Hindi Essay on “Parmanu Bam Ek Abhishap” , ” परमाणु बम एक अभिशाप ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
परमाणु बम एक अभिशाप
अणु या परमाणु बम वास्तव में मौत का वह परवाना है जो देखते-ही-देखते मृत्यु का भयावह ताण्डव प्रस्तूत कर सकता है | द्वितीय विश्व युद्ध के अन्तिम चरण में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी नामक दो नगरो पर जो परमाणु बम गिराए गए थे , अब उनसे भी कही अधिक शक्तिशाली बमो का निर्माण होने लगा है | यदि इस प्रकार के नए बम गलती से भी कही डाले गए तो विनाश भी उससे कई गुना अधिक घातक होगा जितना सन 1945 ई. में हुआ था | इसीलिए आजकल इन आणिवक अस्त्रों के निर्माण , परिक्षण और प्रक्षेपण पर बड़े जोर शोर से प्रतिबन्ध लगाने का प्रयास किया जा रहा है | जापान के नगरो में जो विनाश लीला उपस्थित हई थी, उसके लगे घाव आज तक भी भरने नही पाए है | उस समय के भुक्तभोगी आज भी विकलांग , अन्धे बहरे और अविकसित से होकर बस जिए जा रहे है | इस दशा को देख व सुन कर यह अनुमान लगाया जा सकता है की अणुबम का प्रहार कितना हिसक, मार्क, भयावह एव संघातक हुआ करता है |
दुसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के तत्काल बाद से इन बमो को भयावहता को बताकर उन्हें प्रतिबन्धित करने कराने के लिए संघर्ष चल रहा है, परन्तु फिर भी यह कार्यक्रम अभी तक रुका नही | विश्व के कुछ शक्तिशाली देश जैसे अमेरिका , फ्रांस व चीन यह तो चाहते है कि बाकी देश अणु बमो का न तो निर्माण कर्रे और न ही परिक्षण कर ताकि उनकी दादागिरी बनी रह सके | परन्तु वे स्वय इस प्रकार के निर्माण व परिक्षण को बन्द नही करना चाहते है | पाकिस्तान जैसे देश भी जिनके पास स्वय का कुछ नही है , चोरी – छिपे, अन्य वस्तुओ की आड़ में धोखाधड़ी के सहारे अणु प्रौद्दोगिकी , तकनीक एव सामग्री प्राप्त कर इस दिशा में सक्रिय हो गए |
अणु बम की भयानकता ने अभी तृतीय विश्व – युद्ध और कई तरह के स्थानीय व पड़ोसी देशो को युद्ध करने से रोक रखा है , पर यदि कभी पाकिस्तान जैसे ईर्ष्यालु व कट्टरपंथी देश दुसरो के कहने से इनका उपयोग कर बैठे और गलती से अणु बम कही पर डाल तो वहाँ प्रलय का दृश्य उपस्थित हो जाएगा | एक भी प्राणी , पेड़ – पौधों , घास – वनस्पति तक भी सुरक्षित न रह पाएगा | जमीन में पड़ने वाले गड्ढे बड़े- बड़े सूखे सड़े सरोवरों व तालाबो का सा आभास देने लगेगे | अणु – बम के चलने के आवाज व गूंज जहाँ तक सुनाई पड़ेगी, सभी जीवित प्राणी बहरे हो जायेगे | आने वाली नस्ले तक विकलांग , अपरिपक्व और अधूरी रह जाएगी | हरियाली और फसलो का कही नाम तक नही रह पाएगा |
अंत: अच्छा यही है कि बिना किसी भेद – भाव के विश्व के सभी देश इस प्रकार के शस्त्रास्त्रो, अणु बमो, प्रौद्दोगिकी एव प्रविधियो तक नष्ट कर दे | तभी भविष्य में मानव – जीवन की सुरक्षा की आशा की जा सकती है अन्यथा नही |