Hindi Essay on “Prakritik Aapda Tsunami” , ”प्राकृतिक आपदा सुनामी ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
प्राकृतिक आपदा सुनामी
Prakritik Aapda Tsunami
‘सुनामी’ पिछले कुछ वर्षों में काफी चर्चा में रहा। लेकिन यह दीगर बात है कि अब भी लोग ‘सुनामी’ का सही मतलब नहीं समझ पा रहे हैं। लेकिन प्रत्यक्षतः यह अनुभव करते हैं कि समुद्र में जोरदार तूफान आया जिसमंे लाखांे लोग जान से हाथ धो बैठे।
‘सूनामी’ एक जापानी शब्द है जो सु$नामी (दो शब्दों के योग से बना है।) जिसका अलग-अलग अर्थ है सु- बन्दरगाह, नामी- लहर। इस प्रकार इस अर्थ से सुनामी के प्रति लोगों की अवधारणा बिल्कुल स्पष्ट होती है। कुछ हद तक इस अर्थ को जानने पर लोग यह अनुभव करते हैं कि समुद्र के उत्पात का ही यह कोई रूप है, लेकिन इसकी गहराई में और क्या है, इसे लोग नहीं जान सके हैं। कुछ लोग सुनामी लहरों का सम्बन्ध ज्वारीय लहरों से जोड़ते हैं। लकिन वास्तव में ‘सुनमी लहरें’ ज्वारीय लहरें नहीं हैं। ‘सुनामी’ तरंगों की एक ऐसी श्रृंखला है जो पानी के अन्दर हलचल मचाने पर जलस्तम्भ के विस्थापित होने से उठती है। इसकी चपेट में निचले तटवर्ती इलाके बुरी तरह आते हैं। ज्वारीय लहरों की भांति सुनामी लहरें कभी अकेली नहीं होतीं बल्कि सुनामी लहरें 5 से 10 मिनट के अन्तराल पर एक के बाद एक तबाही मचाती हैं। यद्यपि खुले एवं गहरे समुद्र में ‘सुनामी लहरें’ विनाशकारी नहीं होती, किन्तु जैसे-जैसे ये छिछले सागरीय क्षेत्रों एवं तटीय क्षेत्रों में पहुंच जाती हैं इसका रौद्र रूप बढ़ता जाता है।
इसमें दो राय नहीं कि सुनामी लहरें भयंकर विनाशकारी होती हैं। इसी भंयकरता की दृष्टि से समुद्र वैज्ञानिकांे ने इसे दूसरा नाम भी दे रखा है- ‘जियोलाॅजिकल टाइम बम’। ये सुनामी लहरें वृत्ताकार तरंगों के रूप में एक के बाद एक जल के स्पर्श बिन्दु से निकलकर चारों तरफ प्रसारित होती हैं। जैसे-जैसे ये लहरें किनारे पर पहुंचती जाती हैं इनकी ऊंचाई एवं मोटाई बढ़ती जाती है। जब समुद्र के किसी क्ष़्ोत्र में शक्तिशाली भूकंप आता है, तब जल के ऊपरी सतह पर केन्द्रीय बिन्दु से कुछ संेटीमीटर लम्बी जल की वृत्ताकार तरगें निकलकर आगे प्रसारित होने लगती है। उत्पत्ति के समय ये तरंगें हानिकारक नहीं होती, किन्तु जैसे-जैसे ये लहरें छिछले जल वाले तटवर्ती क्षेत्रों की ओर बढ़ती हैं, विनाशकारी होती जाती है एवं सब कुछ यानी धन-जन अपने अन्दर समेट लेती हैं। ये लहरें जेट विमान से भी तीव्र गति से चलती हैं। इसका कारण यह है कि भूकम्प केे कारण जब धरती बुरी तरह कांपती है तो भूकम्प के झटकों से लचीली तरेंगें उत्पन्न होकर ठोस धरती से होकर गतिशील हो जाती हैं। यह स्थिति जब समुद्र के भीतर या समुद्र के तटवर्ती क्षेत्रों में उत्पन्न होती है तो भूकंप के केन्द्र पर समुद्र की आन्तरिक सतह तीव्र गति से ऊपर उठती है एवं पुनः अन्दर आती है जिसके चलते समुद्री जल भी दबाव की क्रिया से ऊपर उठता है और पुनः नीचे जाता है। भूकम्प से मुक्त हुई ऊर्जा समुद्री जल को सामान्य स्तर से ऊपर उठाकर स्थितिज ऊर्जा सुनामी लहरों के उत्पन्न होते ही गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है एवं इन तरंगों को धक्का देकर आगे प्रसारित करने लगती है। कुछ समय बाद ही गतिज ऊर्जा से ओत-प्रोत ये तरंगें शक्तिशाली सुनामी लहरों के रूप में बदल जाती हैं। ये शक्तिशाली लहरें अपने मार्ग में आने वाली प्रत्येक वस्तु को नष्ट करते हुए दैत्याकार रूप में आगे बढ़ने लगती हैं। इस प्रकार यह मानकर चलना चाहिए कि सुनामी लहरांे के मूल में समुद्र की तलहटी में भूकम्प की बात छिपी हुई है। यानी सुनामी लहरें सिर्फ समुद्री तूफान नहीं हैं बल्कि भूकम्प जनित समुद्री तूफान है। तूफान और भूकम्प दानों का सम्मिलित रूप ही इस प्रकार का जलजला पैदा करता है।
गहरे समुद्री जल में उत्पन्न सुनामी लहरों की वेवलेंथ 500 कि.मी. से अधिक होती है। यह लगभग 1 घंटे तक बरकरार रहता है। सुनामी की उत्पत्ति स्थल पर यदि समुद्र 20,000 फुट गहरा है तो सुनमी लहरें 550 मील (700-800 कि.मी.) प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढेंगी। इस तरह स्पष्ट है कि इस गति से ये सुनामी लहरें जेट विमान की गति को भी पीछे छोड़ सकती हैं। 24 घंटे से कम समय में भी यह लहरें समुद्र क्षेत्र को आर-पार कर सकती हैं।
सुनामी लहरों की उत्पन्न होने की क्रिया को निम्नलिखित बिन्दुआंे में व्यक्त किया जा सकता है।-
जब सागर के अन्दर उठा-पटक की शक्ति जलस्तम्भ को उठा देती है।
जब समुद्र तल में उठा-पटक से ऊपर (समुद्र तटीय भाग) भी हलचज मचाती है।
गुरूत्वीय प्रभाव से जल में ऊपर से हलचल बढ़ती है।
समुद्री लहरों के प्रभाव से क्या-क्या हो सकता है इस विषय की अधिकाधिक जानकारी के लिए निम्नलिखित बिन्दुओं का अवलोकन अनिवार्य है-
इससे हिन्द महासागर के द्वीपों में बदलाव की संभावना प्रतीत होती है।
सुमात्रा द्वीप के दक्षिण-पश्चिम तट के आस-पास के छोटे-छोटे द्वीप 20 मीटर खिसक जा सकते हैं।
सुमात्रा तथा उसके आस-पास के द्वीपों के ऊपर उठने की संभावना हो सकती हैै।
भारतीय प्लेटफार्म प्लेट से नीचे जा सकता है।
दिन की अवधि कम हो जा सकती है।
पृथ्वी के घूमने की गति में बदलाव आ सकता है।
तमिलनाडु की भौगोलिक स्थिति में बदलाव हो सकता है।
सन् 1755 से 2004 के बीच सुनामी लहरों ने पांच बार कहर ढाया है। 1 नवम्बर, 1755 में सुनामी के कारण पुर्तगाल और समस्त यूरोप में लगभग 60,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। 27 अगस्त 1883 में सुनामी के कारण इण्डोनेशिया के जावा और सुमात्रा द्वीपों में लगभग 36,000 लोग मारे गए। 15 जून, 1896 को जापान के पूर्वी तटवर्ती क्षेत्र में लगभग 27,000 लोग मारे गए। 23 अगस्त, 1976 में दक्षिण-पश्चिमी फिलीपींस में 80,000 लोग मारे गए और 26 नवम्बर, 2004 में इण्डोनेशिया, भारत, श्रीलंका, थाइलैंड, सोमालिया, म्यांमार, मालदीव, मलेशिया, तंजानिया और बांग्लादेश में लगभग 2,00,000 (दो लाख) लोग मारे गए।