचारी, धर्मरक्षक, वीर, व्रतधारी बनें।। साधु भक्तों में सुयोगी, संयमी बढ़ने लगे। सभ्यता की सीढ़ियों पै, सूरमा...
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Rola Chhand Ki Paribhasha, Ang, Bhed, Chhand ke Prakar aur Udahran | रोला छन्द की परिभाषा, अंग, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

रोला छन्द Rola Chhand  रोला सम मात्रिक छन्द है। इसमें चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण चौबीस मात्राओं वाला होता है। ग्यारह और तेरह मात्राओं पर विराम होता है। नीलांबर परिधान, हरित पट पर सुन्दर है। सूर्य चन्द्र युग-मुकुट, मेखला रत्नाकर है। नदियाँ प्रेम प्रवाह, फूल तारे मंडप हैं। बंदी जन खग वृंद, शेष प्राण सिंहासन है। नव उज्जवल जल धार, हार हीरक सी सोहति। बिच-बिच छहरति बूंद, मध्य मुक्ता-मनि पोहति।...
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