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Jaki rahi bhawna jaisi, “जाकी रही भावना जैसी” Hindi Moral Story, Essay of “Tansen” for students of Class 8, 9, 10, 12.

जाकी रही भावना जैसी

Jaki rahi bhawna jaisi

 

एक बार संगीताचार्य तानसेन ने एक भजन गाया-

जसुदा बार बार यों भाखै ।

है कोउ ब्राज में हितू हमारो, चलत गोपालहिं राखै ॥

इस पद का अर्थ अकबर की समझ में नहीं आया। उसने दरबारियों से इसका अर्थ पूछा। तब तानसेन ने कहा, “यशोदा बार-बार कहती है- क्या ब्रज में हमारा कोई ऐसा हितैषी है, जो गोपाल को मथुरा जाने से रोक सके?”

इस पर अबुल फैजल फैज बोले, “नहीं, नहीं! आपको इसका अर्थ समझ में नहीं आया। ‘बार-बार’ का अर्थ ‘रोना’ है। यानी यशोदा रो-रोकर कहती है…।”

बीरबल बोले, “मेरे विचार से तो ‘बार-बार’ का अर्थ ‘द्वार-द्वार’ है ।”

रहीम कवि भी वहाँ उपस्थित थे। उन्हें यह अर्थ भी नहीं जँचा । बोले, “बार-बार का अर्थ ‘बाल-बाल’ यानी ‘रोम-रोम’ है।”

इतने में एक ज्योतिषी उठ खड़ा हुआ और बोला, “मेरी राय में तो इसमें से एक भी अर्थ ठीक नहीं है। वास्तव में ‘बार’ का अर्थ ‘वार’ यानी दिन है, अर्थात् यशोदा प्रतिदिन कहती है…. !”

यह सुन बादशाह को आश्चर्य हुआ, बोला, “एक ही शब्द ‘बार-बार’ का सब लोग अलग-अलग अर्थ कैसे बता रहे हैं!” तब रहीम कवि बोले, “जहाँपनाह! एक ही शब्द के अनेक अर्थ होना यह कवि का कौशल है और इसे ‘श्लेष’ कहा जाता है। प्रत्येक व्यक्ति किसी शब्द का अर्थ अपनी-अपनी परिस्थिति और चित्तवृत्ति के अनुसार लगाता है। कवि हूँ और किसी काव्य का प्रभाव कवि के रोम-रोम पर होता है, इसलिए मैंने इसका अर्थ ‘रोम-रोम’ लगाया। तानसेन गायक हैं, उन्हें बार-बार राग अलापना पड़ता है, इसलिए उन्होंने ‘बार-बार’ अर्थ लगाया। फैजी शायर हैं और उन्हें करुण शायरी सुन आँसू बहाने का अभ्यास है, अतः उनके द्वारा ‘रोना’ अर्थ लगाना स्वाभाविक है और बीरबल ठहरे ब्राह्मण। ब्राह्मण को घर-घर घूमना पड़ता है, इसलिए उन्होंने ‘द्वार-द्वार’ अर्थ लगाया। रहे ज्योतिषी, तो वे दिन, तिथि, नक्षत्रों आदि का ही विचार करते हैं और इसीलिए उन्होंने इसका अर्थ ‘दिन’ लगाया।”

 

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