Hindi Essay on “Bharatiya Samaj me Vyapt Kuritiya”, “भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियाँ” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.
भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियाँ
Bharatiya Samaj me Vyapt Kuritiya
समाज ही किसी राष्ट्र का आधार स्तम्भ होता है। यदि हम अपने इतिहास पर एक नज़र डालें तो हमें पता चलता है कि हमारा एक प्राचीन तथा अमर समाज है जिसने जीवन के सभी क्षेत्रों में महानतम व्यक्तियों को जन्म दिया है तथा सर्वोत्कृष्ट दर्शन एवं पवित्रतम सामाजिक मापदण्डों को विकसित किया है। यह हमारे समाज का एक सुनहरा युग था। फिर भी उसके पश्चात् कई विदेशी आक्रमणकारियों ने आक्रमण करके भारतीय समाज की सभ्यता एवं संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश की परन्तु हमारी सभ्यता एवं संस्कृति की जड़ें इतनी गहराई तक जमी हुई थीं कि इतने आक्रमणों एवं अत्याचारों के बावजूद सुरक्षित रह सकीं।
भारतीय समाज अधिकतर पुरुष प्रधान रहा है। इसलिए पुरुष समाज सदा से ही नारी पर अत्याचार करता आ रहा है। तुलसीदास ने तो-ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी, ये ताड़न के अधिकारी
कहकर नारी को पीटने की बात कह दी जो कि नारी जाति का अपमान है। उनको केवल घर की चार दीवारी के अन्दर बन्द रखा गया। की सेवा तथा बच्चों के पालन-पोषण पर ध्यान देना ही उसका प्रमुख कर्तव्य जाता था। उसकी शिक्षा पर भी उचित ध्यान नहीं दिया जाता था। यद्यपि हमारे देश के संविधान में स्त्री को पुरुषों के बराबर अधिकार मिले हए हैं तथापि उसका लाभ औरतों को नहीं मिल रहा क्योंकि उन अधिकारों को लाग करने वाली संस्था किसी-न-किसी पुरुष द्वारा ही संचालित की जाती है। इसके लिए जरूरी है कि हम नारी जाति का सम्मान करें, समाज में उसे उचित दर्जा दें, ताकि वे भी समाज में पुरुष के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर चल सकें।
अस्पृश्यता रोग की जड़ जन सामान्य इस विश्वास में निहित है कि यह धर्म का अंग है और इसका उल्लंघन महापाप होगा। आज भी तथा कथित उच्च जाति के लोग अछतों को अपने समान मानने के लिए तैयार नहीं है और समय-समय पर उन पर तरह-तरह के अत्याचार होते रहते हैं। हमें समाज द्वारा पीछे धकेले गए या ऐसे भाई-बहनों को जिन्हें हम अछुत समझते हैं (वास्तव में वे अछूत नही है) की आर्थिक व राजनीतिक स्थिति में सुधार करने तथा उन्हें शेष समाज के बराबर कन्धों से कन्धा मिलाकर खडा होने योग्य बनाने के लिए प्रयत्न करना होगा।
भ्रष्टाचार हमारे समाज की जड़ों को खोखला ही नहीं कर रहा बल्कि देश की आर्थिक नीतियों पर भी प्रभाव डाल रहा है। भ्रष्टाचार का मूल मन्त्र है धन कमाना। चाहे वह सरकार को धोखा देकर कमाया जाए या फिर आम जनता के गाढ़े पसीने का कमाई को कोई काम करने के एवज में लिए गए रिश्वत के रुपए हों। भ्रष्टाचार क कितने ही घोटाले रोज़ समाचार पत्रों में छपते रहते हैं। सरकार को चाहिए कि भ्रष्टाचार में लिप्त मामलों की जल्दी से जल्दी कार्यवाही हो और दोषी पाए जाने बाल व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले ताकि भविष्य में कोई घोटाला न करे।
भारतीय संस्कृति के अनसार किसी स्त्री-पुरुष का पारपरिक विवाह सम्बन्ध पहले से ही निर्धारित हआ करता है। यह एक बहुत ही पवित्र बन्धन है परन्तु आज माजकलोगों में धन की लालसा इतनी बढ़ गई है कि पति-पत्नी का रिश्ता किसी मा प्रकार से आदर्श नहीं रह गया। आज मानवता का कोई मूल्य नहीं रह गया है। पता नहीं इसी लालच के कारण कितनी ही विवाहिताएं दहेज की बलिवेदी पर माछावर हो रही हैं, हो चकी है या हो जाएंगी। यह तभी सम्भव है यदि यवापी एक जुट होकर यह प्रण करें न दहेज देंगे, न दहेज़ लेंगे।
आज हमारे समाज में नशाखोरी का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। मदिरा सेवन को मनुष्य आज अपनी आवश्यकता मान बैठा है। इसके बहुत घातक परिणाम हैं जैसे यह फेफड़ों को नुक्सान पहँचाती है, जिगर को कमजोर करती है, उच्च रक्तचाप पैदा करती है आदि। कैंसर, अल्सर, हृदय रोग पैदा करने में इसका बड़ा हाथ है। इसलिए इसे रोकने के लिए जन चेतना को जागृत करना बहुत आवश्यक है। सरकार को चाहिए कि बडे भारी राजस्व के लालच में राष्ट्र के लोगों के स्वास्थ्य को दाव पर न लगाएँ।
बाल मजदूरी भी हमारे समाज की एक बड़ी कुरीति है। सरकार को चाहिए कि वह बाल मजदूरी को कानून पास करके इसे अवैध घोषित करे और इस कानून को सख्ती से लागू करे। माता-पिता को यह समझाना चाहिए कि वे काम पर भेजने की बजाए अपने बच्चों को शिक्षा के लिए स्कूल भेजें।
आज हमारे समाज में लड़के और लड़की में बहुत ही भेद-भाव किया जाता है। गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जान लेने की सुविधा मिल जाने पर लड़कियों की भ्रूण हत्या तक कर दी जाती है। पश्चिम की देखा देखी भारत में भी यह प्रथा निरन्तर बढ़ रही है जिससे आने वाले समय में लड़कों के विवाह के लिए लड़कियों की समस्या पैदा हो जाएगी। इसलिए आवश्यक है दूरदर्शन द्वारा, शिक्षा के प्रचार व प्रसार द्वारा लोगों को भ्रूण हत्या के बारे में जागृत किया जाए तथा जो लोग ऐसा घृणित कार्य करने में संलिप्त हों उनका सामाजिक तौर पर बहिष्कार करना चाहिए तथा उन्हें कड़े से कड़ा दण्ड दिया जाना चाहिए।
किसी भी समाज के लिए अच्छा जीवन व्यतीत करने के लिए यह आवश्यक है कि उसके शरीर का कोई भी अंग कमज़ोर और अपंग न हो। इसके लिए यह आवश्यक है कि समाज के सभी लोग तथा हमारा नेतृवर्ग इन सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जोरदार आवाज उठाकर इनसे छुटकारा दिलाने का प्रयास करें ताकि यह स्थिति और अधिक भयानक और विस्फोटक न बने।