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Posts tagged "Hindi Speech" (Page 41)
गति ही जीवन है Gati Hi Jeevan Hai जिस प्रकार बहता जल ही स्वच्छ रह सकता है उसी प्रकार गतिशील जीवन ही सफल और सार्थक बन सकता है। ठहरा जल दूषित हो जाता है, उसमें काई जम जाती है, रोगाणु पनपने लगते हैं। ठहरे विचारों या परंपराओं का भी कुछ ऐसा ही हश्र होता है। जो समाज या देश समयानुसार अपनी जीवन-शैली, विचार और परंपराओं में परिवर्तन नहीं लाता, वह पिछड़...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साँच को आँच नहीं Saanch ko Aanch Nahi सत्य की सदा विजय होती है-यह वह शाश्वत सत्य है, जो देश-काल की हर कसौटी पर खरा उतरा है। इतिहास साक्षी है कि असत्य जब-जब हावी हुआ है तब-तब अंततः उसे पराजय का मुख देखना पड़ा है। पौराणिक युग के चाहे वे रावण, कंस या कौरव हों अथवा इतिहास के हिटलर, मुसोलिनी या चंगेज़ खान। असत्य पर टिका अंग्रेज़ी-साम्राज्य, जिसके लिए कहा जाता...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जैसा बोओगे, वैसा काटोगे Jaisa Boge, Waisa Katoge कहते हैं न ‘बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से होय’। यह प्रकृति का नियम है, विज्ञान द्वारा प्रमाणित तथ्य है कि प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया तद्नुरूप ही होती है। भगवद् गीता’ का तो आधार ही ‘कर्म-सिद्धांत है।’ हम जैसे कर्म करेंगे वैसा ही फल पाएगा। जिसे लोग सौभाग्य या ‘भगवद्-कृपा’ कहते हैं, वास्तव में वह भी हमारे सुकर्मों का ही सुफल होता...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बीती ताहि बिसार दे Biti Tahi Bisar De बच्चन जी की कविता की एक पंक्ति में सुखमय जीवन का मंत्र निहित है-‘अंधेरी रात है पर दीवा जलाना कब मना है?’ जीवन में कितनी भी निराशाजनक स्थितियों से क्यों न गुजरना पड़े उन्हें भूलकर आगे बढ़ना ही श्रेयस्कर है। जिस प्रकार ठहरा हुआ जल विषाक्त हो जाता है उसी प्रकार अतीत के दुखद क्षणों में डूबे रहने से जीवन नरकतुल्य बन जाता...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जो तोको काँटा बुवै, ताहि बोव तू फूल Jo Toko Kanta Buve, Tahi Bove Tu Phool प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसका जीवन फल-सा सुंदर हो, उसमें आनंद की महक हो। वह नहीं चाहता कि जीवन इतना कष्टों और दुखों से भर जाए कि काँटों की सेज प्रतीत होने लगे। ऐसा जीवन तभी संभव है, जब हम अपने हृदय से घृणा, द्वेष, ईर्ष्या जैसे अवगुण त्यागकर: क्षमा सहनशीलता और परोपकार जैसे...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत ‘मैं समय हूँ, देख मुझको, लौट कर न आऊँगा। कद्र कर मेरी हे मानव! सर्वस्व तुझे दे जाऊँगा।‘ कवि की इन पंक्तियों में ऐसा सत्य निहित है कि व्यक्ति चाहे तो समय का सदुपयोग कर सर्वस्व प्राप्त कर सकता है और उसका दरुपयोग कर जो है, उसे भी खो सकता है। समय की धारा बस आगे ही आगे ही आगे बहती...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
प्राकृतिक आपदा: कारण और निवारण Prakritk Aapada-Karan aur Nivaran प्राकृतिक आपदा के प्रकार–प्राकृतिक आपदा का अर्थ है-प्रकृति की ओर से आए संकट। यह धरती, जिसे मनुष्य अपनी भाषा में आपदा या संकट कहता है, वास्तव में धरती की व्यवस्था है। पहाड़ों का टूटना, समुद्र का अनियंत्रित होना, तूफान आना, बाढ़ें आना, भूकंप आना-ये प्रकृति की अंगड़ाइयाँ हैं। निरंतर घूमती हुई पृथ्वी जब भी करवट लेती है तो बड़े-बड़े भूकंप आते हैं...
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October 18, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
उत्तराखंड में जलप्रलय Uttarakhand me Jalpralay उत्तराखंड में जलप्रलय–16 जून, 2013 रात लगभग 8 बजे का समय था। केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थयात्री अपने-अपने परिवारों के साथ हमेशा की तरह उत्साह और खुशी से चारों धामों की यात्रा में मग्न थे। अचानक बारिश शुरू हुई। कहीं बादल फटे। सवा आठ बजे पहाड़ टूट-टूट कर मानो धरती पर लुढ़कने की होड़ करने लगे। चारों ओर से पत्थर, चट्टानें और गाद-भरा...
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