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Archive by category "Hindi (Sr. Secondary)" (Page 105)
जहाँ सुमति तहँ संपत्ति नाना Jahan Sumati Tahan Sampati Nana सुमति अर्थात अच्छी बुद्धि। बुद्धि ही हमें सुमार्ग या कुमार्ग की ओर ले जाती है। चोर, लुटेरे, डाकुओं की बुद्धि तीव्र हो सकती है किंतु उनकी सोच की दिशा गलत होती है। ऐसी बुद्धि काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह के वशीभूत होकर कुकर्मों की ओर प्रेरित करती है। परिणामतः पूरा जीवन नष्ट हो जाता है। इसके विपूरीत जिनकी बुद्धि सही-गलत, उचित-अनुचित...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सब दिन रहत न एक समान Sab Din Rahat Na Ek Saman समय नदी की धारा के समान है जो निरंतर आगे बढ़ता जाता है। बीते समय को किसी कीमत पर भी लौटाया नहीं जा सकता। समय की इस परिवर्तनशीलता को समझना जीवन को सही ढंग से जीने के लिए परम आवश्यक है। जो यह सच जान लेता है वह सुख आने पर अहंकारी नहीं बनता और दुख आने पर निराशा...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
का बरखा जब कृषि सुखाने Ka Barkha Jab Krishi Sukhane खोया धन परिश्रम से पुनः प्राप्त किया जा सकता है, खोया स्वास्थ्य भी उचित चिकित्सा व संतुलित, पौष्टिक भोजन से पाया जा सकता है, किन्तु एक बार जो समय निकल गया उसे अपना सर्वस्व देकर भी नहीं लौटाया जा सकता। फ़सल को सही वक्त पर पानी चाहिए, यदि उस समय नहीं मिला है हर कार्य का एक समय होता है, वह...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
दैव–दैव आलसी पुकारा Dev-Dev Aalasi Pukara प्रगति के मार्ग का सबसे बड़ा बाधक है-आलस्य। व्यक्ति तन-मन से स्वस्थ, समर्थ और सक्षम होते हुए भी यदि प्रयत्न न करे तो सफल नहीं हो सकता। तन की शिथिलता आलस्य है तो मन की शिथिलता को प्रमाद कहते हैं। आलसी और प्रमादी व्यक्ति को न अपनी असफलता अखरती है और न ही उन्नति पाने का उनमें उत्साह जगता है। न वे कुछ नया सीखना...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जब आवै संतोष धन, सब धन धूरि समान Jab Aave Santosh Dhan Best 4 Hindi Essay on “Jab Aave Santosh Dhan” निबंध नंबर :- 01 ‘हरि अनंत, हरिकथा अनंता’ की भाँति हमारी इच्छाओं का भी कोई अंत नहीं होता। एक इच्छा पूरी होती नहीं कि दूसरी इच्छा पैदा हो जाती है। पूरा जीवन हम इच्छाओं के मूकड-जाल में फंसे रहते हैं। इच्छाओं के इस असीम सागर को पार करना तो किसी...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
गति ही जीवन है Gati Hi Jeevan Hai जिस प्रकार बहता जल ही स्वच्छ रह सकता है उसी प्रकार गतिशील जीवन ही सफल और सार्थक बन सकता है। ठहरा जल दूषित हो जाता है, उसमें काई जम जाती है, रोगाणु पनपने लगते हैं। ठहरे विचारों या परंपराओं का भी कुछ ऐसा ही हश्र होता है। जो समाज या देश समयानुसार अपनी जीवन-शैली, विचार और परंपराओं में परिवर्तन नहीं लाता, वह पिछड़...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साँच को आँच नहीं Saanch ko Aanch Nahi सत्य की सदा विजय होती है-यह वह शाश्वत सत्य है, जो देश-काल की हर कसौटी पर खरा उतरा है। इतिहास साक्षी है कि असत्य जब-जब हावी हुआ है तब-तब अंततः उसे पराजय का मुख देखना पड़ा है। पौराणिक युग के चाहे वे रावण, कंस या कौरव हों अथवा इतिहास के हिटलर, मुसोलिनी या चंगेज़ खान। असत्य पर टिका अंग्रेज़ी-साम्राज्य, जिसके लिए कहा जाता...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
जैसा बोओगे, वैसा काटोगे Jaisa Boge, Waisa Katoge कहते हैं न ‘बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से होय’। यह प्रकृति का नियम है, विज्ञान द्वारा प्रमाणित तथ्य है कि प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया तद्नुरूप ही होती है। भगवद् गीता’ का तो आधार ही ‘कर्म-सिद्धांत है।’ हम जैसे कर्म करेंगे वैसा ही फल पाएगा। जिसे लोग सौभाग्य या ‘भगवद्-कृपा’ कहते हैं, वास्तव में वह भी हमारे सुकर्मों का ही सुफल होता...
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October 31, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment