Hindi Essay/Paragraph/Speech on “वाल्टेयर” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
वाल्टेयर
फ्रांस : ‘केनडिड’ के रचनाकार
जन्म : 1694 मृत्यु : 1778
फ्रांसीसी क्रांति की चिंगारी भड़काने वाले दार्शनिकों में वाल्टेयर का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वह फ्रांस के एक सामान्य परिवार में जन्मे थे। बचपन में वह काफी ज्यादा रुग्ण थे। कुछ ठीक होने पर उन्होंने अध्ययन और लेखन कार्य प्रारंभ किया और कानून की पढ़ाई भी पूरी की। कुछ दिनों बाद उन्हें हालैंड में एक नौकरी दे दी गई, लेकिन भ्रष्टाचार न सह पाने के कारण वह नौकरी छोड़कर पेरिस आ गए। उन्होंने फ्रांस के तत्कालीन भ्रष्टाचारों, स्वार्थों एवं चापलूसी पर गंभीर व्यंग्य लिखे। इसकी वजह से उन्हें कई बार बेस्टील का कैदी बनना पड़ा। वह फ्रांस से निर्वासित किए गए, परंतु इतना सब कुछ झेलकर भी. वह अडिग रहे। सन् 1750 में वाल्टेयर को प्रशा के सम्राट फ्रेडरिक ने आमंत्रित किया। राजकीय अतिथि वाल्टेयर के सामने फ्रेडरिक पर कुछ प्रशंसा गीत लिखने का प्रस्ताव रखा गया, जिसे वाल्टेयर ने ठुकरा दिया और वह स्विट्जरलैंड चले गए।
वाल्टेयर ने अपने 84 वर्ष के जीवन में लगभग सवा सौ कहानियों, नाटकों, इतिहास और दार्शनिक ग्रंथों की रचना की थी। ‘केनडिड’ उनकी प्रसिद्ध रचना है। उनके ‘लेटर्स ऑन द इंग्लिश’ को उस वक्त जला देने का आदेश दिया गया था।
वाल्टेयर की शैली व्यंग्यपूर्ण है। सामाजिक दुर्व्यवस्था पर उन्होंने गहरी चोट की। उनकी रचनाओं में स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति देखकर लोग बड़ी संख्या में उनके पाठक हो गए। इससे लोगों में बौद्धिक चेतना आई।
वाल्टेयर काफी स्पष्ट विचारों के व्यक्ति थे। उन्होंने फ्रांस के राजदरबार में भरे हुए चापलूसों को ‘गधों’ की संज्ञा दी और पादरियों के भ्रष्ट जीवन, समाज की अव्यवस्था तथा राजा की स्वेच्छाचारिता का डटकर प्रतिवाद किया। फलस्वरूप आम फ्रांसीसी उन्हें अपना शुभचिंतक समझने लगे। फ्रांस की राज्यक्रांति में बौद्धिक योगदान देने वालों में वाल्टेयर का नाम रूसो के बाद लिया जाता है।