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Hindi Samvad Writing on “Ghar ki Naukaraniyo ke beech Samvad”, “घर की नौकरानियों के बीच संवाद” Complete Samvad for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

घर में काम करने वाली दो परिचारिकाओं के बातचीत

दीपा- आज तो बहुत थक गई। गुप्ता जी के घर मेहमान आए थे। बरतन साफ़ करते-करते कंधे दुख गए।

रीटा- खाने को माल भी तो मिला होगा ? ईनाम के पैसे अलग से ? क्या बात करती है ?

दीपा- पहले दर्जे की कंजूस है। बचा हुआ सारा खाना फ्रिज में रख दिया। एक टुकड़ा मिठाई तक का नहीं दिया, पैसे देना तो दूर की बात है।

रीटा- भगवान की अजब लीला है जो जितना बड़ा होता है उसका दिल उतना ही छोटा होता है। मेरी मेम साहब ज्यादा अमीर नहीं। कार तक नहीं है। पड़ोसिने उनसे बात तक नहीं करती लेकिन दिल उनका सोने जैसा है।

दीपा- अच्छा! बड़ी भाग्यवान है तू।

रीटा – हाँ! रोज सुबह जाते ही चाय और टोस्ट या रोटी देती हैं। जब भी कुछ खास बनाती है या बाजार से लाती है तो मुझे ज़रूर देती हैं। अपने रोहन के कपड़े मेरे बिट्टू के लिए भी देती रहती है। उन्होंने मुझसे वादा किया है कि बिट्टू की पढ़ाई का सारा खर्चा वे देंगी।

दीपा – काश! मुझे भी उन जैसा कोई घर मिल जाता तो हम ग़रीबों का भी जीवन संवर जाता।

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