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Posts tagged "Hindi Essay" (Page 227)
जो हुआ अच्छा हुआ अक्सर लोगों को कहते सुना है कि अपना मान-सम्मान, अपना यश-अपयश, अपना सुख-दुख और आनि लाभ आदि सभी कुछ मनुष्य के अपने हाथों ही रहा करता है। एक दृष्टि से यह मान्यता काो सत्य एंव उचित भी कहा जा सकता है। वह इस प्रकार कि मनुष्य अच्छे-बुरे जैसे भी कर्म किया करता है, उसी प्रकार से उसे हानि-लाभ तो उठाने ही पड़ते हैं। उन्हें जान-सुनकर विश्व का...
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June 9, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
सत्य की शक्ति Satya ki Shakti या सत्यमेव जयते Satyamev Jayate निबंध नंबर :01 ‘सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप। जाके हिरदय सांच है, ताकि हिरदय आप।।’ संत कबीर द्वाारा सचे गए इस सूक्ति परक दोहे का सीधा और सरल अर्थ इस प्रकार किया जा सकता है कि इस नाशवान और तरह-तरह की बुराईयों से भरे विश्व में सच बोलना सबसे बड़ी सहज-सरल तपस्या है। सत्य बोलने, सच्चा व्यवहार करने सत्य...
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June 9, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages4 Comments
आत्मनिर्भर या स्वावलंबी ‘खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर सं पहले खुदा बंदे से ये पूछे- बता तेरी रजा क्या है?’ शायर की उपर्युक्त पंक्तियां स्वावलंबी मनुष्य के बारे में है। जिनका आशय है कि स्वावलंबी या आत्मनिर्भर व्यक्तियों के सामने ईश्वर को भी झुकना पड़ता है। ऐसे व्यक्तियों का भाज्य लिखने से पहले ईश्वर को भी उनसे पूछना पड़ता है ‘बता तेरी रजा (इच्छा) क्या है।’ परमुखापेक्षी...
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June 9, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान Karat Karat Abhyas ke Jadmati hot Sujaan Best 8 Essay on ” Karat Karat Abhyas ke Jadmati hot Sujaan” निबंध नंबर : 01 कविवर वृंद के रचे दोहे की एक पंक्ति वास्तव में निरंतर परिश्रम का महत्व बताने वाली है। साथ ही निरंतर परिश्रम करने वाला व्यक्ति के लिए अनिवार्य सफलता प्रदान करने वाली है दोहे की यह पंक्ति। पूरा दोहा इस प्रकार है...
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June 9, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages7 Comments
यदि मैं प्रधानमंत्री होता Yadi mein Pradhan Mantri Hota Best 5 Essays on ” Yadi Mein Pradhan Mantri Hota” निबंध नंबर :-01 मानव संभवत : महत्वकांक्षी प्राणी है। अपने भविष्य के बारे में वह अनेक प्रकार के सपने देखा करता है तथा कल्पना की उड़ान में खोया रहता है। कभी-कभी मेरे मस्तिष्क में भी एक अभिलाषा होती है -यदि में देश का प्रधानमंत्री होता। पर यह अकांक्षा आकाश के तारे तोडऩे...
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June 9, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages5 Comments
यदि मैं शिक्षामंत्री होता कल्पना करना और अपने भावी जीवन के लिए मधुर स्वप्न संजोना मानव की सहज प्रवृत्ति है। एक विद्यार्थी होने के कारण जब आज मैं देश में चल रही शिक्षा पद्धिति पर नजर डालता हूँ तो मन खिन्न हो उठता है। मुझे लगता है कि आज देश में जितनी दुर्दशा शिक्षा की हो रही है, उतनी संभवत: किसी अन्य वस्तु की नहीं। लार्ड मैकाले ने भारत में स्वार्थवृत्ति...
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June 8, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
यदि मैं वैज्ञानिक होता आज के युग को वैज्ञानिक युग कहा जाता है। इस युग में किसी व्यक्ति का वैज्ञानिक होना सचमुच बड़े गर्व और गौरव की बात है। वैसे तो अतीत-काल में भारत ने अनेक महान वैज्ञानिक पैदा किए हैं और आज भी विश्व-विज्ञान के क्षेत्र में अनेक भारतीय वैज्ञानिक क्रियाशील हैं। अपने तरह-तरह के अन्वेषणों और आविष्कारों से वे नए मान और मूल्य भी निश्चय ही स्थापित कर हरे हैं।...
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June 6, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
भ्रष्टाचार या भारत में भ्रष्टाचार आधुनिक युग को यदि भ्रष्टाचार का युग कहा जाए, तो अत्युक्ति न होगी। आज भ्रष्टाचार जीवन के प्रतेयेक क्षेत्र में फैल चूका है। इसकी जड़े इतनी गहरी छा चुकी हैं कि समाज का कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं रह पाया है। भ्रष्टाचार ने समाज से नैतिक मूल्यों को ध्वस्त कर दिया है स्वार्थ इर्ष्या, द्वेष तथा लोभ जैसे दुर्गुणों को बढ़ावा दिया है। ‘भ्रष्टाचार’ शब्द...
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June 3, 2017 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages8 Comments