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Archive by category "Hindi (Sr. Secondary)" (Page 180)
दुर्भिक्ष Durbhiksh प्रस्तावना : ऐसा कहा और माना जाता है कि घटनाएँ ही घट कर जीवन को कर्ममय एवं गतिशील बनाया करती हैं। विशेष प्रकार की घटनाएँ घट कर ही व्यापक स्तर, मानव के अन्तरंग स्वभाव, गुण-कर्म और क्षमताओं को भी उजागर कर जाया करती हैं; क्योंकि सामान्यतया हर क्षण कुछ-न-कुछ घटित होता ही रहता है। इस कारण आमतौर पर आदमी उसे भूल भी जाया करता है; किन्तु कई बार कुछ...
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March 24, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बाढ़ एक प्राकृतिक प्रकोप Badh Ek Prakritik Prakop प्रस्तावना : ‘मनुष्य और प्रकृति का सम्बन्ध आरम्भ से ही चला आ रहा । है। प्रकृति के आँगन में ही आँखें खोल, । चलना- फिरना सीख धीरे-धीरे प्रगति और विकास किया । आज भी मनुष्य मुख्य रूप से जिन वस्तुओं के सहारे । जीवित है, अपना जीवन चला रहा है, वे सभी प्रकृति की ही महत्त्वपूर्ण देन हैं। अन्न-जल, फल-फूल और...
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March 24, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
बढ़ती महँगाई Badhti Mehangai प्रस्तावना : हमारे निजी स्वार्थों एवं संकीर्ण मनोभावनाओं ने हमारे सम्मुख अनेक नवीन समस्याओं को जन्म दिया है, इन्हीं समस्याओं में ‘मूल्य वृद्धि’ अनाहूत अतिथि के समान हमारे जीवन में आकर बलात् बैठ गई है। हमारे भारतवर्ष में तो इस मूल्य वृद्धि से अन्य देशों की अपेक्षा जन-जीवन बहुत ही त्रस्त हो गया है। इस महँगाई ने सम्पूर्ण समाज के ढाँचे को ही जर्जर कर दिया है।...
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March 24, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भ्रष्टाचार, मिलावट एवं जमाखोरी Bhrashtachar, Milavat evm Jamakhori प्रस्तावना : स्वतन्त्रता प्रप्ति के पश्चात् भारत ने पर्याप्त उन्नति की, हमारी पंचवर्षीय योजनाओं ने भारत के विकास में पर्याप्त योगदान दिया और विकास के लिए जितनी पूँजी और प्रयत्नों को लगाया गया उसके अनुपात में विकास की मात्रा बहुत ही कम है। विचार करने पर मालूम होता है कि इसके प्रधान कारण भ्रष्टाचार, मिलावट एवं जमाखोरी हैं। रिश्वत, सिफ़ारिश, कालाबाजार आदि सब...
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March 22, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जनसंख्या की समस्या Jansankhya ki Samasya प्रस्तावना : प्रकृति हो अथवा मानव समाज, उस सबकी समुचित स्थिति, सुख- समृद्धि तभी बनी रह सकती है जब उसमें सभी प्रकार का समुचित एवं स्वाभाविक संतुलन बना रहे। सभी की प्रगति एवं विकास — की ओर भी तभी ध्यान दिया जा सकता है। इसी प्रकार अनाप-सनाप उत्पत्ति एवं असन्तुलन रहने पर सभी के विकास के लिए किए गए कायों का लाभ पहुँच पाना अत्यन्त...
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March 22, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
इक्कीसवीं शताब्दी का भारत Ikkisvi Sadi ka Bharat प्रस्तावना : इक्कीसवीं शताब्दी को लगे कुछ समय ही बीता है। इस अवधि के बीच ही जनमानस के सुखद सपने धूमिल से होते जा रहे हैं। ऊपर से बढ़ती महँगाई , आतंकवाद, जनसंख्या विस्फोट, प्रदूषित जल एवं पर्यावरण से फैलते रोग और आवासीय समस्या तथा बेरोजगारी ने उसे सोचने को विवश कर दिया कि वर्तमान अतीत से बेहतर हो सकेगा ? क्या...
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March 22, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
प्राकृतिक प्रकोप – सुनामी लहरें Prakritik Prakop – Tsunami Lehre महाविनाशकारी ‘सुनामी’ की उत्पत्ति वस्तुत: समुद्रतल में भूकंप आने से होती। 1 है । समुद्र के अंदर भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट अथवा भू-स्खलन के कारण यदि बड़े स्तर पर पृथ्वी की सतह खिसकती। 1 है तो इससे सतह पर 50 से 100 फीट ऊँची तरंगें, 800 कि.मी. प्रति घंटे की गति से तटों की ओर दौडने लग जाती हैं। और पूर्णिमा की...
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March 22, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सचिन तेंदुलकर Sachin Tendulkar क्रिकेट मेरा प्रिय खेल है। इस खेल के प्रति मेरी रुचि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक अच्छे क्रिकेट मैच को देखने के लिए मैं कई मील तक पैदल चलकर जा सकता हैं। यह मैच उस समय मेरे लिए और भी लोमहर्षक और सम्मोहक हो जाता है, जब सचिन तेंदुलकर उसमें एक खिलाडी के रूप में उपस्थित हों। मेरी हमेशा कोशिश रहती...
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March 22, 2019 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment