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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Ped Paudhe aur Paryavaran”, “पेड़-पौधे और पर्यावरण” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

पेड़-पौधे और पर्यावरण

Ped Paudhe aur Paryavaran

प्रस्तावना : मनष्य जिस भभाग पर रहता है, स्वभावत: वहाँ के प्रत्येक जड़-चेतन प्राणी एवं पदार्थ के साथ उसका एक प्रकार का आन्तरिक सम्बन्ध जुड़ जाया करता है। प्राकृतिक पर्यावरण या उससे सम्बन्ध रखने वाले तत्त्व हैं, वे तो स्वभावतः प्राकृतिक के नियम से उसकी रक्षा किया ही करते हैं, रक्षा पाने वाला व्यक्ति भी अपने अन्तर्मन से चाहने लगता है कि वे सब हमेशा जीवित एवं । सुरक्षित बने रहें । इसी को सह-अस्तित्व, सहकारिता एवं पारस्परिक सहयोग की भावना कहा जाता है। मनुष्यों के साथ तो इस प्रकार की भावनाएँ व्यक्ति को जोड़े ही रहा करती हैं, अपने ही लाभ के लिए  प्रकृति और उसके भिन्न रूपों के साथ भी इस प्रकार का जुड़ाव हो जाए, तो क्या कहने ? इससे पर्यावरण के रंग-रूप की पहचान और रक्षा स्वयं ही हो जाया करती है।

पर्यावरण का अर्थ : पर्यावरण का सामान्य अर्थ है वह वातावरण वह माहौल जो प्राकृतिक कारणों एवं उपादानों से हमारे आस-पास स्वयं ही विनिर्मित हो जाया करता है। उसका निर्माण करने में तरह-तरह के पेड़-पौधे वनस्पतियाँ, बाग-बागीचे और वन आदि सहायक हुआ करते हैं। इनका अस्तित्व है, तभी उस सारे वातावरण या माहौल का अस्तित्व भी है कि जिसमें जन्म लेकर मनुष्य पल-पुस कर बड़ा तो होता ही है और जीवन की ऊर्जा पाकर जीवित भी रहता है। सब प्रकार के कार्य कर पाने और सफलता अर्जित करने में भी समर्थ हुआ करता है। इस दृष्टि से परिवेश जैसे शब्दों का प्रयोग भी पर्यावरण के लिए किया जाता है। कहा जा सकता है कि पर्यावरण का वास्तविक अर्थ निर्जीव पेड़-पौधे आदि नहीं, बल्कि इनके भीतर विद्यमान जीवन्त-ऊर्जस्वित शक्ति-तत्त्व हैं कि जो प्राणी जगत को भी जीवन्त एवं ऊर्जस्वित बनाए रखते हैं।

पेड़-पौधों का महत्त्व : सभी जानते हैं और ऊपर के वर्णन विवेचन से यह स्पष्ट भी है कि पर्यावरण का निर्माण करने में समर्थ या उसके मूल-कारक अथवा विधायक तत्त्व पेड़-पौधे ही हुआ करते हैं। वैज्ञानिकों ने कई तरह से उनका मल्य एवं महत्त्व प्रतिपादित किया है। कई वैज्ञानिकों ने तो उनमें भी जीवन के जीवित तत्त्व पाये हैं। यह भी माना है कि उन पर संगीत, सुख-दु:ख का प्रभाव तो पड़ता ही है, वे छाया तो देते ही हैं, कई तरह के सुगन्धित एवं रसभरे फूल-फल देकर भी मानव-जीवन को स्वस्थ, सुखी एवं समृद्ध बनाया करते हैं।

कई प्रकार के पक्षी उन्हीं की शाखाओं पर घोंसले बना कर आवास पाते हैं, उन पर उत्पन्न फल-फूल पाकर अपना जीवन-पालन किया करते हैं। पेड़-पौधों से ही वन भी आकार पाया करते हैं कि जिनमें कई तरह की पशु जातियाँ रहतीं और पनपती हैं, जीवन में सन्तुलन बनाए रखने के लिए इनका अस्तित्त्व परमावश्यक है। इसी प्रकार हमारे घरों-द्वारों की रक्षा करने और शोभा बढ़ाने वाली इमारती लकड़ी भी हमें वनों या पेड़-पौधों से ही प्राप्त हुआ करती है। सब से बड़ी बात तो यह है कि हमारे आस-पास उगे पेड़-पौधे हमें ताजी हवा, प्राण-वायु (ऑक्सीजन) प्रदान कर हमारे जीवन और हमारे पर्यावरण दोनों की रक्षा करते हैं। अनेक प्रकार के विषैले तत्त्व भी पेड-पौधों के कारण ही पर्यावरण में घुल कर उसे विषाक्त नहीं कर पाते। इन सारे तथ्यों के आलोक में सीधे-स्पष्ट शब्दों में कहा जा सकता है कि पेड़-पौधों को पर्यावरण के साथ सीधा सम्बन्ध जुड़ा हुआ है; बल्कि दोनों एक-दूसरे के कार्य कारण या कारक तत्त्व हैं।

सुरक्षा आवश्यक : पर्यावरण की परिभाषा, पेड़-पौधों से उसके सम्बन्ध, प्रभाव और कार्य आदि को जान लेने के बाद यह आवश्यक हो जाता है कि हमारे अपने जीवन की रक्षा के लिए पर्यावरण की रक्षा करना आवश्यक है। पर्यावरण को सुरक्षित, स्वस्थ, सुन्दर बनाए रखने के लिए जो पेड़-पौधे हमारे आस-पास या धरती पर कहीं भी मौजूद हैं; उन सबकी रक्षा तो आवश्यक है ही, नये-नये पेड़-पौधे उगाने और विकसित करने भी आवश्यक हैं। धरती की सुन्दरता भी इन्हीं से बनी हुई है। धरती जो अभी तक बंजर नहीं हो गई, इसका कारण भी पेड़-पौधे ही हैं।

उपसंहार : पेड़-पौधे प्रकृति-पुत्र कहे जाते हैं और वास्तव में मानव-शरीर भी प्राकृतिक तत्त्वों से ही बन तर पालन-पोषण, विकास आदि सब कुछ पाता है। इस दष्टि से पेड़-पौधे हम मानवों केभाई-बन्धु ही हैं। अपने अत्यन्त उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण भाई-बन्धुओं का असमय निधन तो कोई मूर्ख ही चाहेगा।

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