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Posts tagged "Hindi Essay" (Page 183)
एक घर बने न्यारा Ek Ghar Bane Nyara आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति अपना एक घर बनाने का इच्छुक रहता है। वह एक न्यारा घर बनाना चाहता है। रोटी, कपड़ा और मकान मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ हैं। गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपना घर बनाने को उत्सुक रहता है। यह ठीक है कि प्रत्येक व्यक्ति की अपनी-अपनी आर्थिक सीमाएँ होती हैं। सभी अपनी सीमा को ध्यान में रखकर अपने...
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June 15, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
देश का निर्माण और युवा पीढ़ी Desh ka Nirman Aur Yuva Pidhi जब समाज निर्माण के संदर्भ में युवा-पीढ़ी की भूमिा की चर्चा की जाती है तो स्वभावतः अनेक प्रश्न उत्पन्न होने लगते हैं। इनमें महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि युवा पीढ़ी में किन व्यक्तियों को रखा जाए। आज सामान्य रूप से युवा-पीढ़ी के अन्तर्गत विद्यालय, महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने वाले युवक-युवतियों को लिया जाता है, किन्तु...
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June 15, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
वैवाहिक जीवन में बढ़ता तनाव Vevahik Jeevan me Bdhta Tanav वर्तमान समय में वैवाहिक जीवन उतना सुखी नहीं रह गया है जितना पहले हुआ करता था। अब वैवाहिक जीवन में निरंतर तनाव बढ़ता जा रहा है। पति-पत्नी के संबंधों की मधुरता निरंतर घटती-मिटती जा रही है। यह तनाव क्यों बढ़ रहा है, इसके कारणों पर हमें विचार करना होगा। आज का जीवन उतना सरल नहीं रह गया है। हमारी...
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June 15, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
दूरदर्शन के कार्यकर्मों का प्रभाव Doordarhsan ke Karyakramo ka Prabhav दूरदर्शन के कार्यक्रम का प्रसारण केबल के माध्यम से हो रहा है। केबल संस्कृति के प्रभाव के फलस्वरूप महानगरों में सुंदर दिखने की होड़ में युवा ही नहीं बल्कि अधेड़ स्त्रियाँ भी युवितियों के समान ‘प्रदर्शन की वस्तु’ बनने में विश्वास करने लगी हैं। महानगरांे के पंचतारा होटलों में आए दिन डांस पार्टियाँ आयोजित होती हैं जिनमें धनी तथा उच्च...
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June 15, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
धन-संग्रह के लाभ Dhan-Sangrah ke Labh मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे अपने कार्यांे के लिए धन की आवश्यकता होती हे। कहने को तो सब कह देते हैं कि धन तुच्छ चीज़ है, धन का कोई सुख नहीं किंतु वास्तव में धन का सुख ही सच्चा सुख है। पैसे वाले का ही आदर होता है। निर्धन को कोई नहीं पूछता। धनहीन पूज्य व्यक्ति भी तुच्छ समझे जाते हैं। साधारण व्यक्ति...
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June 15, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
फैशन Fashion परिवर्तित समय के अनुरूप स्वयं को ढालना ही फैशन है। वैसे फैशन शब्द का प्रयोग वेशभूषा के रूप में लिया जाता है। वेशभूषा के नित नए रूप देखने को मिलते हैं। एक ही प्रकार के कपड़े ज्यादा देर तक प्रचलन में नहीं रहते। इससे हम ऊब जाते हैं। फैशन के कारण ही तरोताजा बने रहते हैं। फैशन को सदा गलत अर्थों मेें नहीं लिया जाना चाहिए। स्वयं को आधुनिक...
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June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
प्रतिभा पलायन Brain Drain आज जिसे देखो, उस पर विदेश जाने की धुन सवार है। इस प्रवृत्ति के कारण प्रतिभा का खूब पलायन हो रहा है। यह पढ़े-लिखों का विदेश-पलायन केवल मात्र धन की लालसा है। अधिक से अधिक धन पाने की कामना उन्हें विदेश जाने को बढ़ावा दे रही है। यद्यपि विदेश में उनके साथ कोई सम्मानजनक व्यवहार नहीं होता, पर सुख-ऐश्वयर्यपूर्ण जीवन की चाह उन्हें सभी कुछ सहने...
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June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सादा जीवन उच्च विचार Sada Jeevan Uch Vichar आज का युग भौतिकवादी हो गया है। इसमें दिखावे की प्रवृत्ति निरंतर बढ़ती जा रही है। और इसी कारण अशांति बढ़ रही है। भारतीय संस्कृति में ‘सादा जीवन उच्च विचार’ पर बल दिया जाता रहा है। यह सिद्धांत केवल कहने भर के लिए नहीं है, अपितु यह सुख का आधार है। सादा जीवन जीने से मानसिक अशांति नहीं होती, अपितु इससे व्यक्ति...
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June 12, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment