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Hindi Essay on “Mera Priya Tyohar Diwali”, “मेरा प्रिय त्योहार दीपावली” Complete Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.

मेरा प्रिय त्योहार दीपावली

Mera Priya Tyohar Diwali

 

जलें दीप से दीप। फैले सर्वत्र प्रकाश।

रहें मिलकर सभी सद्भावना से। सर्वत्र समृद्धि का हो विस्तार ।।

हमारा देश अनेक पर्यों एवं त्योहारों का देश है। भिन्न-भिन्न समयों पर देश में भिन्न-भिन्न पर्व एवं त्योहार मनाए जाते हैं। उनमें मेरा सबसे प्रिय त्योहार दीपावली है।

दीपावली शब्द का अर्थ है -‘दीपों की पंक्तियां’। जहाँ भी दीप जलाए जाते हैं, वहीं से अन्धेरा भाग जाता है। हमारे धर्म ग्रन्थों में इस पर्व के महत्व पर प्रकाश डाला गया है तथा इसके साथ कई किंवदंतियां और जातक कथाएँ जुड़ी हुई हैं जिनका इस पर्व से प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से सम्बन्ध है।

दीपावली मात्र एक ज्योति पर्व ही नहीं अपितु विभिन्न पर्वो का संगम भी है। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस मनाई जाती है। यह माना जाता है कि धन्वतरि ऋषि समुद्र मन्थन के दौरान निकले नवरत्नों में से एक थे तथा अमृत कलश सहित पैदा हुए थे। उनका जन्म दो दिन पूर्व त्रयोदशी को हुआ था। इस दिन उनकी पूजा कर आरोग्य रहने के महत्व को उजागर किया जाता है। इस दिन को छोटी दीपावली के रूप में भी जाना जाता है। दूसरे दिन नरक-चौदस का त्योहार मनाया जाता है।

दीपावली का त्योहार कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली के दूसरे दिन अर्थात् कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन एवम् अन्नकूट का त्योहार मनाया जाता है। दीपावली के दो दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को आने वाले भैया दूज पर्व का भी बड़ा महत्व है क्योंकि यह वह पर्व है जो भाई-बहन के दिलों में पावन रिश्ते को मज़बूत करता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों को आमन्त्रित कर तिलक लगाती हैं तथा उनकी दीर्घायु के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं।

आज ही के दिन अयोध्या नरेश मर्यादा पुरुषोतम भगवान् श्री राम 14 वर्षों का वनवास काट कर और लंकापति रावण पर विजय प्राप्त करके जब अयोध्या वापस आए थे तो अयोध्यावासियों ने उनके आगमन पर उनका स्वागत दीप जलाकर किया था। आर्यसमाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती तथा स्वामी राम तीर्थ जी को भी आज ही के दिन रात्रि के समय निर्वाण प्राप्त हुआ था।

सिखों के लिए इस दिन अपने छठे गुरु श्री हर गोबिन्द जी ग्वालियर किले से जहाँगीर की कैद से स्वयं को मुक्त करवा कर अमृतसर पहुँचे थे। जैन धर्मावलम्बी अपने अन्तिम तीर्थंकर भगवान् महावीर को मोक्ष प्राप्त होने की खुशी में यह पर्व मनाते हैं। दीपावली से सम्बन्धित सभी कहानियाँ दीपावली नामक पर्व का महत्व प्रकट करती हैं । वास्तव में इस महान् पर्व के साथ जितनी भी कहानियां जोड़ी जाएं कम है। यह पर्व जन जन का पर्व है। सभी धर्मों तथा जातियों के लोग इस पर्व का समान रूप से आदर करते हैं।

दीपावली स्वच्छता का त्योहार है बच्चे, जवान और बजर्ग, धनी-निर्धन सभी पूरे वर्ष इस पर्व की उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं तथा सभी इसे पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं। सभी लोग अपने अपने घरों, मकानों, दुकानों तथा दफ्तरों की सफाई करते हैं। वैसे भी लक्ष्मी का निवास स्वच्छ स्थान ही होता है। बाजारों में मिठाइयों की और रंग-बिरंगे खिलौनों की दुकानें सजाई जाती हैं। बच्चे पटाखे चलाकर अपनी प्रसन्नता प्रकट करते हैं। दीपावली की रात का दृश्य तो और भी लुभावना होता है। रंग-बिरंगे बल्बों की पंक्तियां देख कर ऐसा लगता है जैसे आकाश तारों सहित ज़मीन पर ही उतर आया हो। दीपावली का पर्व व्यापारी वर्ग के लिए भी बड़ा शुभ माना जाता है। यह त्योहार आपसी भाईचारे और एकता का भी प्रतीक है क्योंकि सभी धर्मों और जातियों के लोग इस त्योहार को बड़ी श्रद्धा तथा हर्षोल्लास से मनाते हैं तथा एक दूसरे को मिठाईयां भी बांटते हैं। दःख की बात है कि इस शुभ अवसर पर कुछ लोग जुआ भी खेलते हैं। जो जए में हार जाता है उसके लिए तो यह पर्व एक अभिशाप ही है। ऐसे लोग दीपावली के इस रोशनी के त्योहार पर अपनी गन्दी आदतों द्वारा कालिमा पोत कर अपने आपको एक अच्छे नागरिक न होने का प्रमाण देते हैं। इसे मनाते समय कुछ सावधानियां बरतनी भी ज़रूरी हैं क्योंकि दीपावली वाले दिन जहाँ एक ओर लोग खुशियाँ मनाते हैं वहां दूसरी ओर थोड़ी सी लापरवाही से बड़ा नुक्सान भी हो सकता है। इसलिए पटाखे या आतिशबाजियां चलाएँ लेकिन सावधानी से ताकि उनसे किसी प्रकार की हानि न हो।

दीपावली भारत का एक राष्ट्रीय तथा सांस्कृतिक पर्व है। इसके महत्व को बनाए रखना हम सब का परम कर्त्तव्य है। प्रत्येक भारतवासी का यह परम कर्त्तव्य है कि वह इस पावन पर्व को सामाजिक कुरीतियों से मुक्त कराए। तभी हम सच्चे अर्थों में इस त्योहार को मना सकते हैं।

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