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Archive by category "Languages" (Page 164)
राष्ट्रीयकरण Rashtriyakaran बदलती हुई परिस्थितियों के साथ मानवीय विचारों में भी परिवर्तन होता रहता है। एक युग था जब देश की शक्ति छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त थी और जो स्वयं में अपने आपके पूरक थे, उनकी अपनी-अपनी एकक शासन-व्यवस्था थी। लेकिन आज हम स्वतंत्र हैं। भारत पुनः एक अटूट सूत्र से जुट चुका है, उसकी शक्ति अखंड है। अतः वैयक्तिक शासन या अधिकार की बात करना उसकी अखंडता को तोड़ना है।...
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May 6, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारत का राष्ट्रीय ध्वज Bharat ka Rashtriya Dhwaj प्रत्येक राष्ट्र का अपना झंडा होता है, जिसे राष्ट्रीय झंडा कहते हैं। राष्ट्रीय झंडा प्रत्येक राष्ट्र की शान है। राष्ट्रीय झंडा झुकने का अर्थ है राष्ट्र की पराजय। अतः राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह राष्ट्र के सर को झुकने न दे। चाहे कितनी भी कुर्बानियां देनी पड़े। भारत 15 अगस्त, 1947 ई. को आजाद हुआ, अतः स्वतंत्र भारत के...
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May 6, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारत का राष्ट्रीय चिन्ह Bharat ka Rasthriya Chinh प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक राष्ट्रीय चिन्ह होता है, जिसका प्रयोग उस राष्ट्र के प्रत्येक राजकीय कार्यों में किया जाता है। यही चिन्ह राष्ट्रीय पहचान होता है। जैसे विट्रेन का गुलाब का फूल, जापान का गुलदाउदी, पाकिस्तान का चांद तारा, नेपाल का खुखरी, अमेरिका का गोल्डेन रॉड, रूस का हंसिया हथौड़ा राष्ट्रीय चिन्ह हैं। ठीक इसी प्रकार अशोक चक्र भारत का राष्ट्रीय...
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May 6, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
रेडक्रॉस Red Cross विश्व का प्रत्येक धर्म मानव-सेवा का पक्षधर है। हिंदू धर्म का तो मूलमंत्र ही है-‘सेवा परमो धर्मः’ । इसी भावना से प्रेरित होकर स्विट्जरलैंड के निवासी हेनरी ट्रनां में रेडक्रॉस नामक संस्था की स्थापना की थी। आज रेडक्रॉस एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था हो गई है जो मानवता के आधार पर लोगों की सहायता कर रही है। युद्ध एवं प्राकृतिक आपदाओं के समय पीड़ित मानवता की सेवा करना ही रेडक्रॉस...
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May 6, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
पर्यावरण प्रदूषण Paryavaran Pradushan पर्यावरण से मानव का सीधा और अटूट संबंध है। मनुष्य सगे-संबंधियों और परिवार जनों से संबंध-विच्छेद कर जीवित रह सकता है, लेकिन पर्यावरण से संबंध-विच्छेद कर वह पल भर भी नहीं जी सकता है। पर्यावरण के अंदर मानव के लिए अत्यावश्यक प्राण वायु है। जिसके बिना मनुष्य कैसे जी सकता है? इसलिए अस्वस्थ मनुष्य रुग्णावस्था में भी जी सकता है, लेकिन अस्वस्थ पर्यावरण के बीच स्वस्थ मनुष्य...
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May 6, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ Media Fourth Pillar of Democracy अखबार की इसी शक्ति को पहचानकर नेपोलियन ने कहा था- “मैं लाखों संगीनों की अपेक्षा एक विरोधी समाचार-पत्रों से डरता हूं।” वैज्ञानिक उपलब्धियों ने आज विश्व को एक मंच पर ला दिया है। देश-विदेश के किसी कोने में घटने वाली घटनाओं से आज मानव का सीधा संबंध हो गया है। रूस में सरकार अस्थिर होती है, तो उसका असर भारत पर...
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May 6, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारत में जनसंख्या नियंत्रण Bharat mein Jansankhya Niyantran भारत में राष्ट्रीय स्तर की अनेक समस्याएं हैं, जिनका जन्म राष्ट्र के भीतर की कुव्यवस्थाओं के कारण हुआ है। लेकिन उन कई समस्याओं में सबसे बड़ी गंभीर और खतरनाक समस्या जनसंख्या वृद्धि की समस्या ही है। जनसंख्या के मामले में भारत विश्व में दूसरे नंबर पर है। भारत में जनसंख्या वृद्धि की समस्या कोढ़ है तो उसमें शरणार्थियों की समस्या खाज...
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May 6, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
दहेज-प्रथा Dahej Pratha दहेज-प्रथा भारत की सामाजिक समस्या है। यह एक सामाजिक भयावह कुप्रथा है। इसके कारण हमारा समाज नित प्रति दुःख में डूबता जा रहा है। हमारे समाज में अनेक कुप्रथाएं हैं। वर्तमान में जिस कुप्रथा ने हमारे समाज को अत्यधिक कलंकित किया है वह है आज की दहेज-प्रथा। प्राचीनकाल में दहेज का अभिप्राय कुछ और था। उस समय यह भेंट या सौगात के रूप में वर-पक्ष को बिना मांगे...
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May 6, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment