Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Loktantra me Patrakaro ka Dayitva” , “लोकतंत्र में पत्रकारों का दायित्व” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
लोकतंत्र में पत्रकारों का दायित्व
Loktantra me Patrakaro ka Dayitva
लोकतंत्र में जन–जागरण आवश्यक-लोकतंत्र का अर्थ है-लोकराज । लोकराज तभी संभव है, जबकि लोग जाग्रत हों। लोग तभी जाग्रत होते हैं, जब उनका समाज से सजीव संबंध हो। इस संबंध-सरोकार को निर्मित करने में पत्रकारों की भूमिका बहुत बड़ी है। प्रैस यानि सूचना-तंत्र को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है। जिस देश में पत्रकार जागरूक होते हैं, उस देश का लोकतंत्र बहुत सशक्त होता है।
पत्रकार : सूचना का दूत-पत्रकार का प्रमखतुम कार्य है-सूचनाओं का आदान-प्रदान। उसकी चार आँखें और चार कान होते हैं। वह अपने आसपास घटने वाली हर घटना के प्रति चौकन्ना होता है। उसकी जिज्ञासा आम नागरिक से अधिक ठोस, स्पष्ट तथा भावुकता-रहित होती है। वह घटनाओं की भावुकता में नहीं बहता, बल्कि घटित घटना के एक-एक प्रामाणिक तथ्य की जानकारी एकत्र करता है।
पत्रकार : लोकहित को समर्पित–पत्रकार मूलतः लोक-समर्पित होना चाहिए। वह न तो स्वार्थ-प्रेरित हो, न किसी वर्ग, जाति या व्यक्ति का हित-साधन करे, बल्कि जनता-जनार्दन की सेवा करे। यह बहुत कठिन कार्य है। पत्रकार के पथ में पग-पग पर बाधाएँ आती हैं, लोभ आते हैं, जानलेवा धमकियाँ मिलती हैं, तो भी उसे सत्य-पथ पर बढ़ना होता है। ऐसा सत्यपंथी पत्रकार ही लोकतंत्र को सुदृढ़ कर सकता है।
पत्रकारिता का इतिहास ऐसे साहसी और सत्यपंथी पत्रकारों से भरा पड़ा है। गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे पत्रकारों ने ही देश को नई रोशनी दी। उनके वचन देशवासियों के लिए प्रेरणा-स्रोत बने।।
रचनात्मक पत्रकारिता–आजकल पत्रकारिता अश्लीलता और उच्छृखलता के रंग में रँगती जा रही है। कोई भी समाचार-पत्र या पत्रिका ऐसी नहीं है जिसमें अश्लील चित्र न हों। लगता है, उन्होंने अश्लीलता के सामने हार मान ली है। पत्रकार खोज-खोजकर समाज में हुई हिंसा, अपहरण, यौन-लीला, भ्रष्टाचार और राजनीतिक छल को छाप रहे हैं। इससे प्रतीत होता है मानो हम नारकीय जीवन जी रहे हैं।
अनेक खोजी पत्रकार लोकतंत्र को स्वस्थ–स्वच्छ करने के नाम पर हर राजनेता के कच्चे चिढे खोलने में संलग्न रहते हैं। वे हर नेता की ऐसी गंदली छवि प्रस्तुत करते हैं कि हमारा सभी पर से विश्वास उठ जाता है। ऐसे पत्रकार यह नहीं समझते कि इससे लोगों की राजनीति पर, नेताओं पर तथा लोकतंत्र पर आस्था नष्ट हो जाती है। पत्रकारों का काम लोकतंत्र पर आस्था जमाना, न कि उसे डिगाना।
राजनीतिक विवेक जाग्रत करना–पत्रकारों का सबसे प्रमुख दायित्व है-राजनीतिक विवेक जाग्रत करना। इसके लिए सार्थक । चाएं आयोजित करना, प्रमुख मुद्दों पर बहस कराना, जनमत बनाना तथा उस जनमत को संसद-भवन के पटल तक पहुँचाना-य लोकतंत्र के संवर्द्धक उपाय हैं। आज इलैक्ट्रॉनिक मीडिया इस दिशा में अग्रसर हो रहा है। यह एक शुभ लक्षण है।