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Hindi Essay on “Banko ka Mahatva” , ”बैंको का महत्व ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

बैंको का महत्व 

Banko ka Mahatva

प्रस्तावना- आधुनिक जीवन में बैंको का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। बैंक में व्यक्ति की जमा पूंजी सुरक्षित रहती है कि जिससे एक ओर तो चोरी और डकैती का भय समाप्त होता है तथा दूसरी ओर बैंक में जमा पूंजी उत्पादक कार्यों में लगकर राष्ट्र का विकास करने मे सहायक सिद्व होती है।

बैंक का अर्थ- विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने बैंक को विभिन्न प्रकार से परिभाषित किया है-
रोयर्स के अनुसार – बैंक वह संस्था है, जिसके ऋणों को दूसरे व्यक्तियों के पारस्परिक भुगतान में विस्तृत मान्यता प्राप्त होती है।

भारतीय बैंकिग कम्पनीज ऐक्ट सन् 1949 के अनुसार- श्बैंकिग का अभिप्राय जनता से विनिमय करने के लिए मुद्रा के निक्षेपों को स्वीकार करना है, जो चेक, ड्राफ्ट तथा सन्देश आदि के द्वारा शोधनीय होते हैं।श्

संक्षेप मे यह कहा जा सकता है कि बैंक मुद्रा अथवा साख का व्यापार करने वाली एक संस्था है।

बैंको के प्रमुख कार्य

(1) धन जमा करना- बैंक का मुख्य कार्य जनत की बचत को जमा करना है। बैंक उस बचत पर जनता को ब्याज भी देता है। बैंक मे सामान्यतः चार प्रकार के खाते खोलकर धन जमा किया जाता है-(1) चालू खाता, (2) जमा खाता, (3) आवर्ती जमा खाता, (4) निश्चित जमा खाता।

(2) ऋण प्रदान करना- बैंक अपने ग्राहकांे को उनकी आवश्यकता और साख के अनुसार ऋण प्रदान करते हैं व्यापारी अथवा उधोगपति इस ऋण के द्वारा अपने व्यापार तथा उधोग की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।

(3) मुद्रा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना- बैंक में ड्रफ्ट या चेक के माध्यम से मुद्रा को सरलतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है।

(4) एजेन्सी के रूप में कार्य करना- बैंक अपने ग्राहकों के लिए एजेन्ट का कार्य भी करता है। ग्राहकों के आदेश पर बैंक उनकी ओर से ऋणों की किस्तों, ब्याज कर, बीमें की किस्तों आदि का भुगतान करते हैं।

(5) बहुमूल्य वस्तुओं को सुरक्षित रखना- बैंक ग्राहकों को लाॅकर की सुविधा प्रदान करते हैं, जिनमें ग्राहक अपने धन, सोन-चांदी के जेवरात तथा अन्य बहुमूल्य वस्तुओं को रखकर निश्चित हो जाते हैं, क्योंकि बैंक मे सार वस्तुएं सुरक्षित रहती है।

(6) साख बनाना- बैंक अपने ग्राहकों को साख प्रमाण-पत्र प्रदान करता है जिसके द्वारा अपने ग्राहकों को विदेशी व्यापार करने या अपरिचित व्यक्तियों से उधार लेने मे सहायता प्राप्त होती है।

(7) विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय करना- बैंक के द्वारा ग्राहक विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय सरलतापूर्वक कर सकते हैं।

उपसंहार-बैंक देश के आर्थिक विकास में बहुत सहायक सिद्व होते हैं। वे छोटी-छोटी बचतों को इक्ट्ठा करने तथा उनकी एक बड़ी राशि बनाकर व्यापार की सहायता के लिए ऋण प्रदान करते हैं बैंक को आर्थिक व्यवस्था का धमनी केन्द्र भी कहा जाता है।

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