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Posts tagged "Hindi Essay" (Page 122)
पक्षी की आत्मकथा Pakshi ki Atmakatha निबंध नंबर:- 01 संसार में अनगिनत प्राणी निवास करते है। उन्हें जलचर, थलचर और नभचर प्राणी जैसे तीन भागों में बाँटा जाता है। जलचर यानि पानी में रहने वाले। थलचर यानि धरती पर चलने-फिरने और रहने वाले मनुष्य और कई तरह के पशु. कीड़े-मकोडे, सौंप-बिच्छ आदि। नभचर यानि आकाश के खुलेपन में उड़ पाने में समर्थ पक्षी जाति के प्राणी। इन के पंख होते है....
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January 30, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
नौकर की आत्मकथा Naukar ki Atmakatha मैं लोगों के घरों में काम कर के अपने गरीब और अपाहिज माँ-बाप तथा दो छोटे बहन-भाई का पालन कर रहा हूँ। नहीं, मेरी अपनी आयु भी कोई बहुत अधिक नहीं है। अभी तो मात्र चौदह वर्ष का हूँ। हाँ, आप ने सच कहा। हालात की मार के कारण मेरी आयु कहीं, अधिक, बीस-पच्चीस वर्षों से कम नहीं लगती; पर वास्तविकता वही है, जो मैंने...
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January 30, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), Languages1 Comment
कमीज़ की आत्मकथा Kamij ki Atmaktha ‘बहुत बढ़िया कमीज पहन रखी है आज तो।’ ‘वाह ! क्या शेड है शर्ट (कमीज) का। कहाँ से खरीदी? या फिर ‘क्या फिटिंग है…….. क्या सिलाई है……. क्या डिजाइन है। भई, कहाँ से सिलाई ?’ मुझे देख कर अक्सर चहक उठा करते हैं न आप? ऐसे-ऐसे या इसी तरह के प्रशंसात्मक वाक्य भी बोलने लगते हैं। जिस किसी ने मुझे पहन रखा होता है, अक्सर...
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January 30, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
दीपक की आत्म-कथा Deepak ki Atmakatha ‘जगमग दीप जले’ जैसी अनेक कहावतें मैं अपने आस-पास के जीवन-संसार में अपने बारे में अक्सर सुनता रहता हूँ। दीप, दीया, शमा, लैम्प आदि और भी मेरे कई नाम कहे एवं सुने जाते हैं। मुझे लेकर लोगों ने, कवियों और शायरों ने कल्पनाएँ भी कर रखी हैं और अब भी करते रहते हैं। कोई मुझे प्रकाश का पुँज कहता है और कोई अन्धेरे का दुश्मन।...
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January 30, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
प्रश्नपत्र की आत्मकथा Prashan Patra ki Atmakatha जी हाँ, मैं हूँ प्रश्नपत्र ! प्रश्नपत्र भी ऐसा कि जिस को देवता तो क्या, नाम सुनते हा बड़ी-बड़ों के पसीने छुट जाया करते हैं। कइयों को तो मुझे छूते हुए हाथ-पैर और कलेजा तक काँपने लगते हैं। देखने के बाद सिर चकरा जाया करता और दिन में ही तार नजर आने लगते हैं। जिन्होंने अपनी पुस्तकों का ठीक से अध्ययन-स्मरण न कर परीक्षा...
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January 30, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
फूल की आत्म-कथा Phool ki Atmakatha जी हाँ, मैं पुष्प हूँ-पुष्प ! प्रकृति माँ का सब से सुकुमार, कोमल, भावुक और सुन्दर बैटा-पुष्प ! उपवन मेरा घर है। हवा मेरी सहचर है। मेरी सुगन्धी का-सा अदृश्य, कोमल, विस्तृत चारों ओर फैला हुआ मेरा संसार है। ऐसा संसार, जिस में आकर कोई भी मनुष्य भाव से भर कर आनन्द से मस्त हुए बिना नहीं रह पाता। यह कहे बिना भी नहीं रह...
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January 30, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
गन्ने की आत्म-कथा Ganne ki Atmakatha पुराने जमाने में त्रिशंकु नामक धर्मात्मा राजा हुए हैं। उनके लोक में मेरी खेती की जाती थी। लोग मुझे ही खाया करते थे और मेरा ही रस पिया करते थे। वहाँ पर मेरी बहुत इज्जत थी। स्वयं राजा त्रिशंकु को भी मैं बहुत प्रिय था। एक बार धरती का एक मनुष्य वहाँ गया और मेरी कुछ किस्में यहाँ ले आया। यहाँ पर उसने मुझे उगाया।...
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January 30, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment
रुपये की आत्म-कथा Rupaye ki Atmakatha निबंध संख्या:- 01 कपड़े बदलते हुए मेरी जेब से रुपये का सिक्का गिरा। वह पहिए की तरह चलता हुआ मेरे पैर के पास आकर ऐसे खड़ा हो गया मानो कोई सेवक स्वामी के पास आकर खड़ा होता है। सहसा महसूस हुआ कि वह कुछ कह रहा है कि मैं रुपया हूँ। दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति हूँ। इस पर भी दुनिया वाले मुझे हाथ का...
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January 30, 2020 evirtualguru_ajaygourHindi (Sr. Secondary), LanguagesNo Comment