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Archive by category "Hindi (Sr. Secondary)" (Page 241)
सत्संगति Satsangati निबंध नंबर : 01 सत्संगति का अर्थ है- श्रेष्ठ पुरूषों की संगति। मनुष्य जब अपनों से अधिक बुद्मिान, विद्वान, गुणवान, एवं योग्य व्यक्ति के संपर्क में आता है, तब उसमें स्वयं ही अच्छे गुणों का उदय होता है और उसके दुर्गुण नष्ट हो जाते है। सत्संगति से मनुष्य की कलुपित वासनायें, बुद्वि की मूर्खता और पापाचरण दूर हो जो हैं। जीवन में उसे सुख और शांति प्राप्त होती है।...
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May 21, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
मेरा प्रिय कवि कबीरदास Mera Priya Kavi Kabirdas निबंध नंबर:- 01 हिन्दी साहित्य के अथाह समुद्र में अनेंक रत्न भरे पड़े है, पसन्द अपने-अपने मन की बात है। मैं जब कभी भक्तिकालीन संत कवि कबीरदास को पढ़ता हुँ तो मेरा मस्तक उनके सम्मुख श्रद्वा से नत हो जाता है तब मुझे वही संत सबसे अधिक प्रकाशवान् प्रतीत होता है। मेरे प्रिय कवि उस समय ज्ञान का दीपक लेकर अवतरित हुए,...
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May 21, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages3 Comments
नशा मुक्ति Nasha Mukti मादक द्रव्य सेवन की पृवति हजारों वर्ष पुरानी है। अनुसंधान एवं वस्तु-निर्माण की शक्ति से युक्त मानवों ने सभ्यता के विकास के साथ एक से बढ़कर एक उपयोगी चीजें खोज लीं, उपकरण बना लिए, वस्तुएँ निर्मित कर लीं। इस क्रम में उन्होने मादक द्रव्य ढूँढ निकाले एवं उनका प्रयोग करना सीख लिया। भारत के प्राचीन ग्रंथों में ’सोम और सुरा’ का उल्लेख इस बात का...
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May 21, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
अनुशासित युवा शक्ति Abushasit Yuva Shakti प्रासाद की चिरस्थिरता और उसकी दृढ़ता जिस प्रकार आधारशिला की मजबूती पर आधारित है, लघु पादपों का विशाल वृक्षत्व जिस प्रकार बाल्यवस्था के सिंचन और संरक्षण पर आश्रित होता है, उसी प्रकार युवक की सुख-शांति में समृद्विशालिता का संसार छात्रावस्ता पर आधारित होता है। यह अवस्था नवीन वृक्ष की मृदु और कोमल शाखा हैं, जिसे अपनी मनचाही अवस्था में सरलता से मोड़ा जा सकता...
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May 21, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साहित्य समाज का दर्पण है अथवा साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं मार्गदर्शक भी है साहित्य का रचयिता साहित्यकार कहलाता है। साहित्यकार मस्तिष्क, बुद्धि और हदय से सम्पन्न प्राणी है। वह समाज से अलग हो ही नहीं सकता, क्योंकि उसकी अनुभूति का संपूर्ण विषय समाज, उसकी समस्याएँ, मानव जीवन और जीवन के मूल्य हैं, जिनमें वह साँस लेता है। जब कभी उसे घुटन की अनुभुूति होती है उसकी अभिव्यक्ति...
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May 21, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
राष्ट्र निर्माण में साहित्यकार की भूमिका अथवा समाज के प्रति साहित्यकार का दायित्व साहित्यकार भी समाज का अभिन्न अंग होता है। वह जिस समाज मे रहता है, उसके प्रति उसका विशेष दायित्व भी बनता हैं। साहित्यकार अपनी रचना के माध्यम से अपने विचारों की अभिव्यक्ति प्रदान करता है। वह अपने असंतोष के कारण को भी स्पष्ट करता है। यहाँ आकर उसका स्वरूप प्रजापति का हो जाता है। देशोत्थान...
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May 21, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
उधार अदायगी के बारे में निवेदन करना Udhar Adayagi ke bare me nivedan karna महोदय, मैं आशा करता हूँ कि आपको यह बात स्मरण होगी कि व्यक्तिगत असुविधा में पड़े होने के समय, आपने तीन माह पूर्व पाँच सौ रुपये का ऋण हमसे लिया था। मैं समझता हूँ कि उसकी अदायगी अब तक हो जानी चाहिये थी, कृपया शीघ्रताशीघ्र अदायगी कर दें। विनीत, राम बिहारी उपरोक्त का उत्तर परम...
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April 16, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
कानूनी कार्यवाही के प्रति धमकीभरा पत्र Kanuni Karyavahi ke prati dhami bhara patra श्रीमान्, मुझे खेद सहित करना पड़ रहा है कि यदि इस माह के अंत तक आपने मेरा हिसाब-किताब पूर्णतयः बेबाक न कर दिया तो मुझे मजबूरन कानूनी कार्यवाही के लिए अपने वकील का सहारा लेना पड़ेगा। विनम्र, श्याम कुमार उपरोक्त का उत्तर श्रीमान्, खेद के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि आपसे...
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April 16, 2018 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment