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Posts tagged "Hindi Paragraph" (Page 4)
साहित्य और कला Sahitya aur Kala साहित्य, संगीत, कला-विहीन मानव साक्षात् पशुवत् है और वह पशु में भी उस पशु के समान है जो पूंछ और सींग से विहीन बिल्कुल कुरूप नजर आता है। साहित्य और कला का मानव विकास के इतिहास में अमूल्य योगदान है। डॉ. हरद्वारी लाल शर्म ने लिखा है- “हमारी अनुभूति का सारा अन्तः प्रदेश मुखर या शब्दमय नहीं होता। जितना भाग शब्दार्थ के माध्यम से ‘शरीरी’...
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March 2, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारतीय संस्कृति Bhartiya Sanskriti मुहम्मद इकबाल ने लिखा है- “कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहाँ हमारा तथा- यूनान मिस्र रोमां सब मिट गए जहाँ से अब तक मगर है बाकी नामोनिशां हमारा।” क्या मुहम्मद इकबाल की ये पंक्तियां देशभक्ति से प्रेरित भावोच्छ्वास मात्र है अथवा इसमें कुछ तथ्य है? यदि वास्तव में इन पंक्तियों में कुछ सार नहीं होता तो जाति से मुसलमान...
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March 1, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ Suryakant Tripathi “Nirala” अपनी स्वच्छन्द प्रकृति के अनुरूप काव्य को भी स्वछन्द बनाने वाले स्वर्गीय ‘निराला’ जी हिन्दी साहित्य के अनूठे व्यक्ति थे। आपने ही सर्वकाय काव्य में छन्द बन्धन को तोड़कर मुक्त छन्द कविता का प्रणयन किया। तात्पर्य यह कि केवल गीतात्मक काव्य ही उनका मूलाधार बना। आपकी प्रारम्भिक रचनाओं में छायावादी प्रकृति प्रेम और मधुर कल्पना के दर्शन होते हैं। यथा- सखि, बसन्त आया। आदृत वाणी-उर...
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March 1, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साहित्य और विज्ञान Sahitya aur Vigyan सामान्य रूप से देखने पर साहित्य और विज्ञान दोनों के कार्य क्षेत्र अलग-अलग प्रतीत होते हैं, किन्तु सत्य यह है कि ये दोनों अपने मूल उद्देश्य की दृष्टि से मानव-समाज की सेवा में लगे हुए हैं। अपने मूल रूप में साहित्य एक ललित कला और विज्ञान को उपयोगी कला के अन्तर्गत रखा जा सकता है। दोनों का रचनात्मक उद्देश्य मानव-जीवन और समाज का उत्कर्ष करना...
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March 1, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
हिन्दी के विकास में योगदान Hindi ke Vikas mein Yogdaan हिन्दी के इतिहास के अध्ययन करने पर यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि विगत हजार वर्षों से ऐसे लेखकों ने हिन्दी में श्रेष्ठ रचनाएँ प्रस्तुत की हैं जिनकी मातृभाषा हिन्दी नहीं थी। पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, आंध्र और कर्नाटक तक के लोगों का हिन्दी के प्रति विशिष्ट अवदान रहा है। हिन्दी के आदिकाल से आज तक ऐसे लोग हिन्दी में...
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March 1, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
साहित्य और धर्म Sahitya aur Dharam साहित्य को मानव-जीवन की कोमल-कान्त आन्तरिक भावनाओं का वाहक माना गया है, हालाँकि उनका आधार जीवन का ऊबड़-खाबड़, कठोर और यथार्थ धरातल ही हुआ करता है। इसके विपरीत धर्म का सम्बन्ध भी वस्तुतः मानव मन की कोमल, भावुक और एक सीमा तक चमत्कार प्रिय भावनाओं से ही हुआ करता है, यद्यपि वे भावनाएँ जागतिक धरातल पर आधारित न होकर तरह-तरह के आलौकिक या पारलौकिक विश्वासों,...
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March 1, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी Rashtrapita Mahatma Ghandi भारतीय संस्कृति की ‘धर्मपरायणता’ अपनी विशेषता है। इसी की आस्था से प्रत्येक भारतीय के अन्तस् में गीता का श्लोक यदा यदा हि धर्मस्य… गूँजता है। अब धरा पर अन्याय होता है, मानव-आत्मा उससे चीत्कार कर उठती ह, तभी प्रभु किसी महापुरुष के रूप में अवतरित होते है। राष्ट्रपिता गांधी जी ऐसे ही महापुरुष के अवतार थे। अपने जीवन-काल में अपने जिस मार्ग का भारतीयों को...
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March 1, 2023 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
रवीन्द्रनाथ ठाकुर Rabindranath Thakur भारत की पावन भूमि सदैव ऋषि-महर्षि, कलाकार, साहित्यकार, दर्शन-वेत्ता और युगीन महापुरुषों की जन्म-भूमि रही है। आधुनिक युग में कवीन्द्र रवीन्द्रनाथ का वही स्थान है। जहाँ महात्मा गांधी ने राजनीति को अपना क्षेत्र बनाकर अपने महान् व्यक्तिव से संसार के गर्व का खण्डन किया है वहीं कवीन्द रवीन्द्रनाथ ने गीत साहित्य के रूप में उसे आश्चर्य निमग्न किया है। पं. नेहरू के शब्दों में “भारत के ये...
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