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Posts tagged "Hindi Speech" (Page 45)
धर्मांतरण Dharmantaran विश्व के सभी धर्मों में हिंदू धर्म को सर्वाधिक उदारवादी एवं समन्वयवादी माना जाता है। शांति सर्व अहिंसा तथा परस्पर सद्भाव इस धर्म का मूल आधार है। इसीलिए प्राचीनकाल से लेकर आज तक जिस किसी भी धर्म अथवा जाति के अनुयायी भारत में आए, उनका भारतीयों द्वारा आतिथ्यपूर्ण स्वागत किया गया और उन्हें अपने घर में पर्याप्त स्थान दिया गया। परंतु भारतीयों की उदारता का गलत फायदा समय-समय...
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May 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सांप्रदायिकता Communalism समस्याएं मानव समाज का एक अपरिहार्य अंग हैं। ज्यों-ज्यों सभ्यता और विज्ञान उन्नति करते हैं, नयी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, उनके लिए उपचार खोज लिए जाते हैं या तो उन्हें बिलकुल भूल जाते हैं। या वे इतनी परिष्कृत हो जाती है कि वह समाज के लिए योगदान छोड़ जाती है। इस संबंध में प्रायः शासन ही सबसे महत्त्वपूर्ण और प्रभावपूर्ण भूमिका निभाता है। परंतु क्या कभी किसी ने...
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May 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
कश्मीर समस्या The Kashmir Problem विश्व में ‘धरती का स्वर्ग’ के नाम से विख्यात कश्मीर आज बहुत अशांत है। स्वर्ग का तात्पर्य होता है, जहां शांति हो, वैभव हो। कवि कल्हड़ ने ठीक कहा है, “यहां जैसी विद्या, ऊंचे-ऊंचे ग्रह, केशर, हिममिश्रित शीत जल और घर-घर दाक्षा तो स्वर्ग में भी दुर्लभ हैं।” किंतु धरती के स्वर्ग कश्मीर की स्थिति आज बिलकुल विपरीत है। सर्वत्र अशांति, हिंसा, बलात्कार और प्रदर्शनों को...
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May 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
गुट-निरपेक्षता Gut-Nirpekshta द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद संसार में दो प्रमुख शक्तियां उभर कर सामने आईं। ये शक्तियां थीं-अमेरिका और रूस। दोनों में एक-दूसरे से अधिक शक्तिशाली बनने की होड़ थी। दोनों अधिक-से-अधिक आग्नेय और परमाणु अस्त्र बनाने में संलग्न थे। दोनों स्वतंत्र राष्ट्रों को अपने-अपने खेमे में लेने के लिए आतुर थे। भारत के स्वतंत्र होने के बाद अनेक अफ्रीकी और 52 एशियाई देश स्वतंत्र हुए। इन नव स्वतंत्र देशों...
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May 3, 2022 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थीयों का योगदान Rashtra Nirman me Vidhyarthiyo ka Yogdan निबंध संख्या :- 01 किसी भी राष्ट्र की उन्नति का आधार और प्रतिष्ठा उसकी भावी पीढ़ी पर होता है । जो बासी हो गया, जीर्ण हो गया, समयातीत हो गया, उस फूल को डाल से चिपके रहने का कोई अधिकार नहीं है। यही सोचकर शायद कविवर जयशंकर प्रसाद जी ने ठीक ही कहा है- प्रकृति के यौवन का श्रृंगार...
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January 9, 2021 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जहाँ सुमति तहँ संपत्ति नाना Jahan Sumati Tahan Sampati Nana सुमति अर्थात अच्छी बुद्धि। बुद्धि ही हमें सुमार्ग या कुमार्ग की ओर ले जाती है। चोर, लुटेरे, डाकुओं की बुद्धि तीव्र हो सकती है किंतु उनकी सोच की दिशा गलत होती है। ऐसी बुद्धि काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह के वशीभूत होकर कुकर्मों की ओर प्रेरित करती है। परिणामतः पूरा जीवन नष्ट हो जाता है। इसके विपूरीत जिनकी बुद्धि सही-गलत, उचित-अनुचित...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सब दिन रहत न एक समान Sab Din Rahat Na Ek Saman समय नदी की धारा के समान है जो निरंतर आगे बढ़ता जाता है। बीते समय को किसी कीमत पर भी लौटाया नहीं जा सकता। समय की इस परिवर्तनशीलता को समझना जीवन को सही ढंग से जीने के लिए परम आवश्यक है। जो यह सच जान लेता है वह सुख आने पर अहंकारी नहीं बनता और दुख आने पर निराशा...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
का बरखा जब कृषि सुखाने Ka Barkha Jab Krishi Sukhane खोया धन परिश्रम से पुनः प्राप्त किया जा सकता है, खोया स्वास्थ्य भी उचित चिकित्सा व संतुलित, पौष्टिक भोजन से पाया जा सकता है, किन्तु एक बार जो समय निकल गया उसे अपना सर्वस्व देकर भी नहीं लौटाया जा सकता। फ़सल को सही वक्त पर पानी चाहिए, यदि उस समय नहीं मिला है हर कार्य का एक समय होता है, वह...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
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