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Posts tagged "Hindi Essay" (Page 228)
आतंकवाद या आतंकवाद की समस्या “जहाँ भी जाता हूँ वीरान नज़र आता है खून में डूबा हर मैदान नज़र आता है कैसे है वक्त कि दिन के उजाले में भीन नहीं इंसान को इंसान नज़र आता है।” कवि भी उपर्युक्त पंक्तियाँ समाज में बढ़ते आतंकवाद की और इंगित करती हैं। आतंकवाद एक अत्यंत भयावह समस्या है जिसमें पूरा विश्व ही जूझ रहा है। आतंकवाद केवल विकासशील या निर्धन राष्ट्रों की समस्या...
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June 1, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Hindi 12, Languages8 Comments
टेलीविज़न के लाभ तथा हानियाँ या केबल टी. वी या मूल्यांकन दूरदर्शन का दूरदर्शन आधुनिक युग का एक ऐसा साधन है जो मानव को मनोरंजन देने के साथ – साथ प्रेरणा और शिक्षा भी प्रदान करता है । मनुष्य चाहे किसी भी आयु वर्ग या आर्य वर्ग अथवा किसी भी देश का वासी हो सभी के मन में एतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक स्थानों को देखने की लालसा रहती है । त्रेता युग...
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May 29, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages3 Comments
देशाटन या देश-विदेश की सैर या यात्रा का महत्व निबंध नंबर :- 01 देश +अटन इन दो शब्दों में संधि होने से बना है एक नया शब्द – देशाटन। ‘देश’ किसी ऐसे विशेष भू – भाग को कहा जाता है, जिसे प्रकृति ने अपने विभिन्न और विविध रूपों वाले, विभिन्न और विविध प्रकार की सम्पत्तियों से संपन्न बनाया होता है। उन्हीं के कारण एक ही देश का भाग या प्रान्त दूसरे...
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May 28, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
समय अनमोल है। या समय का सदुपयोग समय चक्र की गति बड़ी अदभुद है। इसकी गति में अबादता है। समय का चक्र निरंतर गतिशील रहता है रुकना इसका धर्म नहीं है। “मैं समय हूँ मैं किसी की प्रतीक्षा नहीं करता में निरंतर गतिशील हूँ मेरा बिता हुआ एक भी क्षण लौट कर नहीं आता है। जिसने भी मेरा निरादर किया वह हाथ मल्ता रह जाता है। सिर धुन- धुन कर पछताता है।...
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May 27, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages20 Comments
मेरी दिनचर्या मै, रमेश चन्द्र , नवम श्रेणी का विद्दार्थी हूँ, मेरे जीवन का दैनिक कार्यक्रम बहुत सामान्य सा है जो प्रात: काल उठने से पारम्भ होकर रात्रि को सोने तक का है | मै प्रतिदिन प्रात:काल बहुत शीघ्र उठ जाता हूँ | एक बार हमारे प्रधानाचार्य जी ने प्रात :काल में जल्दी उठने के महत्त्व को बताते हुए कहा था की जो ब्रह्ममुहूर्त में उठता है तथा रात्रि को शीघ्र...
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February 17, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
प्रौढ़शिक्षा परिपक्व आयु वाले व्यक्ति को प्रौढ़ कहा जाता है | आजकल प्राय : चालीस वर्ष की आयु वाले व्यक्ति को प्रौढ़ मान लिया जाता है , यद्दपि प्राचीन काल में जब मनुष्य की औसत आयु प्राय : सौ वर्ष होती थी तब प्रौढावस्था का कर्म पचास वर्ष से अधिक माना जाता था | जहाँ तक आयु का प्रश्न है, शिक्षा ग्रहण करने के मार्ग में यह कदापि बाधक नही हुआ...
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February 17, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सहशिक्षा सहशिक्षा से अभिप्राय शिक्षा की उस व्यवस्था से है जिसमे लडके तथा लडकियाँ एक साथ शिक्षा ग्रहण करते हो | इस विषय पर कि इस प्रकार की शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए कि नही काफी समय से चर्चा होती रही है | कुछ लोग इस व्यवस्था के पक्ष में है तथा कुछ इसके पक्ष में नही है | इस प्रकार की चर्चा होते हुए भी , आजकल हमारे देश भारत...
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February 17, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
स्वदेश प्रेम Swadesh Prem Best 4 Essay on ” Swadesh Prem” निबंध नंबर : 01 स्वदेश का अर्थ है अपना देश अर्थात अपनी मातृभूमि | यह वह स्थान होता है जहाँ हम पैदा होते है, पलते है और बड़े होते है | जननी तथा जन्मभूमि की महिमा का स्वर्ग से बढकर बताया गया है | जिस देश में हम जन्म लेते है तथा वहाँ का अन्न, जल, फल, फूल आदि खाकर...
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February 17, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages31 Comments