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Posts tagged "Hindi essays" (Page 217)
भारत-अमेरिका संबंध Bharat America Sambandh निबंध नंबर :- 01 विश्व की राजनीतिक रंगमंच पर भारत और अमेरिका दो महान और सबसे बड़े जनतंत्री व्यवस्था वाले देश हैं। जनतंत्रवादी परंपराओं के पोषक होने के नाते दोनों का वर्चस्व भी विश्व में अत्याधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। दोनों मानवतावादी और मिश्रित अर्थव्यवस्था पर भी विश्वास रखते हैं। विश्व-शांति के इच्छुक और उपासक हैं, फिर भी क्या यह विश्व का आठवों या नौंवा आश्चर्य...
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July 6, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भारत-चीन संबंध Bharat-Chin Sambandh राजनीतिक दृष्टि से संबंधों की दुनिया भी बड़ी अनोखी हुआ करती है। एशिया के दो महान और अत्यंत प्राचीन सभ्यता-संस्कृति वाले देश भारत और चीन अपनी खोई हुई स्वतंत्रता मात्र एक वर्ष के अंतर से पुन: प्राप्त करने में सफल होपाए थे। भारत का नया जन्म सन 1947 और आधुनिक साम्यवादी चीन का जन्म सन 1948 में हुआ। अपने नए जन्म के लिए दोनों को लगभग समान...
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July 6, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
एक राष्ट्रीयता और क्षेत्रीय दलों की बाढ़ Ek Rashtriyata Aur Kshetriya Dalo ki Badh किसी विशाल भू-भाग को देश कहा जाता है। उस देश नामक भू-भाग पर निवास करने वाले सभी प्रकार के लोग जब उसके प्रत्येक कण के साथ अपनत्व स्थापित कर लेते हैं, उसकी रक्षा एंव समृद्धि के लिए प्राण-पण की बाजी लगाने को तत्पर रहा करते हैं, तब राष्ट्र नामक सूक्ष्म तत्व का जन्म हुआ करता है। उसके...
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July 6, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
गांधीवाद और भारत Gandhivad Aur Bharat कई बार कुछ महारुपुष किसी राष्ट्र के प्रतीक भी बन जाया करते हैं। महात्मा गांधी के बारे में ऐसा कहा जा सकता है। वे आधुनिक और स्वतंत्र भारत के जनक माने जाते हैं। हमनें स्वतंत्रता-प्राप्ति के लिए जो लंबा संघर्ष किया, वह वस्तुत: गांधीवादी चेतना पर ही आधरित था, इसी कारण ऐसा कहा जाता और उन्हें राष्ट्र का प्रतीक माना जाता है। जिसे गांधीवाद कहा...
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July 6, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
भावनात्मक एकता Bhavnatmak Ekta भावना के स्तर पर एक देश या राष्ट्र के सभी जनों में एकता का भाव रहना अत्यावध्यक हुआ करता है। ऐसा भाव ही भावनात्मक एकता कहलाता है। संस्कृत की एक कहावत है ‘संघे शक्ति: कलियुगे।’ अर्थात कलयुग में संघ, संगठन या संगठन में ही वास्तविक शकित छिपी रहा करती है। संगठन या संगठन का मूल अर्थ और भाव है-एकता। छोटे स्तर पर घर-परिवार में सुरक्षित जीवन जीने...
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July 6, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
नागरिक के अधिकार और कर्तव्य Nagrik Ke Adhikar Aur Kartavya सामान्यत: किसी एक देश का नगर-गांव वासी नागरिक होता है, परंतु व्यापक अर्थ में किसी स्वतंत्र राज्य, राष्ट्र में निवास करने वाले व्यक्ति को नागरिक कहा जाता है। एक जीवित इकाई होने के कारण प्रत्येक नागरिक को जहां अनेक प्रकार के अधिकार प्राप्त रहा करते हैं, वहां उसको कई प्रकार के कर्तव्यों का पालन भी आवश्यक रूप से करना होता है।...
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July 6, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
प्रांतीयता का अभिशाप Prantiyata Ka Abhishap देश एक शरीर है, प्रांत उसका मात्र एक अंग है। देश एक समग्र दहाई है, तो प्रांत मात्र एक इकाई है। जिस प्रकार व्यक्ति समाज की सशक्त इकाई हुआ करता है, उसी प्रकार प्रांत किसी देश और राष्ट्र की एक सशक्त और जीवित इकाई माना जाता है। व्यक्ति की इकाइयां मिलकर समाज की दहाई का सृजन करती हैं। जैसे व्यक्तियों के मनमान व्यवहार और बिखराव...
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July 5, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
राष्ट्र और राष्ट्रीयता Rashtra Aur Rashtriyata राष्ट्र और राष्ट्रीयता पूर्ण रूप से परस्पर संबद्ध अत्यंत सूक्ष्म तत्व एंव विषय हैं। किसी विशेष भू-भाग पर रहन ेवाले ऐसे लोग राष्ट्र कहलाते हैं, जिनके सुख-दुख आशा-विश्वास, रीति-रिवाज और परंपराएं, उत्सव-त्योहार और भाषा आदि सब-कुछ सांझा हुआ करता है। उनके धार्मिक विश्वास और सांप्रदायिक मान्यतांए अलग हो सकती हैं, पर सभ्यता-संस्कृति की चेतना बड़ी सूक्ष्मता के साथ परस्पर जुड़ी हुई या फिर एक ही...
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July 5, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment