Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Ab Pachtaye Hot Kya”, “अब पछताए होत क्या” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत
‘मैं समय हूँ, देख मुझको,
लौट कर न आऊँगा।
कद्र कर मेरी हे मानव!
सर्वस्व तुझे दे जाऊँगा।‘
कवि की इन पंक्तियों में ऐसा सत्य निहित है कि व्यक्ति चाहे तो समय का सदुपयोग कर सर्वस्व प्राप्त कर सकता है और उसका दरुपयोग कर जो है, उसे भी खो सकता है। समय की धारा बस आगे ही आगे ही आगे बहती है, कभी लौटकर नहीं आती।
खोया धन कमाया जा सकता है, नष्ट हुआ स्वास्थ्य समुचित इलाज के बाद पाया जा सकता है, यहाँ तक कि सुकर्मों से खोई हो कीर्ति भी पुनर्स्थापित की जा सकती है, किंतु बीता समय सर्वस्व देकर भी लौटाया नहीं जा सकता। यह तो कमान से निकला तीर है, जो चल गया तो बस चल गया! जिसने इसका मूल्य समझा, उसने उनके जीवन को मूल्यवान बना दिया और जिसने इसका अनादर किया, उसे दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं। प्रकृति का कण-कण हमें समय के महत्त्व को समझने का संदेश देता है। साँसों का खज़ाना समाप्त हो जाए और हमारे सपने, हमारी आकांक्षाएँ अधूरी रह जाएँ। इसलिए कबीर का कहा मानिए-
‘काल्ह करै सो आज कर, आज करै सो अब्ब।
पल में परलै होइगी, बहुरि करेगा कब्ब ॥‘
कुछ मिनटों की देरी से नेपोलियन की विजय पराजय में बदल गई। अगला क्षण भविष्य के गर्भ में होता है, बीता पल अतीत के गर्भ में से समा चुका होता है। बस वर्तमान हमारे हाथ में होता है, इसलिए उसका सदुपयोग कर हम अपना जीवन संवार सकते है। ‘बीति ताहि बिसार दे, आगे की सुध ले’ की उक्ति को चरितार्थ करते हुए आलस्य त्यागकर हर क्षण क्रियाशील रहकर हम जीवन को सफल एवं सार्थक बना सकते हैं-
‘क्षण को क्षुद्र न समझें भाई, यह जग का निर्माता है।‘