Hindi Samvad Writing on “Do Ajnabiyo ke Beech Chunav par Samvad”, “दो अजनबियों के बीच चुनावी संवाद” Complete Samvad for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
पार्क में मिले दो अजनबियों के बीच चुनावी सरगर्मियों पर बातचीत
मनीष – क्या ठंडी हवा है। यहाँ आकर तन-मन तरोताजा हो जाते हैं।
संजय- यहाँ ठंडी हवा और देश में गरम हवा। इस बार का मतदान आर-पार की लड़ाई बन चुका है।
मनीष – सभी दल एक दूसरे को नीचा दिखाने में जुटे हैं। बाल की खाल निकालना तो कोई इन नेताओं से सीखे। मनीष – बड़ी-बड़ी बातें और छोटे काम।।
संजय –टिकट पाने के लिए तो ऐसी मारामारी है; मानो जनता की सेवा करने के लिए ये मरे जा रहे हैं।
मनीष- सेवा नहीं मेवा के भूखे हैं सब। बस इन चुनावी दिनों में इन्हें जनता याद आती है उनके दुख-दर्द में बहाते हैं। घड़ियाली आँसू और फिर पूरे पाँच साल तक मौज।
संजय- इन नेताओं के जितने ठाट-बाट हैं उतने तो पुराने जमाने के बादशाहों के भी नहीं थे।
मनीष- दुःख होता है कि हमारे पैसों पर ये सपरिवार विदेश-यात्राएँ करते हैं। जनता की भलाई के लिए बनी योजनाओं का पैसा इनकी तिजोरियों में भर जाता है। जनता बेचारी वही गरीब की गरीब। सिर पर छत, दो जून की रोटी को तरसती जनता।
संजय – जनतंत्र है। कैसा जनतंत्र है ? मतपेटी में वोट डालने का अधिकार है और फ़िर सारे अधिकार इन तथाकथित जन प्रतिनिधियों के पास।
मनीष- लेकिन अब जनता जाग चुकी है। अब उसे बेवकूफ बनाना इतना आसान नहीं रहा है।
संजय – भगवान करे हमारे चुने गए प्रतिनिधि इस सच को जान लें और अपने उत्तरदायित्व को निष्ठा से निभाएँ।
मनीष- ऐसा हो जाए तो हमारा देश फ़िर से ‘सोने की चिड़िया’ और ‘जगद्गुरु’ बन सकता है।