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Posts tagged "Moral Stories" (Page 4)
दोस्ती के हाथ Dosti Ke Haath स्वामी रामतीर्थ जहाज द्वारा जापान से अमेरिका जा रहे थे। जब सैनफ्रांसिस्को बंदरगाह आया, तो सब लोग उतरने लगे, लेकिन स्वामीजी निश्चित भाव से डेक पर टहलने लगे। एक अमरीकी का जब उनकी ओर ध्यान गया, तो उसने पूछा, “महाशय ! आपका सामान कहाँ है?” “मेरे पास कोई सामान नहीं है, जो कुछ है, मेरे शरीर पर ही है।” “क्या आपके पास पैसे भी नहीं...
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January 24, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जाकी रही भावना जैसी Jaki rahi bhawna jaisi एक बार संगीताचार्य तानसेन ने एक भजन गाया- जसुदा बार बार यों भाखै । है कोउ ब्राज में हितू हमारो, चलत गोपालहिं राखै ॥ इस पद का अर्थ अकबर की समझ में नहीं आया। उसने दरबारियों से इसका अर्थ पूछा। तब तानसेन ने कहा, “यशोदा बार-बार कहती है- क्या ब्रज में हमारा कोई ऐसा हितैषी है, जो गोपाल को मथुरा जाने से...
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January 24, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
आत्म-विश्वास Atmavishwas ब्रिटिश हुकूमत ने वीर सावरकर को काले पानी की सज़ा देकर अंडमान भेज दिया। पहले दो जन्मों (तकरीबन 40 वर्ष) की सश्रम कारावास की सजा दी गयी। उनके गले में 40 वर्ष कारावास का पट्टा देखकर जेलर ने उनसे पूछा – “क्या’ तुम 40 वर्ष की सजा काटने तक जीवित रह सकोगे ?” वीर सावरकर ने बिना विचलित हुए कहा-“मैं तो जरूर जीवित रहूंगा पर यह भी तय है...
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January 2, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सज्जनता की पहचान Sajjanta ki Pehchan गेरूए वस्त्र, सिर पर पगड़ी, कन्धों पर चादर डाले स्वामी विवेकानन्द शिकागों की सड़कों से गुजर रहे थे। उनकी यह वेषे-भूषा अमेरिका निवासियों के लिए एक कौतूहल की वस्तु थी। पीछे-पीछे चलने वाली एक महिला ने अपने साथ के पुरुष से कहा- “जरा इन महाशय को तो देखो, कैसी अनोखी पौशाक है ?” स्वामी जी को समझते देर न लगी कि ये अमेरिका निवासी उनकी...
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January 2, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बेसमझ लोग Besamajh Log स्वामी विवेकानन्द एक बार रेलयात्रा कर रहे थे। उन्हीं के डिब्बे में दो अंग्रेज यात्री भी थे। एक तो हिन्दुस्तानी और दूसरे गेरूआधारी स्वामी जी के बारे में दोनों जितना अनाप-शनाप हो सका, बोलते रहे। इतने में स्टेशन आया। स्वामी जी ने स्टेशन मास्टर को बुलाकर अंग्रेजी भाषा में कहा-“कृपया थोड़ा सा पानी मंगा दीजिये।” उनको अंग्रेजी में बोलते देख दोनों यात्री ज़रा क्षुब्ध हुए। उनमें से...
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January 2, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भाषा-प्रेम Bhasha-Prem एक बार ब्रह्म समाज के प्रमुख नेता केशव चन्द्र सेन इंग्लैण्ड जा रहे थे। जाने से पूर्व उन्होंने महर्षि दयानंद से भेंट की और बोले- ‘मुझे दुख है कि आप वेदों के विद्वान होकर भी अंग्रेजी नहीं जानते। वरना वैदिक संस्कृति पर प्रकाश डालने वाला, विदेश यात्रा में मेरा एक साथी और होता।’ महर्षि दयानंद मुस्कराकर बोले- ‘मुझे भी इस बात का दुःख हैं कि ब्रह्म समाज का नेता...
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January 2, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
दीनों पर दया Dino par Daya रानाडे अपने साथी बालकों से बहुत प्रेम करते थे। वे खाने-पीने की चीजें अपने साथियों में बाँटकर खाते थे। एक बार माता ने इनको दो बर्फ़ी के टुकड़े दिये। उन्होंने बड़ा टुकड़ा पास के साथी को दे दिया और छोटा स्वयं खा लिया। यह देख माता ने रानाडे से कहा-“अरे, तूने यह क्या किया ? वह बड़ा टुकड़ा तो तेरे लिये था। “ बालक रानाडे...
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January 2, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जैसे को तैसा Jaise ko Taisa ईश्वरचन्द्र विद्यासागर कलकत्ता के प्रेसीडेन्सी कालेज के प्रिंसिपल से मिलने गए। गुलाम देश के नागरिकों से असभ्यता का व्यवहार करने वाले उस अंग्रेज प्रिंसिपल ने अपने पैर मेज़ पर रखकर ईश्वरचन्द्र जी से बातें की। उसने उन्हें बैठने को भी नहीं कहा। विद्यासागर अपमान का घूंट पी कर चले आए। कुछ समय पश्चात् वही प्रिंसिपल ईश्वरचन्द्र विद्यासागर से मिलने उनके पास आया। अब अच्छा मौका...
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January 2, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
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