Hindi Essay on “Audyogikaran ke Dushprabhav” , ”औद्योगीकरण के दुष्प्रभाव ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
औद्योगीकरण के दुष्प्रभाव
Audyogikaran ke Dushprabhav
प्रस्तावना- औधोगीकरण को केवल सुख एंव सुविधाओं का जनक ही नहीं समझना चाहिये। इसके दुष्परिणाम भी होते हैं। आज हमारे सामने दूसरे अनेक प्रकार के दुष्परिणाम उपस्थित हैं, जैसे – प्रदुषण समस्या, मानवीय जीवन में नैतिकता का हास, अन्र्तराष्ट्रीय प्रतिद्वन्द्विता, वर्ग-संघर्ष की भावना का विकास, स्वास्थय पर विपरीत प्रभाव, ग्रामीण क्षेत्रों पर औधोगीकरण के दुष्प्रभाव आदि। इन दुष्परिणामांे का विवरण इस प्रकार हैं-
(1) प्रदुषण की समस्या- प्रदुषण की समस्या औधोगीकरण का सबसे भयानक दुष्परिणाम है। औधोगीकरण के कारण वायुमण्डल में अनेक विषाक्त पदार्थ सम्मिलित होते हैं जो मानव जीवन के लिए कई प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं। मथुरा तेलशोधक कारखाने के प्रदुषण से ताजमहल को बचाने की करोड़ों रूपये की योजनाएँ बनाई जा रही हैं।
इनकी चिमनियों से जो धुआं निकलता है, उसके कारण वायुमण्डल में कार्बन की मात्रा में त्रीव वृद्वि होती है। जब जीवधारी उसमें सांस लेते हैं तो वह कार्बन शरीर के अन्दर प्रवेश करके दमा, खांसी, क्षय जैसे रोग उत्पन्न करता है।
वायु-प्रदुषण के अलावा ध्वनि प्रदुषण से मनुष्य में बहरेपन की बीमारी भी पनपती है। उसका नाड़ीतन्त्र दूषित हो जाता है और कभी-कभी तो उसमें पागलपन की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है। इसके अलावा भी कई बीमारियां और हो जाती हैं।
(2) मानवीय जीवन में नैतिकता का हास- औधोगीकरण का सबसे भयंकर प्रभाव मनुष्य की आध्यात्मिक एवं नैतिक मान्यताओं पर पड़ा है। औधोगीकरण के परिणामस्वरूप मनुष्य, मनुष्य की कम, धन की अधिक चिन्ता करने लगता है। मनुष्य के लिए धन ही सबकुछ हो गया है। इस प्रकार मनुष्य औधोगीकरण के परिणामस्वरूप स्वयं एक निर्जीव मशीन बन गया है।
(3) वर्ग-संघर्ष की भावना का विकास- औधोगीकरण प्रतिष्ठानों मे पूजीपति एवं श्रमिकों के बीच संघर्ष के कारण औधोगिक नगरों का जीवन अव्यवस्थित हो गया है जिससे धन की अपार क्षति होती है और उधोगों मे उत्पादन ठप्प हो गया है।
(4) स्वास्थय पर विपरीत प्रभाव- औधोगीकरण के कारण स्वास्थय पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। मजदूर ऐसे वातावरण में रहते, खाते और सोते हैं जो स्वास्थय की दृष्टि से अत्यन्त हानिकारक है।
(5) ग्रामीण क्षेत्रों पर औधोगीकरण के दुष्प्रभाव- ग्रामीण क्षेत्रों में कम पूंजी लगाकर कुटीर उधोगांे की स्थापना की जाती है। उधोगपतियों का प्रमूख लक्ष्य धन कमाना है। इस कारण औधोगीकरण को ग्रामीण क्षेत्रांे मे प्रविष्ट होने की सम्भावनाएं बढ़ गई हैं।
(6) अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिद्वन्द्विता- सामान्यतः औधोगीकरण उपयोगी वस्तुओं के लिए वरदान है परन्तु आज औधोगीकरण के कारण अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण मंे तेजी से विकसित दूषित परिवर्तन हुए हैं। औधोगीकता के कारण संसार राजनैतिक गुटों में बंट गया है।
उपसंहार- अतः औधोगीकरण के दुष्परिणामों से बचने के लिए सम्भवतः हम प्रकृति की गोद मे जाना पसन्द करेगें और पुनः अपने ग्रामीण जीवन में ही स्वर्ग का अनुभव करेगें, इसलिए निराला, पन्त तथा महादेवी वर्मा ने भी प्रकृति को गोद में जाने की बात कही है।