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Posts tagged "Hindi essays" (Page 209)
गाय और उसकी उपयोगिता Gaay aur uski Upyogita एक दिन मेरे मित्र अपने भाई के भोलेपन का वर्णन करते हुए कहने लगे ‘अरे साहब, उनकी कुछ न कहिए। वे तो इतने सीधे हैं कि लोग उन्हें गऊ कहते हैं।’ वास्तव में, जब हम किसी में सीधेपन की मात्रा अधिक देखते हैं तब उसे ‘गऊ’ की उपाधि दे देते हैं, यानी संसार में गऊ से सीधा कोई जीव नीं है। इसी कारण...
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August 12, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
रेडियो का महत्व Radio ka Mahatva विज्ञान के चमत्कारों ने मनुष्य को आश्चर्यचकित कर दिया है, अथवा यह भी कहा सकते हैं कि असंभव को संभव करके दिखा दिया है। रेल, विद्युत, मोटर, सिनेमा, बेतार का तार इत्यादि विज्ञान की ही कृपा से प्राप्त हुए हैं। रेडियो तो मनुष्य-जाति के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुआ हैह्व। रेडियो के द्वारा बिना किसी तार की सहायता के एक स्थान के समाचार दूर-दूर...
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August 9, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
स्वास्थ्य और व्यायाम Swasthya Aur Vyayam संसार में मनुष्य अनेक प्रकार के आनंद पाना चाहता है। उसके लिए सुंदर मकान, रूचिकर भोजन और आकर्षक वस्त्रों की इच्छा हमेशा बलवती रहती है। धन की राशि, राजाप्रसाद तथा अन्य भौतिक वस्तुएं उसके सुख के साधन हैं। सभी सुखों का मूल है- शरीर-सुख। सर्वप्रथम शरीर, इसके बाद और कुछ। यदि शरीर स्वस्थ नहीं हो सारा वैभव व्यर्थ है। स्वास्थ्य का ठीक रहना सब प्रकार...
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August 9, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
स्वास्थ्य का महत्व Swasthya ka Mahatva निबंध नंबर :01 मोटा मनुष्य ही स्वस्थ होगा, यह जरूरी नहीं है। दुबला-पतला व्यक्ति भी स्वस्थ रह सकता है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अच्छा स्वास्थ्य बहुत जरूरी है। विद्यार्थी अगर स्वस्थ नहीं रहेंगे तो पढऩे में मन नहीं लगेगा। वे हमेशा अपने को कमजोर महसूस करते रहेंगे। संतुलित भोजन से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। सभी को अपने भोजन में प्रोटीन, विटामिंस तथा...
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August 9, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages20 Comments
किसी यात्रा का वर्णन Kisi Yatra ka Varnan ज्ञानेनहीना: पशुभि: समाना:। अर्थात ज्ञान से हीन मनुष्य पशु के समान है। अध्ययन, बड़ों का सान्निध्य, सत्संग आदि ज्ञान-प्राप्ति के साधन कहे जाते हैं। इनमें अध्ययन के बाद यात्रा का स्थान प्रमुख है। यात्रा के माध्यम से विविध प्रकार का प्रत्यक्ष ज्ञान बड़ी ही सहजता के साथ तत्काल प्राप्त हो जाता है। यही कारण है कि यात्रा का अवसर हर...
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August 9, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
विद्यार्थी जीवन Vidyarthi Jeevan विद्यार्थी और शिक्षा का बड़ा ही गहरा संबंध है। शिक्षा मनुष्य के लिए खान-पान से भी अधिक आवश्यक है। शिक्षा प्रत्येक समाज और राष्ट्र के लिए उन्नति की कुंजी है। अज्ञानता मनुष्य के लिए अभिशाप है। शिक्षा के द्वारा ही हम सत्य और असत्य को परख पाते हैं। शिक्षा जीवन-विकास की सीढ़ी है। मनुष्य के जीवन का वह समय, जो शिक्षा प्राप्त करने में व्यतीत होता है,...
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August 6, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
छात्रावास का जीवन Chatravas ka Jeevan एक युग था, जब गुरुकुल की शिक्षण-पद्धति प्रचलन में थी। विद्यार्थी पच्चीस वर्ष तक की अवस्था गुरुकुलों में विद्या-प्राप्ति के लिए बिताता था। गुरु का आश्रम ही उसके लिए सबकुछ होता था। गुरुकुल से सब विद्याओं में पारंगत होकर वह गृहस्थ जीवन में प्रवेश पाता था। आज उसी परंपरा का निर्वाह छात्रावासों की प्रतिष्ठा करके किया जा रहा है। विद्यार्थी विद्यालय में पढ़ता और छात्रावास...
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August 6, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
हमारा शारीरिक विकास Hamara Sharirik Vikas बच्चा जन्म लेता है, उसके साथ ही उसका विकास होना शुरू हो जाता है। शुरू-शुरू में बच्चे के शरीर का विकास बहुत तेजी से होता है। जब बच्चा कुछ बड़ा होता है, पिुर उसका मानसिक विकास होता है। अब बच्चा बाल्यावस्था से किशोरावस्था में प्रवेश करता है। किशोरावस्था में शरीर का विकास बड़ी तेजी से होता है। इसका माता-पिता और बच्चा स्वंय भी देख वह...
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August 6, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment