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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Vikram Sarabhai” , ”विक्रम साराभाई” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

विक्रम साराभाई

Vikram Sarabhai

 

भारत : महान भौतिक विज्ञानी

जन्म : 1919 मृत्यु : 1971

 

भारत को अंतरिक्ष की ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले महान अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई ने विज्ञान के क्षेत्र में अपने राष्ट की अमल्य सेवा की है। सन् 1939 में वह इंग्लैंड से शिक्षा प्राप्त करके भारत लौटे। उन्होंने मख्यतः कॉस्मिक किरणों की तीव्रता में परिवर्तन और परमाणु ऊर्जा पर अनसंधान किया। सन् 1947 में उन्हें कैम्बिज विश्वविद्यालय से कास्मिक किरणों के अनुसंधान पर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त हुई। उन्होंने अहमदाबाद में भौतिक अन्वेषण प्रयोगशाला स्थापित की। वह कछ काल तक परमाण ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष भी रहे। 29 दिसंबर, 1971 में उन्होंने धुंबा (त्रिवेंद्रम) के परमाण ऊर्जा केंद्र का भी मार्गदर्शन किया था। उन्होंने अहमदाबाद में भौतिकशास्त्रीय शोध प्रयोगशाला स्थापित की। वह सदा अंतरिक्ष संबंधी खोजों में व्यस्त रहे तथा यांत्रिकी, चिकित्सा एवं अंतरिक्ष विज्ञान में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में उन्होंने अमूल्य सहयोग दिया। उनके प्रयासों के फलस्वरूप ही भारत अपना पहला उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ अंतरिक्ष में भेजने में सफल हो सका था।

विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त, 1919 को अहमदाबाद के एक संपन्न परिवार में हुआ था। वह स्वभाव से मिलनसार एवं एक आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी थे। गणित तथा विज्ञान उनके प्रिय विषय थे। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में उनके योगदान का वही महत्त्व है, जो आणविक ऊर्जा कार्यक्रम में डॉ. भाभा का। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के 14वें महासम्मेलन की अध्यक्षता भी की। सन् 1962 में उन्हें ‘शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार’ मिला तथा सन् 1966 में ‘पद्मश्री’ की उपाधि प्राप्त हुई। सन् 1972 में (मरणोपरांत) उन्हें ‘पदमविभषण’ से भी अलंकृत किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ सहित कई मंचों पर उन्होंने विज्ञान का प्रयोग शांति के लिए करने का प्रचार किया। उनका विवाह प्रसिद्ध नृत्यांगना मणालिनी के साथ हुआ था। मल्लिका साराभाई उनकी पुत्री हैं। त्रिवेंद्रम के एक होटल में हदय गति रुक जाने से 30 दिसंबर, 1971 को उनका स्वर्गवास हो गया। वह वहां थंबा रॉकेट लांचिंग स्टेशन का कार्य देखने गए थे।

विक्रम साराभाई का स्थान देश के शीर्षस्थ वैज्ञानिकों में है। उन्होंने भारतीय विज्ञान को ऊंचाइयों पर ले जाने का सराहनीय कार्य किया। उनकी स्मृति में बना विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र आज भी उनकी यशगाथा सुना रहा है।

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