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Hindi Moral Story, Essay “करनी का फल” “Karni Ka Phal” of “Gauribai” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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करनी का फल Karni Ka Phal गुजरात की संत कवयित्री गौरीबाई की भक्ति एवं धार्मिक वृत्ति देख गिरिपुर के राजा शिवसिंह बड़े प्रभावित हुए और उन्होंने गौरीबाई के लिए एक अलग मंदिर बनवा दिया। अब वह अपना सारा समय भजन-पूजन और ध्यानावस्था में बिताने लगी। जब वह इतनी खो जाती कि बाहरी दुनिया की उसे कोई सुध ही नहीं रहती थी। कुछ लोग इसे ढोंग की संज्ञा देते। इन्हीं में से...
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Hindi Moral Story, Essay “साईं सूँ सब होत है” “Sai su sab hot hai” of “Rao Jagatsingh” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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साईं सूँ सब होत है Sai su sab hot hai राव जगतसिंह जोधपुर के प्रथम महाराजा जसवंतसिंह के वंशज थे और रिश्ते में भक्तिमती मीराबाई के भतीजे लगते थे। बलूँदा रियासत के वे शासक भी थे। वे वैष्णव-भक्त थे और राजसी ठाट-बाट छोड़कर सदैव भगवद्भजन में लीन रहते थे। मेवाड़ में उन्होंने एक मंदिर का निर्माण भी किया था। एक बार वर्षाकाल में एक दिन भारी वर्षा हुई। चारों ओर घना...
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Hindi Moral Story, Essay “आत्मनिर्भरता” “Atmanirbharta” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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आत्मनिर्भरता Atmanirbharta भारत के एक प्रसिद्ध संन्यासी यूरोप का दौरा कर रहे थे। एक दिन वे एक फिटन किराए पर लेकर डचेस द पीमा नामक एक फ्रांसीसी महिला के साथ पैरिस के बाहर एक गाँव में जा रहे थे कि रास्ते में कोचवान ने फिटन एक स्थान पर रोकी। सामने से एक नौकरानी कुछ बच्चों को लिये जा रही थी। कोचवान ने उन बच्चों से, जो किसी ऊँचे घराने के मालूम...
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Hindi Moral Story, Essay “सच्चा भक्त” “Saccha Bhakt” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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सच्चा भक्त Saccha Bhakt प्रवचन के बाद नीशापुर के संत अहमद से एक जिज्ञासु ने पूछा, “ईश्वर का सच्चा भक्त कौन है?” इस पर संत बोले, “सुनो, मैं तुम्हें एक दृष्टांत देता हूँ। बहराम नामक मेरा एक पड़ोसी था। वह बड़ा ही धनवान था। उसके कारवाँ लाखों रुपयों का माल लेकर बेचने के लिए विदेश जाते थे। एक बार रास्ते में डाकुओं ने उसका सारा माल लूट लिया। “पड़ोसी होने के...
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Hindi Moral Story, Essay “गुरुनिष्ठा” “Gurunishtha” of “Sant Dadu” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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गुरुनिष्ठा Gurunishtha एक बार संत दादू, संत रज्जब अन्य शिष्यों के साथ परिभ्रमण कर रहे थे कि रास्ते में एक नदी पड़ी। वैसे नदी में पानी तो कम था, किन्तु कीचड़ इतना जम गया था कि नदी पार करना बड़ा कठिन था। तब शिष्य लोग पत्थर एकत्र करने लगे, किन्तु रज्जब बोले, “गुरुदेव, आप मेरे शरीर पर पैर रखकर उस पार हो जाइए,” और वे सचमुच वहाँ लेट गए। संत दादू...
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Hindi Moral Story, Essay “निर्बाधिता” “Nirbalta” of “Sant Mahipati” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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निर्बाधिता Nirbalta ‘भक्तिविजय’ के रचयिता संत महीपति पहले ग्रामप्रधान का काम करते थे। एक बार वे पूजा कर रहे थे कि जागीरदार का सिपाही उन्हें बुलाने आया। इससे पूजा में व्यवधान आया। सिपाही ने कहा कि कोई आवश्यक काम है और उन्हें शीघ्र चलने को कहा गया है। महीपति के लिए समस्या उत्पन्न हो गई । यदि उठते हैं, तो पूरी पूजा हुई नहीं है और न जाएँ, तो जागीरदार नाराज...
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Hindi Moral Story, Essay “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते” “Where women are worshipped” of “Mahabharat” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते Where women are worshipped एक बार भीम को पता चला कि धर्मराज युधिष्ठिर ने द्रौपदी के पैर दबाए हैं, तो उसे बड़ी ग्लानि हुई । वह सोचने लगा कि अब तो उलटा ही होने लगा है। जहाँ पत्नी को पति की सेवा करनी चाहिए, वहाँ पति पत्नी की सेवा करने लगा है। यह काम युधिष्ठिर ही कर सकते हैं। मैं तो ऐसा कदापि नहीं करूँगा । बात श्रीकृष्ण...
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Hindi Moral Story, Essay “अपराधो हि दंडनीयम्” “Apradho hi Dandniyam” of “Arjuna” for students of Class 8, 9, 10, 12.

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अपराधो हि दंडनीयम् Apradho hi Dandniyam पाँचों पांडवों की पत्नी एक ही (द्रौपदी) होने के कारण उन्होंने आपस में यह नियम बना लिया था कि जब वह उनमें से किसी एक के साथ हो, तो अन्य चार भाइयों में से कोई भी वहाँ न जाए, अन्यथा नियम-भंग करने के कारण उसे बारह वर्ष का वनवास भोगना होगा। एक बार एक ब्राह्मण अर्जुन के पास आया और बोला कि एक चोर उसकी...
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