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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Jean-Jacques Rousseau” , ”रूसो” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

रूसो

Jean-Jacques Rousseau

 

फ्रांस : युग प्रवर्तक दार्शनिक

जन्म : 1712 मृत्यु : 1778

 

रूसो के बारे में नेपोलियन बोनाट ने कहा था, “यदि रूसो न हुआ होता, तो फ्रांस में क्रांति नहीं हुई होती।” वास्तव में ज्यां-जैकस रूसो ने फ्रांस की राज्यक्रांति का बौद्धिक आधार तैयार करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। उनका जन्म सन् 1712 में जिनेवा (स्विटजरलैंड) में हुआ था। बाद में वह फ्रांस ही रहे। रूसो की शिक्षा बहुत छोटी अवस्था से शुरू हो गई थी। मात्र छः वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने पिता के पुस्तकालय से किताबें पढ़नी शुरू कर दी थी।

सन् 1742 के आस-पास रूसो निबंधकार बन गए। उनके लेख सामाजिक एवं राजनैतिक विषयों से जुड़े होते थे। इसलिए उनका लोगों पर सीधा प्रभाव पड़ता था। उनके ‘सामूहिक इच्छा’ (जनरल विल), प्राकृतिक सिद्धांत, (रिटर्न टू नेचर ) एवं ‘मनुष्य स्वतंत्र पैदा होता है, किंतु वह सर्वत्र जंजीरों में जकड़ा है’ जैसे विचारों ने तहलका मचा दिया। उनके सिद्धांत एक नई विचारधारा के रूप में प्रतिष्ठित हुए, जिसे ‘रोमेटिसिज्म’ कहा जाता है। इस धारा ने दर्शन और विचारों के अलावा साहित्य और कला को भी प्रभावित किया।

उनकी मृत्यु 2 जुलाई, 1778 को हुई, मगर उनकी मृत्यु के एक दशक बाद भी उनकी विचारधारा ने सन् 1789 में हुई फ्रांसीसी क्रांति को जो बौद्धिक आधार और दिशा प्रदान की उससे उन्हें युग प्रवर्तक दार्शनिक की संज्ञा मिली।

रूसो की विख्यात कृति ‘ए ट्रिटाइज ऑन द सोशल काम्पेक्ट : ऑर द प्रिंसिपल्ज ऑफ पॉलिटिकल लॉ’ (1762) है। ‘ए डिस्कोर्स अपॉन द ओरिजिन एंड दि फाउंडेशन ऑफ दि इनइक्वालिटिज ऑफ मैन’, ‘इंट्रोडक्शन ऑफ पॉलिटिकल इकॉनमी’, ‘एमिलि’, ‘जुली’, ‘आब्जर्वेशन्स’, ‘कॉन्फेसन्’, ‘डॉयलाग्स’, ‘रिवरीज’ रूसो की अन्य मुख्य कृतियां हैं। रूसो का कहना था कि ‘व्यक्ति ने राज्य की स्थापना अपनी इच्छा से की है, प्राकृतिक अवस्था में प्रत्येक व्यक्ति ने एक-दूसरे से समझौते किए थे। इसमें राज्य या शासक वर्ग की कोई भूमिका नहीं थी। इसलिए राज्य व्यक्तियों की सामूहिक इच्छा का परिणाम है। रूसो के अनुसार प्राकृतिक अवस्था सामाजिक अवस्था से कहीं अच्छी थी, क्योंकि तब व्यक्ति दुर्गणी नहीं थे। रूसो के समय फ्रांस के नागरिकों की सामाजिक, राजनैतिक तथा आर्थिक दशा अत्यंत शोचनीय थी, इसलिए फ्रांसीसी समुदाय पर रूसो के विचारों का व्यापक प्रभाव पड़ा, जिसकी परिणति क्रांति में हुई।

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