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Archive by category "Hindi (Sr. Secondary)" (Page 283)
परिवार नियोजन : राष्ट्रीय आवश्यकता Parivar Niyojan Rashtriya Avashyakta निबंध नंबर :-01 परिवार नियोजन का अर्थ है-छोटा और संतुलित परिवार। कितनी भयावह है यह चेतावनी कि यादि हमारी जनसंख्या इसी तरह बढ़ती रही, तो सन 2000 तक देश की आबादी सौ करोड़ से भी अधिक हो जाएगी। आज हम बढ़ती जनसंख्या के प्रभाव से जिस बुरी तरह आतंकित और पीडि़त हैं-ओह! अभी तो 80-90 करोड़ ही हैं, तब यह हालत है...
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July 3, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
शिक्षा और रोजगार Shiksha Aur Rojgar सामान्य रूप से कहा और माना जा सकता और माना भी जाता है कि शिक्षा और रोजगार का आपस में कोई संबंध नहीं है। शिक्षा का मूल प्रयोजन और उद्देश्य व्यक्ति की सोई शक्तियां जगाकर उसे सभी प्रकार से योज्य और समझदार बनाना है। रोजगार की गारंटी देना शिक्षा का काम या उद्देश्य वास्तव में कभी नहीं रहा, यद्यपि आरंभ से ही व्यक्ति अपनी अच्छी...
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July 2, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
वृक्षारोपण या वन-महोत्सव Vriksharopan ya Van-Mohotsav वृक्ष समस्त प्राणी जगत के श्रेष्ठ साथी और सहचर माने गए हैं। वृक्षों के समूह को वन, उपवन, जंगल कुछ भीकहकर पुकारा जा सकता है। वृक्षों को प्रकृति के राजकुमार और वनों, उपवनों या जंगलों को उनकी जन्मभूमि कह सकते हैं। दूसरे शब्दों में वृक्षों के समूह से ही वन बनते हैं और वन प्रकृति के जीवनदाययक सौंदर्य का साकार रूप हुआ करते हैं। वृक्ष...
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July 2, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
कुटीर उद्योग या लघु उद्योग Kutir Udhyog ya Laghu Udhyog निबंध नंबर : 01 आज का युग छोटे-बड़े उद्योगों का युग है। इसी कारण कुछ वर्ष दबी रहने के बाद कुटीर उद्योग या लघु उद्योग की चर्चा आज भारत में एक बार पुन: बल पकड़ रही है। इस प्रकार के उद्योग-धंधों के मूल में ऐसे घरेलू किस्म के छोटे-छोटे काम-धंधों की परिकल्पना छिपी है, जिन्हें छोटे से स्थान पर थोड़ी पूंजी...
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July 2, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages5 Comments
आज के गांव Aaj Ke Gaon आरंभव से ही यह मान्यता चली आ रही है कि भारत गांव-संस्कृति प्रदशन देश है। फिर भी गांव का नाम सुनते ही आपस में, दो सर्वथा विरोधी चित्र हमारे सामने उभरकर आ जाते हैं। एक चित्र तो बड़ा ही सुंदर और सुहावना प्रतीत होता है, जबकि दूसरा एकदम कुरूप और भद्दा। पहले चित्र के अनुसार गांव कच्चे-पक्के पर साफ-सुथरे घरों का एक ऐसा समूह बनकर...
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July 2, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
राष्ट्रभाषा और प्रादेशिक भाषांए Rashtrabhasha Aur Pradeshik Bhashaye ‘राष्ट्र’ शब्द एक भाववाचक संज्ञा है, जो व्यापक ही नहीं भावभूमि भी रखती है। राष्ट्र एक ऐसी कड़ी या अमूर्त सत्ता को कहा जाता है कि जो प्रत्येक स्तर पर आतंरिक रूप से संबद्ध एंव एक हुआ करती है। यह एकता भाषा के स्तर पर भी होना, राष्ट्र की स्वतंत्र सत्ता की पहली शर्त है क्योंकि भाषा ही वह सर्वसुलभ माध्यम होता है,...
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July 2, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages2 Comments
राष्ट्रभाषा की समस्या Rashtriya Bhasha Ki Samasya सामान्य एंव व्यावहारिक दृष्टि से समूचे राष्ट्र द्वारा व्यवहत और संविधान द्वारा स्वीकृत भाषा ही राष्ट्रभाषा कहलाती है। संसार के प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र की अपनी एक संविधान-सम्मत राष्ट्रभाषा है। वे राष्ट्र-जन और उनके नेता देश-विदेशी सभी जगह अपनी उस राष्ट्रभाषा के प्रयोग में ही गौरव का अनुभव करते हैं। वे अंग्रेजी आदि तथाकथित अंतर्राष्ट्रीय भाषांए जानते हुए भी उन्हें देश-विदेश में प्रयुक्त करना अपना,...
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July 2, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
विज्ञापन के उपयोग और महत्व Vigyapan ke Upyog Aur Mahatav आज की युग-चेतना की दृष्टि से विभिन्न कलाओं के अंतर्गत विज्ञापन को भी एक उपयोगी कला कह सकते हैं। इस दृष्टि से ही आज के युग को विज्ञापन का युग भी कहा जाता है। विज्ञापन का एक खास प्रभाव और महत्व हुआ करता है। वह सामान्य को विशेष और कई बार विशेष को सामान्य बना देने की अदभुत क्षमता रखता है।...
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July 2, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment